कटनी में दर्दनाक हादसा: दो युवकों की मौत के बाद भड़का गुस्सा, पुलिस पर लगे लापरवाही के आरोप
धरना प्रदर्शन से चार जिलों का संपर्क टूटा, सड़क पर रखे गए शव
कलेक्टर को बुलाने की मांग पर अड़े ग्रामीण, कई घंटे तक चक्काजाम
अधिकारियों ने समझाइश दी, लेकिन नहीं माने प्रदर्शनकारी
सात सूत्रीय मांगों के साथ ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन, जांच का मिला आश्वासन
ओवरलोडिंग बना हादसे की वजह? ट्रैक्टर मालिक और चालक पर जांच जारी
मध्य प्रदेश के कटनी जिले के ढीमरखेड़ा थाना क्षेत्र में मंगलवार दोपहर एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। ग्राम जिरी में एक तेज़ रफ्तार ट्रैक्टर-ट्रॉली पलट गई, जिसमें आनंद यादव और चाहत यादव की मौके पर ही मौत हो गई। इस दुखद घटना के बाद जहां पीड़ित परिवारों में मातम पसर गया, वहीं ग्रामीणों का गुस्सा भी सातवें आसमान पर था। पुलिस पर समय पर न पहुंचने के गंभीर आरोप लगाए गए, जिसके चलते गांव में आक्रोश फैल गया।
पुलिस की लापरवाही से उफना आक्रोश
हादसे की खबर मिलते ही ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, लेकिन घंटों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। दावा किया जा रहा है कि जब ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन करना शुरू किया, तब जाकर प्रशासन की नींद टूटी। लेकिन तब तक हालात बेकाबू हो चुके थे। पुलिस और ग्रामीणों के बीच तीखी नोकझोंक हुई, और देखते ही देखते मामला तनावपूर्ण हो गया।
धरने पर बैठे ग्रामीण, चार जिलों का संपर्क टूटा
बुधवार सुबह गुस्साए ग्रामीणों ने दूडहा मोड़ पर चक्काजाम कर दिया। मृतक चाहत यादव का शव सड़क पर रखकर सुबह 10:45 बजे से धरना प्रदर्शन शुरू हुआ, जो शाम 3:45 बजे तक जारी रहा। इस प्रदर्शन के कारण स्लीमनाबाद-विलायतकला मार्ग और ढीमरखेड़ा-खमतरा मार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया, जिससे चार जिलों का आवागमन रुक गया।
कलेक्टर को बुलाने की मांग, पुलिस बल तैनात
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने साफ कह दिया कि जब तक कलेक्टर खुद मौके पर नहीं आएंगे, वे धरना खत्म नहीं करेंगे। प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। हालात बिगड़ते देख कटनी जिले के बड़वारा, उमरियापान, स्लीमनाबाद और बरही थानों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। एडिशनल एसपी संतोष डेहरिया को खुद मोर्चा संभालना पड़ा।
ग्रामीणों की सात सूत्रीय मांगें और प्रशासन का आश्वासन
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने सात सूत्रीय मांगों का एक ज्ञापन प्रशासन को सौंपा, जिसमें शामिल थे:
1. पुलिस की लापरवाही की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
2. मृतकों के परिवार को सरकारी मुआवजा दिया जाए।
3. गांव में सड़क सुरक्षा के लिए स्पीड ब्रेकर और संकेतक लगाए जाएं।
4. दोषी वाहन मालिक और चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
5. घायलों को सरकारी खर्च पर बेहतर इलाज मिले।
6. ट्रैक्टर-ट्रॉली पर ओवरलोडिंग रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं।
7. गांव में पुलिस गश्त बढ़ाई जाए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि सभी शिकायतों की बिंदुवार जांच होगी और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। आश्वासन मिलने के बाद ही प्रदर्शन समाप्त हुआ।
हादसे के पीछे कौन? जांच के घेरे में ट्रैक्टर मालिक
पुलिस इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि ट्रैक्टर-ट्रॉली में ओवरलोडिंग थी, जिसके कारण वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह महज एक हादसा था या इसके पीछे किसी की लापरवाही छिपी थी? पुलिस ट्रैक्टर मालिक और चालक से पूछताछ कर रही है।
क्या पुलिस और प्रशासन की लापरवाही दो जिंदगियां निगल गई?
इस घटना ने पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर पुलिस समय पर पहुंचती, तो क्या हालात इतने बिगड़ते? क्या प्रशासन की निष्क्रियता ने इन दो युवकों की जान ले ली? ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब पूरा कटनी जिला मांग रहा है।
ग्रामीणों में डर और गुस्सा, न्याय की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस मामले में कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे फिर से आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। लोग चाहते हैं कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को सख्त सजा मिले ताकि भविष्य में कोई और परिवार अपने बेटों को न खोए।
क्या मिलेगा न्याय?
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन वाकई इस हादसे से सबक लेगा और दोषियों को सजा दिलाएगा? या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा? मृतकों के परिजनों की आंखों में आंसू हैं, लेकिन दिल में न्याय की उम्मीद भी। अब यह देखना होगा कि प्रशासन अपने वादों पर कितना खरा उतरता है।