Chirgaon UP : चिरगांव पुलिस की अनूठी पहल: अवैध शराब पर रोक और बच्चों को शिक्षा का संदेश

News Desk
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चिरगांव थाना क्षेत्र में आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। इसी कड़ी में थाना प्रभारी तुलसीराम पांडे, वरिष्ठ उपनिरीक्षक आनंद सिंह, उपनिरीक्षक प्रांजल परिहार, उपनिरीक्षक जगमोहन, हेड कांस्टेबल जया एवं राखी वर्मा ने पुलिस बल के साथ महेवा कबूतरा डेरा और संतरी डेरा पर छापा मारा। उन्हें सूचना मिली थी कि इन इलाकों में कच्ची शराब का निर्माण किया जा रहा है।

800 लीटर लहन नष्ट किया गया

छापेमारी के दौरान पुलिस को बड़ी मात्रा में कच्ची शराब बनाने के सबूत मिले। पुलिस टीम ने मौके पर ही करीब 800 लीटर लहन (शराब बनाने का मिश्रण) नष्ट कर दिया, जिससे अवैध शराब निर्माण पर एक बड़ी रोकथाम हो सकी। इस कार्रवाई के दौरान थाना प्रभारी तुलसीराम पांडे ने स्थानीय लोगों से भी बातचीत की और उन्हें अवैध कार्यों में संलिप्त न होने की हिदायत दी। उन्होंने विशेष रूप से कबूतरा जाति के बच्चों और उनके अभिभावकों से बात की और उन्हें शिक्षा के महत्व को समझाया।

बच्चों को दी शिक्षा की सीख

कबूतरा समुदाय पर अक्सर अवैध शराब निर्माण और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगता रहा है। इस समुदाय के कई बच्चे शिक्षा से दूर रहते हैं और बचपन में ही गलत कार्यों की ओर बढ़ जाते हैं। थाना प्रभारी तुलसीराम पांडे ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और मौके पर मौजूद छोटे-छोटे बच्चों से बातचीत की। उन्होंने बच्चों को समझाया कि अगर वे पढ़ाई करेंगे तो एक दिन पुलिस अधिकारी या समाज में एक जिम्मेदार व्यक्ति बन सकते हैं।

थाना प्रभारी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, “अगर आप स्कूल जाओगे, पढ़ाई लिखाई करोगे, तो एक दिन हम जैसे पुलिस अधिकारी बन सकते हो। लेकिन अगर पढ़ाई नहीं करोगे, तो जिंदगी संघर्षमय होगी।”

उनकी इस प्रेरणादायक बातचीत के दौरान बच्चों ने भी पूरी दिलचस्पी दिखाई और शिक्षा के महत्व को समझने की कोशिश की।

थाना प्रभारी ने बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नारा भी दिया—
“स्कूल का बैग या बोरी!”
इस नारे का अर्थ था कि या तो बच्चे शिक्षा प्राप्त करें और स्कूल का बैग उठाएं, या फिर बोरी उठाकर मजदूरी करें। यह संदेश बच्चों और उनके माता-पिता को गहरे तक प्रभावित कर गया। बच्चों ने इस नारे को जोर से दोहराया और अपनी पढ़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।

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बच्चों के उत्साह को देखकर थाना प्रभारी तुलसीराम पांडे ने सभी बच्चों से वादा लिया कि वे अब से नियमित रूप से स्कूल जाएंगे और अपनी शिक्षा को प्राथमिकता देंगे।

पढ़ाई में रुचि दिखाने पर थाना प्रभारी ने बच्चों को दिया इनाम का वादा
थाना प्रभारी ने वहां बैठे छोटे बच्चों से उनकी पढ़ाई और विषयों के बारे में सवाल किए। जब बच्चों ने सही-सही उत्तर दिए तो उन्होंने उनकी प्रशंसा की और उनके ज्ञान की सराहना की।

बच्चों के आत्मविश्वास और पढ़ाई के प्रति रुचि देखकर थाना प्रभारी बेहद खुश हुए। उन्होंने घोषणा की कि होली के दिन उन सभी बच्चों को पुरस्कार दिया जाएगा, जो स्कूल जाते रहेंगे और अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे। इससे बच्चों में और अधिक उत्साह देखने को मिला।

यह पूरी घटना केवल एक पुलिस छापेमारी तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की पहल थी। कबूतरा जाति के कई परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी पारंपरिक अवैध कार्यों में संलिप्त रहते हैं, जिससे उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। लेकिन इस बार पुलिस ने केवल कानूनी कार्रवाई नहीं की, बल्कि समाज सुधार की दिशा में भी कदम बढ़ाया।

थाना प्रभारी तुलसीराम पांडे ने इस दौरान वहां मौजूद अभिभावकों से भी बातचीत की और उन्हें अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “अगर आपके बच्चे पढ़ाई करेंगे, तो उनका भविष्य उज्जवल होगा। वे बड़े अधिकारी बन सकते हैं, समाज में इज्जत पा सकते हैं। लेकिन अगर वे अशिक्षित रहेंगे, तो उनका जीवन संघर्षों से भरा रहेगा।”

अभिभावकों ने भी इस बात को समझा और अपने बच्चों को स्कूल भेजने का संकल्प लिया।

पुलिस की अनूठी पहल की सराहना

चिरगांव थाना क्षेत्र में पुलिस द्वारा की गई इस अनूठी पहल की स्थानीय लोगों ने जमकर सराहना की। आमतौर पर पुलिस को केवल कानून लागू करने वाला एक सख्त विभाग माना जाता है, लेकिन इस बार पुलिस ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक प्रेरणादायक भूमिका निभाई।

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि अपराध और अवैध गतिविधियों को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका शिक्षा है। यदि बच्चों को सही मार्गदर्शन दिया जाए, तो वे गलत रास्ते पर जाने के बजाय एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।

चिरगांव थाना पुलिस की यह पहल न केवल एक कानून व्यवस्था की कार्रवाई थी, बल्कि यह समाज सुधार का एक उदाहरण भी बन गई। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कबूतरा डेरा और संतरी डेरा के बच्चे अपने इस संकल्प को कितनी दूर तक निभाते हैं और शिक्षा के माध्यम से अपने भविष्य को कैसे संवारते हैं।

 

 

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