पास्का जागरण
ख्रीस्त की ज्योति ईष्वर को धन्यवाद…
मैंने जीवित प्रभु को पाया….
राजेंद्र राठौर
झाबुआ , लगभग दो हजार साल पूर्व से चली आ रही पंरम्परा पास्का जागरण रात्रि कैथोलिक महागिरजाघर में संपन्न हुई। सम्पूर्ण मानव इतिहास की सबसे महान एवं महत्वपूर्ण घटना घटित हुई, जो येसु के पुनर्जीवित होने की घटना है। इस घटना का स्मरोणत्सव आज ईसाई समुदाय पास्का पर्व के रूप में मनाता है। ख्रीस्तीय धर्मियों के लिए आज के पास्का जागरण की इस रात्री से; शायद ही कोई अन्य रात्री पवित्र्र हो। आज सारी कलिसिया प्रभु येसु के पुनरूत्थान के पर्व को मनाने के लिए उत्सुक रहती है। प्रभु येसु का पुनरूत्थान ही ईसाई विश्वास की नींव है। पास्का जागरण को पुनरूथान की रतजगा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है- प्रभु येसु का; मृत्यु से, जीवन में उत्थान और सभी ख्रीस्त धर्मियों का; पाप रूपी मृत्यु से, ख्रीस्त रूपी जीवन में उत्थान।
जागरण समारोह को चार भागों मे विभाजित किया गया। समारेाह के पहले भाग में, ज्योति का धर्मानुष्ठान हुआ, जिसमें में पास्का के मोमबती को प्रज्वालित किया गया। जो मसीह के पुनरूत्थान के प्रकाश का चिन्ह है। धर्म विधी की प्रस्तवाना का वाचन श्रीमती मंजुला बारिया द्वारा किया गया।
पास्का की मोमबत्ती पर दो यूनानी शब्द अल्फा और ओमेगा अंकित हैं, ख्रीस्त को संसार के शुरूआत से, अंत तक के सभी समय, वस्तु और मानव जाति का राजा घोषित करते है, तत्पष्चात लोबान की पाँच कीलों को मोमबत्ती पर जड़ दिया गया। जो ख्रीस्त के पाँच घावों की ओर इंगित करता हैं, जो उनके हाथों और पैरों में, क्रूस पर ठोंके जाते समय और बगल में भाले से छेदे जाने पर हुआ था। इसके बाद फादर पीटर खराडी व अन्य पुरोहितों ने ख्रीस्त की ज्योति ले कर प्रभु के मंदिर की ओर, प्रवेश किया।
दूसरे भाग में पुण्य शब्द समारोह हुआ जिस मैं नए एवं पुराने विधान से कुल पाँच पाठों का पाठन किया गया, जो मुक्ति इतिहास के प्रमुख घटनाओं का वर्णन करता है। पाठों का वाचन श्रीमती शांति डामोर, श्री मार्टिन डामोर, श्रीमती रोजी डामोर, श्रीमती ज्योत्सना सिंगाडिया, श्री मनवेल भूरिया, आलोक मचार, रोहित जाजोरा एवं कालुसिंह खडिया द्वारा किया गया।
तीसरे भाग में पवित्र जल की आशीष की गई, स्नान संस्कार की प्रतिज्ञाओं का नवीनीकरण किया गया और उन प्रतिज्ञाओं के अनुसार ख्रीस्तीय जीवन को जीने के लिए प्रेरित किया गया।
चौथे भाग में पास्का का यूख्रीस्तीय समारेाह संपन्न हुआ। जिस में सभी अपने तन और मन से भाग लिया।
बेन्जामिन निनामा, लेवनार्ड वसुनिया, आंनंद खडिया एवं जेरोम वाखला की अध्यक्षता में संगीत दल ने अपने मधुर संगीतों से प्रार्थना मय माहौल तैयार किया।