सात निर्धन कन्याओं का हुआ सामूहिक विवाह, वैदिक मंत्रों के बीच बंधे पवित्र बंधन में
विवाह के उपरांत विशाल भंडारा, हजारों श्रद्धालुओं ने लिया प्रसाद
झाँसी: सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा और सामूहिक विवाह समारोह का भव्य समापन
रामगढ़ शिव मंदिर में हर साल होता है भव्य धार्मिक और सामाजिक आयोजन
रामगढ़, झाँसी। धार्मिक आस्था, भक्ति और सामाजिक समरसता का प्रतीक बना श्रीरामगढ़ शिव मंदिर, जहां शंकर सेवा समिति के तत्वावधान में सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा और सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया।
इस भव्य और दिव्य आयोजन में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हर दिन भगवान की कथा और भजन-कीर्तन से वातावरण गुंजायमान होता रहा, और समापन दिवस पर सात कन्याओं के सामूहिक विवाह और विशाल भंडारे के साथ इस कार्यक्रम ने अपनी पूर्णता प्राप्त की।
मंदिर की विशेषता: जहां हर महाशिवरात्रि नाग देवता के रूप में प्रकट होते हैं भोलेनाथ
इस आयोजन की सबसे खास बात यह थी कि इसे रामगढ़ स्थित शिव मंदिर में आयोजित किया गया, जिसकी मान्यता है कि हर महाशिवरात्रि पर भगवान शिव स्वयं नाग देवता के रूप में प्रकट होते हैं। स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि इस दिन मंदिर में नाग देवता के दर्शन होते हैं, लेकिन वे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते। श्रद्धालुओं के अनुसार, यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है, और हर साल हजारों लोग यहाँ आकर भगवान शिव के दिव्य दर्शन करते हैं।
कलश यात्रा से हुआ शुभारंभ, भव्य शोभायात्रा ने मोहा मन
कार्यक्रम की शुभ शुरुआत एक विशाल कलश यात्रा के साथ हुई। कलश यात्रा में सैकड़ों महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया। भक्तगण भगवान के भजनों का गायन करते हुए चले, और पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। इस भव्य शोभायात्रा में मुख्य अतिथि के रूप में संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक डॉ. संदीप सरावगी उपस्थित रहे। उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन समाज में धार्मिक और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं।
सात दिन तक प्रवाहित हुई श्रीमद् भागवत कथा की दिव्य गंगा
भागवत कथा को भगवान का संदेश माना जाता है, और इस सात दिवसीय आयोजन में भक्तों ने श्रीमद् भागवत के दिव्य प्रसंगों को सुना।
कथा वाचक ज्योति और प्रदीप तोमर ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, गोवर्धन पूजा, रासलीला, और गीता उपदेश का वर्णन किया, जिससे श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
हर दिन कथा के दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने प्रवचन सुने और भक्ति में लीन हो गए। कथा के दौरान भक्तों ने श्रीकृष्ण और राधा के भजनों पर झूमते हुए भक्ति की शक्ति को अनुभव किया।
सात कन्याओं का सामूहिक विवाह: नवजीवन की नई शुरुआत
समापन दिवस पर सात निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह संपन्न कराया गया। विवाह संस्कार वैदिक रीति-रिवाजों से हुआ, और कन्याओं को वरमाला, मंडप, फेरों, और विदाई की रस्मों के साथ विदा किया गया।
शंकर सेवा समिति ने नवविवाहित जोड़ों को गृहस्थ जीवन के लिए आवश्यक सामग्री उपहारस्वरूप प्रदान की। विवाह समारोह में उपस्थित डॉ. संदीप सरावगी ने नवदंपतियों को आशीर्वाद देते हुए कहा:
“आज जिन नवदंपतियों का विवाह हुआ है, निश्चित रूप से उनके जीवन में भगवान शिव की कृपा आजीवन रहेगी। हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ये दांपत्य जीवन सुखमय और मंगलमय रहे।”
विशाल भंडारा: प्रेम और सेवा का महायज्ञ
विवाह समारोह के बाद विशाल भंडारा आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
भंडारे में संतों, श्रद्धालुओं और स्थानीय ग्रामीणों को भोजन कराया गया। इस दौरान आयोजन समिति के सदस्य और ग्रामीण सेवा कार्यों में तत्पर रहे।
भंडारे के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए खिचड़ी, पूरी-सब्जी, हलवा, और पंचामृत का प्रसाद वितरित किया गया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सामाजिक कार्यकर्ताओं, धार्मिक संस्थाओं, और स्थानीय निवासियों का विशेष योगदान रहा।
आस्था, सेवा और सामाजिक समरसता का संगम
इस सात दिवसीय आयोजन ने आस्था, अध्यात्म, सेवा और सामाजिक सौहार्द का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।
श्रीमद् भागवत कथा से श्रद्धालुओं ने धर्म और भक्ति के मार्ग को अपनाने की प्रेरणा ली, तो सामूहिक विवाह से समाज में समानता और सहयोग की भावना को बल मिला। समापन दिवस पर उपस्थित भक्तों ने इस आयोजन की सफलता के लिए शंकर सेवा समिति और समस्त सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।
“यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक उत्थान का भी प्रतीक है।”—यह शब्द थे एक श्रद्धालु के, जो इस भव्य समारोह का हिस्सा बने।
रामगढ़ शिव मंदिर में हर साल इस तरह के धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, और यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी।