144 साल बाद दुर्लभ संयोग, मोक्ष की कामना लिए उमड़ा जनसैलाब
महाशिवरात्रि पर महास्नान का महापुण्यकाल, 21.46 घंटे तक खुला रहेगा मोक्ष का द्वार
66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के महास्नान की संभावना, प्रशासन हाई अलर्ट
महाकुंभ में उमड़ा विदेशी श्रद्धालुओं का सैलाब, आध्यात्मिक यात्रा का अद्भुत अनुभव
महाशिवरात्रि पर संगम स्नान से मिलेगा जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति
श्रद्धालुओं की ऐतिहासिक भीड़, प्रयागराज में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
प्रयागराज का महाकुंभ अपने चरम पर पहुंच चुका है। आस्था, विश्वास और सनातन परंपराओं की अलौकिक छटा इस बार पूरे विश्व में चर्चा का विषय बनी हुई है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर संगम नगरी में श्रद्धालुओं का महासैलाब उमड़ पड़ा है। यह अद्भुत संयोग 144 साल बाद बना है, जिसके साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग प्रयागराज पहुंचे हैं।
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान कर श्रद्धालु शांति, मोक्ष और पुण्य की कामना कर रहे हैं। हर रोज सवा करोड़ से अधिक भक्त संगम की रेत पर जुटकर पवित्र स्नान कर रहे हैं। इस अद्भुत जनसैलाब को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर सुरक्षा तक के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।
66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु होंगे महास्नान के सहभागी
अब तक महाकुंभ में 64 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। अनुमान है कि महाशिवरात्रि पर यह आंकड़ा 66 करोड़ के पार चला जाएगा। श्रद्धा और आस्था का यह सैलाब पूरे विश्व में अपने आप में अनूठा और ऐतिहासिक बन चुका है।
महाकुंभ में कई बार ऐसा हुआ जब एक ही दिन में दो करोड़ से अधिक भक्त संगम तट पर पहुंचे। ऐसे दुर्लभ संयोगों ने इस आयोजन को और भी भव्य बना दिया है। महाशिवरात्रि पर होने वाला महास्नान इस पूरे महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण स्नान होगा, जिसमें संतों, नागा साधुओं और श्रद्धालुओं का अद्वितीय संगम देखने को मिलेगा।
महाशिवरात्रि पर 21.46 घंटे का महास्नान, शुभ मुहूर्त में डुबकी से मिलेगा अद्भुत फल
महाशिवरात्रि पर इस बार स्नान का महापुण्यकाल पूरे 21.46 घंटे तक रहेगा। इसका शुभारंभ भोर में *सुबह 5:09 बजे* से होगा और यह अगले दिन तक चलता रहेगा। मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि का स्नान सुख, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। इस महास्नान के दौरान विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत, महामंडलेश्वर और श्रद्धालु अपने आराध्य शिव को जल अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़, प्रशासन हाई अलर्ट पर
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की ऐतिहासिक संख्या को देखते हुए प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह मुस्तैद हैं। पूरे कुंभ क्षेत्र को *’नो व्हीकल जोन’* घोषित कर दिया गया है। रेलवे और बस अड्डों पर अतिरिक्त हेल्पडेस्क लगाए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
विशेष सुरक्षा इंतजाम:
– कुंभ क्षेत्र में 5,000 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
– 15,000 पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक बलों की तैनाती
– 150 से अधिक वॉच टावर और ड्रोन कैमरों की व्यवस्था
– संगम तट पर मेडिकल कैंप और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे संगम पर अनावश्यक भीड़ लगाने के बजाय नजदीकी घाटों पर स्नान करें, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति से बचा जा सके।
विदेशी श्रद्धालुओं का भी संगम तट पर जमावड़ा
महाकुंभ की आभा केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में प्रयागराज पहुंचे हैं। अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, रूस, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी से हजारों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।
यह पहली बार है जब विदेशी पर्यटकों की इतनी बड़ी संख्या महाकुंभ में देखी गई है। कई विदेशी श्रद्धालुओं ने इसे “अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा” बताया और कहा कि वे इस अनुभव को जीवनभर नहीं भूलेंगे।
हर अमृत स्नान पर उमड़ा ढाई करोड़ से अधिक का जनसैलाब
महाकुंभ के दौरान हर प्रमुख स्नान पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। हर अमृत स्नान के दौरान ढाई करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में डुबकी लगाई।
इतना ही नहीं, 12 बार ऐसा हुआ जब डेढ़ करोड़ से अधिक भक्त संगम की रेत पर उमड़े और पवित्र स्नान किया। यह अद्वितीय नजारा दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक बन चुका है।
साधु-संतों की पेशवाई ने बढ़ाई महाकुंभ की दिव्यता
महाकुंभ का सबसे आकर्षक दृश्य रहा नागा साधुओं और महामंडलेश्वरों की पेशवाई। हाथी, घोड़े, ऊंट और सजे-धजे रथों पर सवार साधु-संतों की यह शोभायात्रा संगम नगरी के आकर्षण का केंद्र बनी रही।
इस पेशवाई में जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा समेत सभी 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर, महंत, श्रीमहंत और हजारों नागा साधु शामिल हुए। उनके जयघोष से पूरी संगम नगरी गूंज उठी।
महाशिवरात्रि पर मोक्ष प्राप्ति का दुर्लभ संयोग
इस बार महाशिवरात्रि पर महाकुंभ का महास्नान विशेष महत्व रखता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार ऐसा दुर्लभ योग बन रहा है, जिसमें स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
श्रद्धालु इस महास्नान को लेकर बेहद उत्साहित हैं और गंगा की लहरों में आस्था की डुबकी लगाकर अपने जीवन को धन्य बना रहे हैं।
संगम तट पर आस्था का महासमुद्र, अंतिम स्नान की भव्य तैयारियां
महाशिवरात्रि के महास्नान के बाद भी श्रद्धालुओं की आस्था की लहरें शांत नहीं होंगी। अंतिम स्नान के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
अंतिम स्नान की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन पहले से अलर्ट मोड में आ चुका है। श्रद्धालुओं से बार-बार अपील की जा रही है कि वे धैर्य और संयम बनाए रखें और सुरक्षा नियमों का पालन करें।
महाशिवरात्रि पर उमड़े आस्था के महासागर ने रचा इतिहास
प्रयागराज में इस बार का महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के वैभव का सबसे बड़ा उत्सव बन चुका है। महाशिवरात्रि के इस महास्नान में करोड़ों श्रद्धालु शामिल होकर आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो चुके हैं।
अब सबकी निगाहें महाकुंभ के अंतिम पड़ाव पर हैं, जहां संगम की रेत पर एक बार फिर आस्था की सुनामी देखने को मिलेगी। महाकुंभ 2025 का यह आयोजन अब तक का सबसे भव्य और ऐतिहासिक बन चुका है, जिसने पूरी दुनिया को सनातन संस्कृति की शक्ति का एहसास कराया है।
प्रयागराज उत्तर प्रदेश से शनि केशरवानी की रिपोर्ट देखते रहिये आपका अपना चैनल आंचलिक खबरें अपनों की खबर आप तक