झाबुआ मध्य प्रदेश में कलेक्टर द्वारा आवासीय समर कैम्प का समापन किया गया

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राजेंद्र राठौर

कलेक्टर द्वारा कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास, करड़ावद बड़ी झाबुआ में आवासीय समर कैम्प का समापन किया गया

झाबुआ 15 जून, 2023। कलेक्टर सुश्री तन्वी हुड्डा द्वारा, समग्र शिक्षा अभियान अंतर्गत, शाला त्यागी बच्चो को मेनस्ट्रीम में लाने एवं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु जिले में प्राथमिक स्तर निम्न होने के कारण, बच्चों के शैक्षणिक सुधार हेतु, अशासकीय संस्थान के सहयोग से कमाल का कैम्प, ‘‘कैच अप अभियान‘‘ लागू करने, समर कैम्प में बच्चों को भाषा तथा, अंकगणितीय कौशल को मजबूत करने हेतु, गाँव के बच्चों के साथ समर कैम्प, छः सप्ताह तक आयोजित किया गया। समर कैम्प में स्थानीय युवा स्वयं सेवक के रूप में तथा, स्थानीय शिक्षकों की मदद से बुनियादी साक्षरता एवं, गणित की दक्षता में सुधार करने के प्रयास किए गए।
कलेक्टर सुश्री हुड्डा द्वारा, इसी कड़ी में कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास करड़ावद बड़ी झाबुआ में, 12 मई से संचालित किए जा रहे चेतना समर कैम्प का समापन किया गया। इसके अन्तर्गत बच्चों द्वारा, सांस्कृतिक नृत्य एवं गीतों की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। नृत्य में बालिकाओं द्वारा पर्यावरण अन्तर्गत पेड़ों को बचाने का सन्देश दिया गया। कलेक्टर ने बालिकाओं द्वारा बनाई गई चित्रकला को देखा एवं, उनकी प्रशन्सा की. एवं बच्चों को पुरूस्कृत भी किया। इसके साथ ही बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान की लगाई गई प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए, बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

आवासीय जिला स्तरीय समरकैंप में जिले की शाला त्यागी, सिंगल पेरेंटस, अनाथ, बेघर, पलायन बालिकाओं को गांव-गांव से मोटिवेशन कैंप लगाकर बालिकाओं को होस्टल में लाया गया। इस समर कैंप का आधार बिन्दु भी ज्ञानात्मक विकास के साथ-साथ व्यक्ति विकास पर ध्यान देना था। समर कैम्प में आने के बाद दिनचर्या के अनुसार उठना, योगा, पीटी, सूर्यनमस्कार, कराटे, खेल-कूद बहुत ही आनन्ददायी रहा। बालिकाएं अत्यन्त हर्षित और उत्साही रही। नित-नये आयामों का समावेश किया गया। बालिकाओं की धैर्य की परीक्षा लेती गर्मी, विवाह समारोह के अवसरों को त्यागना और बालिकाओं की शत-प्रतिशत उपस्थिति इस कैंप की सफलताओं की खूबी को दर्शाती हैं। ऐसी स्थिती में 135 बालिकाओं ने ज्ञान और व्यक्तित्व विकास के इस समर में खुद को तलाशा।
नारंगी मेड़ा डुमपाडा से कहती है सीखते-सीखते दोपहर से शाम हो जाती आनन्ददायी लगता। शाम को कबड्डी खेलना मजेदार लगता। लक्ष्मी सिंगाड 8 वीं महुडीपाडा कहती है, पढना मुझे इतना अच्छा लग रहा है कि खुब पढ-लिख कर डॉक्टर बन जाऊ। आशा सिंगाड महुडीपाडा भी डॉक्टर बनना चाहती है। सारंगी पुलिस बन कर चोरो को पकडना चाहती है। इस प्रकार बच्चों द्वारा समर कैमप को लेकर अपने-अपने अनुभव साझा किए गए।
झाबुआ जिले के कस्तूरबा गांधी होस्टल और सुभाषचन्द्र बोस होस्टल की सभी वार्डन एवं सहायक वार्डन ने प्रतिदिन बहुत मेहनत कर बालिकाओं को लाभान्वित किया। रेमेडियल टीचर मनीषा कनेश तो बालिकाओं की चहेती बनी, पूरे समय उन्हें सीखाना, डान्स करवाना और उनकी समस्याओं को सुलझाना बेहतरीन रहा.

 

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