ग्राम पंचायतों में गौशालाओं के संचालन को लेकर ग्राम प्रधानों में अंतरिम आक्रोश

Aanchalik Khabre
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प्रमोद मिश्रा
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मऊ ब्लाक में वर्तमान में 54 गांवों मे गौशालाएं संचालित है । इन ग्राम पंचायतों के गौशालाओं की जिम्मेदारी योगी जी के अनुसार डीएम से लेकर प्रधानों तक होती है। पिछली 15 जुलाई को मऊ ब्लाक में प्रधान संघ की मीटिंग हुई थी और संयोग बस उसी दिन सांसद विधायक एस डीएम सभी लोग मौजूद हुए और प्रधानों की समस्या को सुना। और उसी दिन मनरेगा व गौशाला संचालन की समस्या को देखते हुए बांदा चित्रकूट सांसद आरके पटेल ने चित्रकूट डीएम को फोन करके मऊ ब्लाक के प्रधानों की समस्या बताई। जिलाधिकारी चित्रकूट के आश्वासन के बाद तुरंत मऊ ब्लाक की 32 गौशालाओं का पैसा प्रधानों के खाते में आ गया और मनरेगा के पैसे को लेकर ब्लॉक में जो बात हुई उसे भी जिलाधिकारी चित्रकूट ने पूरा कराया । आज प्रधानों की मीटिंग के 28 दिन बीत जाने के बाद ददरी, गोइया, भिटारी, हटवा ,नीवीं, चित्रवार, मोहिनी सखौहां, चकौर, तिलौली, छिवलहा ताड़ी आदि सभी 22 ग्राम पंचायतों में जीएसटी के कारण पैसा नहीं पहुंच पाया है । मऊ खंड विकास अधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि गौशालाओं में संचालन की व्यवस्था को प्रशासन द्वारा बदली जा रही है जिससे आगे चलकर गौशालाओं का पैसा डायरेक्ट आएगा । और इन ग्राम पंचायतों का पैसा भी आ जाएगा वीडियो मऊ ने बात बताई। मऊ ब्लाक के ग्राम प्रधानों में अंतरिम आक्रोश है कि गौवंश का भरण पोषण करना इतना आसान नहीं है बस डिजिटल व्यवस्था के कारण भूसा के कारण पशु भूखे रहें यह तर्कसंगत नहीं है ।कर्मचारियों का वेतन रुक जाए तो चल जाता है लेकिन गौशालाओं में जो बेजुबान गाय बछड़े क्या जाने। गौशाला का संचालन में देख-रेख करने वाले और चराने वाले मजदूर को भी आशा है की गौशाला का पैसा महीना महीना आएगा तो व्यवस्था सही हो जाएगी। जब गौशालाओं का पैसा समय पर नहीं आता तो कभी-कभी मजदूर भड़क जाते हैं और काम छोड़ देते हैं जब प्रधान बेचारा अपने घर से मजदूरों को पैसा देता है और उनको मनाता है तो उसे अतरिंम गतिरोध होता है ।और शासन प्रशासन के अधिकारी को भी गहनता से कुछ जरूरी वाली योजनाओं पर पारदर्शिता से ध्यान दें तो बहुत ही समस्याएं जो ग्राम पंचायत में हैं सुधर जाएंगी। प्रधानों का कहना है कि गौशालाओं के संचालन में समय से पैसा नहीं आता जिससे गौशालाओं के संचालन में बड़ी परेशानी आती है। कुछ भी अव्यवस्था यदि वित्त के कारण गड़बड़ाती है तो इसका जिम्मेदार कौन है । अतः ग्राम पंचायत में ढीला ढाली होने का कुछ कारण अधिकारी होते हैं जो प्रधानों को मिलाकर काम नहीं कर पाते इसलिए अवस्था होती है।

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