एक शांत-सी सुबह थी, जब दिल्ली के एक स्कूल के बाहर अभिभावकों की भीड़ जुटने लगी। चेहरों पर चिंता थी, हाथों में तख्तियां – “No More Fee Hike”, “हम कोई ATM नहीं!” जैसे नारों के साथ गूंज उठा राजधानी का एक कोना। यह सिर्फ एक विरोध नहीं था, यह दिल्ली के Private Schools की मनमानी के खिलाफ एक जन आंदोलन था, जिसकी गूंज सीएम Rekha Gupta तक भी पहुंची।
Delhi Schools Fee Hike: गहराता संकट और बढ़ती नाराजगी
दिल्ली में स्कूल फीस बढ़ोतरी कोई नया मुद्दा नहीं है, लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गया। Delhi Schools Fee Hike की लगातार मिलती शिकायतों ने सरकार को सख्ती बरतने पर मजबूर कर दिया। DPS द्वारका, सृजन स्कूल, क्वीन मैरी स्कूल समेत कई प्रतिष्ठित निजी स्कूलों पर आरोप लगे कि उन्होंने बिना पूर्व अनुमति के फीस में भारी बढ़ोतरी की। ना कोई ट्रांसपेरेंसी, ना कोई जवाबदेही।
CM Rekha Gupta का ऐक्शन – शिक्षा में सुधार या इमेज बिल्डिंग?
दिल्ली की मुख्यमंत्री Rekha Gupta ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत स्पेशल ऑडिट टीम गठित की। उन्होंने कहा –
“हम अपने बच्चों की शिक्षा को धंधा नहीं बनने देंगे। ये सरकार सिर्फ रिपोर्ट्स नहीं, परिणाम भी देगी।”
Education in Delhi में ये पहली बार है जब फीस बढ़ोतरी को लेकर इतनी सख्ती दिखाई गई हो। दिल्ली सरकार ने साफ किया कि बिना सरकार की इजाजत के कोई भी स्कूल फीस ,(School fee hike) नहीं बढ़ा सकता।
600 स्कूलों की जांच, 10 पर गिरी गाज
सरकार के आदेश पर 16 अप्रैल को 600 से ज्यादा स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट मांगी गई। इनमें से 10 स्कूलों में गंभीर अनियमितताओं के संकेत मिले, जिन्हें नोटिस जारी कर दिया गया। ये सिर्फ शुरुआत थी।
Private Schools in Delhi को अब जवाब देना होगा कि उन्होंने किस आधार पर फीस बढ़ाई, और क्या उन्होंने पैरेंट्स को कोई वैध स्पष्टीकरण दिया?
शिक्षा मंत्री आशीष सूद का कड़ा संदेश
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा –
“हमने 600 स्कूलों की रिपोर्ट मंगवाई है, और जो स्कूल नियम तोड़ेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय है। यह कोई ‘फुलेरा की पंचायत’ नहीं, बल्कि दिल्ली की ज़िम्मेदार सरकार है।”
इस बयान में उन्होंने पिछली सरकार पर भी तंज कसा कि पहले कभी इतने बड़े स्तर पर ऑडिट नहीं हुआ।
जब स्कूल बना धमकी का अड्डा – 2.15 करोड़ का लीगल नोटिस
इस लड़ाई में एक चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब सृजन स्कूल ने अभिभावकों की एक एसोसिएशन को ₹2.15 करोड़ का लीगल नोटिस भेज दिया।
इस एसोसिएशन ने स्कूल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया था कि Private Schools in Delhi फीस तो बढ़ा रहे हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं दे रहे।
स्कूल की दलील –
“इन विरोध प्रदर्शनों की वजह से हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ और एडमिशन प्रभावित हुआ है।”
“इन विरोध प्रदर्शनों की वजह से हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ और एडमिशन प्रभावित हुआ है।”
ये तो वही बात हुई – ऊपर से मनमानी करो और सवाल पूछो तो धमकी दो!
