सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला: एक अनूठा उत्सव जो संस्कृति, कला और परंपरा को करता है जीवंत
1987 में हुई शुरुआत: कारीगरों को मंच देने के लिए रखा गया था सूरजकुंड मेले का आधार
42 देशों के 648 प्रतिभागी मेले में कर रहे हैं शिरकत
हस्तशिल्पी और कलाकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय पहचान का मंच
हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और कारीगरी का एक भव्य उत्सव है। यह मेला हस्तशिल्पियों, लोक कलाकारों और व्यंजनों के शौकीनों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। 7 फरवरी से शुरू हुआ यह मेला 23 फरवरी तक चलेगा, जिसमें देश और दुनिया से कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। *थीम राज्यों* के रूप में इस बार ओडिशा और मध्य प्रदेश को चुना गया है। मेले की शुरुआत से लेकर इसके भव्य आयोजन तक की पूरी कहानी दिलचस्प और प्रेरक है।
सूरजकुंड मेले का इतिहास और शुरुआत
1987 में इस मेले की नींव रखी गई थी, जब हरियाणा पर्यटन विभाग और केंद्रीय हस्तशिल्प बोर्ड ने इसे कारीगरों को सीधा बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया। उस समय देश के छोटे और मध्यम हस्तशिल्पियों को बाजार में जगह मिलना बेहद कठिन था। सूरजकुंड मेला इन कारीगरों के लिए एक मंच बना, जहां वे अपनी कला सीधे ग्राहकों के सामने प्रस्तुत कर सकते थे। धीरे-धीरे यह मेला लोकप्रिय होता गया और 2013 में इसे अंतर्राष्ट्रीय मेला का दर्जा मिल गया। तब से यहां हर साल दुनिया के कई देशों के कलाकार और शिल्पकार भाग लेते हैं।
क्यों खास है यह मेला?
सूरजकुंड मेला एक ऐसा मंच है, जहां भारत की सांस्कृतिक विविधता, हस्तशिल्प, संगीत, नृत्य और स्थानीय व्यंजन एक साथ देखने को मिलते हैं। यह न केवल कारीगरों की आजीविका को सशक्त बनाता है, बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल’ और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बढ़ावा देता है।
यह मेला महिला उद्यमियों के लिए भी एक बड़ा अवसर है। यहां विशेष रूप से महिला कारीगरों और शिल्पियों को अपनी कला और उत्पादों को प्रस्तुत करने का मौका दिया जाता है, जिससे महिला सशक्तिकरण को बल मिलता है।
थीम राज्य: ओडिशा और मध्य प्रदेश
इस बार ओडिशा और मध्य प्रदेश को मेले का थीम राज्य बनाया गया है।
– ओडिशा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, लोक कला, मंदिरों की भव्यता और विशेष हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। पट्टचित्र पेंटिंग, सांपुली नृत्य और रसोई घर के व्यंजन यहां के मुख्य आकर्षण हैं।
– मध्य प्रदेश, जिसे भारत का हृदय स्थल कहा जाता है, गोंड कला, महेश्वरी साड़ियां, और नर्मदा नदी के किनारे की समृद्ध संस्कृति को प्रस्तुत करता है।
थीम राज्यों की झलक मेले के हर कोने में दिखाई देगी। यहां के कलाकार अपनी पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लेंगे।
क्या रहेगा मेले में खास?
