झांसी शहर एक बड़े जालसाजी मामले से हिल उठा है, जिसमें होम लोन और प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी की गई है। इस मामले में मुख्य आरोपी अजय भार्गव पुत्र रामनरेश भार्गव, जो कृष्णा इंक्लेव, सीपरी बाजार, झांसी का निवासी है, ने लोगों को अपने झांसे में लेकर उनके मेहनत की कमाई लूट ली। इस जालसाजी का खुलासा तब हुआ जब पीड़ितों ने थाना नवाबाद में प्राथमिकी दर्ज कराई।
मित्रवत व्यवहार से विश्वास जीतकर ठगी
अजय भार्गव ने बीकेडी रोड पर ‘सिद्धी विनायक फाइनेंशियल सर्विसेस’ नामक एक ऑफिस खोल रखा था, जिसमें वह स्वयं प्रोपराइटर था। इस फर्म के जरिए वह होम लोन, प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने का काम करता था। अजय ने बहुत ही शातिर तरीके से अपने शिकार बनाए।
सबसे पहले, उसने लोगों से मित्रवत व्यवहार कर उनका विश्वास जीता। वह बार-बार किसी अच्छे प्लॉट या मकान की डील करवाने का वादा करता और धीरे-धीरे अपने जाल में फंसा लेता। जब पीड़ित उसके झांसे में आ जाते, तो वह उन्हें अपने ऑफिस में बुलाकर फर्जी होम लोन की फाइल तैयार करवा देता।
फर्जी दस्तावेज और होम लोन की साजिश
अजय भार्गव ने लोगों को यह विश्वास दिलाने के लिए कि वे सही निर्णय ले रहे हैं, मकान का मुआयना कराया और उसकी फोटोग्राफी भी करवाई। उसके बाद उसने फर्जी होम लोन की प्रक्रिया शुरू की और पीड़ितों को भरोसा दिलाया कि उनका लोन जल्दी पास हो जाएगा।
पीड़ितों को यह एहसास नहीं था कि वे एक बड़े जाल में फंस चुके हैं। अजय ने सारे दस्तावेज अपने कब्जे में रख लिए और होम लोन के नाम पर कुछ रकम एडवांस में भी ले ली। उसने यह वादा किया कि बाकी की रकम होम लोन स्वीकृत होने के बाद चुका दी जाएगी। पीड़ितों को विश्वास था कि उनका पैसा सुरक्षित है और वे जल्द ही अपने सपनों का घर खरीद लेंगे।
बैंक आरटीजीएस और नकद भुगतान से करोड़ों की ठगी
अजय भार्गव की फर्म सिद्धी विनायक फाइनेंशियल सर्विसेस के माध्यम से कई पीड़ितों ने बैंक के जरिए आरटीजीएस ट्रांसफर किया, जबकि कुछ ने नकद भी दिया। वह बहुत ही चालाकी से उन्हें भरोसा दिलाता रहा कि उनकी प्रक्रिया सही चल रही है और जल्द ही सबकुछ पूरा हो जाएगा।
हर लेन-देन में वह अधिक से अधिक पैसा ऐंठने की कोशिश करता। वह हमेशा नई योजनाओं का बहाना बनाकर पीड़ितों को लुभाता और बड़ी रकम वसूलता।
10 सितंबर 2024 को उसने अपने शिकारों को तहसील बुलाया, यह कहकर कि वह प्लॉट की रजिस्ट्री करवाएगा। उसने स्टाम्प खरीदने के बहाने बुलाया और इस दौरान और अधिक पैसे वसूल लिए।
जब पीड़ित तहसील पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि अजय भार्गव वहां से गायब हो चुका था। उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि वे ठगे जा चुके हैं और उनके लाखों-करोड़ों रुपये डूब चुके हैं।
जब पीड़ितों को सच्चाई का पता चला, तो उन्होंने थाना नवाबाद में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि अजय भार्गव ने उनके साथ धोखाधड़ी की है और होम लोन के नाम पर फर्जीवाड़ा किया है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है और आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत जुटाने का प्रयास कर रही है।
इस मामले में अजय भार्गव के खिलाफ कई गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्नलिखित धाराएँ शामिल हो सकती हैं:
धारा 420 (धोखाधड़ी) – झूठे बहाने से पैसे ऐंठने के लिए।
धारा 406 (अमानत में खयानत) – विश्वासघात कर पैसे हड़पने के लिए।
धारा 467 (जालसाजी) – फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए।
धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) – गलत इरादे से कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के लिए।
धारा 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) – नकली कागजात का इस्तेमाल कर ठगी करने के लिए।
पीड़ितों की हालत और न्याय की उम्मीद
इस ठगी में कई लोगों की जिंदगीभर की पूंजी चली गई। वे अब न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। कई लोगों ने अपने जीवनभर की बचत अजय भार्गव को सौंप दी थी, यह सोचकर कि वे अपना खुद का घर ले सकेंगे।
पीड़ितों का कहना है कि उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए और उनके पैसे वापस किए जाने चाहिए। पुलिस प्रशासन इस मामले की जांच कर रहा है और आरोपी को जल्द पकड़ने की कोशिश कर रहा है।
झांसी में हुए इस बड़े जालसाजी कांड ने कई लोगों को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है जो होम लोन और प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने की प्रक्रिया में जल्दबाजी करते हैं। यह जरूरी है कि लोग ऐसे मामलों में पूरी सतर्कता बरतें और बिना जांच-पड़ताल के किसी भी दलाल या एजेंट पर भरोसा न करें।
अब देखना यह होगा कि कानून अपना काम कितनी तेजी से करता है और अजय भार्गव को कब तक गिरफ्तार किया जाता है। इस मामले का निष्कर्ष आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा, लेकिन एक बात तय है—जो भी हो, यह घटना झांसी के इतिहास में एक बड़ा जालसाजी कांड बनकर दर्ज हो चुकी है।