“स्कूल है या कॉरपोरेट?” – अभिभावकों का फूटा गुस्सा
दिल्ली के Directorate of Education (DOE) के बाहर विरोध कर रहे एक पिता ने कहा –
“बच्चों की पढ़ाई का खर्च समझते हैं, पर ये फीस नहीं, लूट है।”
एक मां बोली –
“₹50,000 की सालाना फीस में से आधा कंप्यूटर लैब के नाम पर लिया जाता है, जबकि लैब में कोई सिस्टम चालू ही नहीं!”
यह गुस्सा एक या दो स्कूल के खिलाफ नहीं था – यह पूरे Education in Delhi सिस्टम के खिलाफ था जो अब तक निजी हाथों में बंधक बनता जा रहा था।
CM Rekha Gupta की अगुआई में ‘सख्ती का नया अध्याय’
Rekha Gupta सरकार ने न सिर्फ नोटिस दिए, बल्कि आगे की कार्रवाई का भी खाका तैयार कर लिया है:
- हर स्कूल की ऑडिट रिपोर्ट अनिवार्य होगी
- DOE के नियमों का उल्लंघन करने पर मान्यता रद्द की जा सकती है
- अभिभावकों की शिकायतों के लिए हेल्पलाइन शुरू होगी
- भविष्य में कोई भी फीस वृद्धि बिना पूर्व अनुमति के नहीं होगी
दिल्ली का शिक्षा इतिहास – पहली बार Students को मिली सीधी राहत
शायद पहली बार दिल्ली के शिक्षा इतिहास में ऐसा हुआ जब सरकार ने छात्रों और अभिभावकों को सीधी राहत दी। DPS द्वारका समेत 11 स्कूलों को शो-कॉज नोटिस (कारण बताओ नोटिस) दिया गया।
ये कदम दिखाता है कि अब सरकार केवल प्रेस बयान तक सीमित नहीं रहेगी।
“फुलेरा की पंचायत” बनाम नई सरकार – राजनीति गरमाई
आशीष सूद ने जब अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा –
“पिछली सरकार पांच साल में सिर्फ 700 स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट ले पाई थी, हमने आठ दिन में 600 की रिपोर्ट मंगवा ली।”
तो यह सीधा संकेत था कि आने वाले चुनावों में Education in Delhi बड़ा मुद्दा बनने वाला है।
अब विपक्ष और आम आदमी पार्टी पर भी सवाल उठ रहे हैं – क्या उन्होंने वाकई शिक्षा व्यवस्था को सुधारा था या सिर्फ विज्ञापनों में दिखाया?
आगे क्या?
अभी सरकार की जांच जारी है। माना जा रहा है कि जल्द ही और स्कूलों को नोटिस जारी होंगे। इसके साथ-साथ पैरेंट्स और सरकार मिलकर एक नई एजुकेशनल पॉलिसी बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं।
पैरेंट्स की एकजुटता, मीडिया का दबाव और सरकार की सक्रियता – ये तीनों मिलकर अब दिल्ली में शिक्षा के नाम पर हो रही लूट को रोकने का काम कर रहे हैं।
शिक्षा नहीं बिकेगी, बच्चों का भविष्य नहीं डिगेगा
Delhi Schools Fee Hike, Private Schools in Delhi, CM Rekha Gupta, और Education in Delhi जैसे मुद्दों के बीच जो सबसे जरूरी बात उभर कर सामने आई है – वो ये कि अब दिल्ली के अभिभावक जाग चुके हैं।
सरकार को जवाबदेह बनाया जा रहा है, और स्कूलों को नियमों के दायरे में लाने की कोशिश हो रही है।
यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि एक शैक्षिक क्रांति की शुरुआत है। क्योंकि जब फीस से ज्यादा लड़ाई बच्चों के भविष्य की हो, तो जीत सिर्फ सरकार की नहीं होती, जीत पूरे समाज की होती है।
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