1. हस्तशिल्प और कारीगरी
मेले में देश और विदेश के 42 देशों के 648 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इनमें मिस्र, इथियोपिया, सीरिया और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं। हस्तशिल्पी अपनी अनूठी कला, जैसे मिट्टी की मूर्तियां, लकड़ी की नक्काशी, टेराकोटा, कपड़े की पेंटिंग्स, आदि का प्रदर्शन करेंगे।
2. विभिन्न व्यंजनों का स्वाद:
मेले में खाने-पीने के शौकीनों के लिए ढेर सारे विकल्प हैं।
– राजस्थान के दाल-बाटी चूरमा,
– गुजरात के ढोकला और खांडवी,
– तमिलनाडु का डोसा और इडली,
– पंजाब के मक्खन वाले परांठे,
– ओडिशा और मध्य प्रदेश के पारंपरिक व्यंजन यहां मौजूद होंगे।
इसके अलावा विदेशी व्यंजन भी आपको चखने को मिलेंगे, जो एक अलग अनुभव देंगे।
3. सांस्कृतिक कार्यक्रम:
हर शाम मेले में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होती हैं। भारत के विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य, संगीत और रंगारंग कार्यक्रम दर्शकों को बांधे रखते हैं।
4. बच्चों और परिवारों के लिए खास इंतजाम:
बच्चों के लिए मेले में झूले, खेल, और पारंपरिक खेलों की व्यवस्था है। परिवार यहां दिनभर आनंद ले सकते हैं।
टिकट और समय
– मेले की टाइमिंग सुबह 10:30 बजे से रात 8:30 बजे तक है।
– टिकट की कीमत सोमवार से शुक्रवार 120 रुपये है, जबकि वीकेंड पर यह 180 रुपये होगी।
– टिकट डीएमआरसी मोमेंटम 2.0 ऐप, सभी मेट्रो स्टेशनों और मेला स्थल पर उपलब्ध है।
– छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों को वीकेंड पर 50% छूट मिलेगी।
कैसे पहुंचे सूरजकुंड मेला?
सूरजकुंड दिल्ली, गुड़गांव और फरीदाबाद से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप यहां अपनी गाड़ी, कैब या सार्वजनिक परिवहन से आसानी से पहुंच सकते हैं। मेट्रो: निकटतम मेट्रो स्टेशन बदरपुर (दिल्ली मेट्रो की वायलेट लाइन) है। यहां से आप कैब या ऑटो लेकर मेला स्थल तक पहुंच सकते हैं।
– बस सेवा: आईएसबीटी, शिवाजी स्टेडियम, गुड़गांव और फरीदाबाद से नियमित बसें उपलब्ध हैं। डीएमआरसी द्वारा दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए 10 पार्किंग स्थल तैयार किए गए हैं। ग्रुप में आने वालों के लिए बस पार्किंग भी उपलब्ध है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मेले में सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। हर गतिविधि पर सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी। इसके अलावा पुलिस और अन्य सुरक्षा बल हर समय सतर्क रहेंगे ताकि मेले में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।
मेले की अहमियत
यह मेला सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की विविधता और एकता का प्रतीक है। यह शिल्प मेला भारतीय कारीगरों को अपनी कला को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का मौका देता है।
‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के अंतर्गत यह मेला छोटे और मध्यम उद्यमियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। कई हस्तशिल्पी, जो पहले सिर्फ स्थानीय बाजारों तक सीमित थे, इस मेले के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना चुके हैं।
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा
सूरजकुंड मेला महिला उद्यमियों के लिए भी बेहद खास है। यहां हर साल कई महिला हस्तशिल्पी और कारीगर अपनी कला का प्रदर्शन करती हैं। उनके लिए यह मेला आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक पहचान बनाने का एक बड़ा मंच है।
मेले का सांस्कृतिक महत्व
यह मेला न केवल भारत की समृद्ध संस्कृति का उत्सव है, बल्कि यह आधुनिकता और परंपरा का संगम भी प्रस्तुत करता है। यहां हर आयु वर्ग के लोगों के लिए कुछ न कुछ खास है। यह मेला न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि हमें हमारी जड़ों से भी जोड़ता है।
सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला कारीगरों, कलाकारों और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक ऐसा मंच है, जहां कला और परंपरा का जीवंत रूप देखा जा सकता है। अगर आप भारतीय संस्कृति की गहराई में जाना चाहते हैं, तो यह मेला आपके लिए आदर्श स्थान है। यहां बिताए गए पल न केवल आपको मनोरंजन देंगे, बल्कि भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर को समझने का मौका भी देंगे।
तो तैयार हो जाइए इस भव्य उत्सव में शामिल होने के लिए, जहां हर कोना कहता है— “भारत की विविधता में ही उसकी असली ताकत है।”