क्या पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का परिवार इस गहरे जाल में फंस चुका है?
क्या ईडी ने उनके बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार करके एक बड़ा राजनीतिक विस्फोट कर दिया है?
सनसनीखेज मामला जिसने छत्तीसगढ़ की राजनीति हिला दी
एक ऐसा मामला जो पूरे राज्य की राजनीति को हिला कर रख दे. एक ऐसा सिंडिकेट जो तीन साल तक सरकार की आंखों के सामने चलता रहा. और करोड़ों की कमाई, वो भी अवैध शराब से!
2018 से शुरू हुई थी पृष्ठभूमि
शुरुआत होती है 2018 से.जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत होती है और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते हैं। लेकिन सत्ता के साथ आता है साया. घोटालों का। और यहीं से शुरू होती है कथित ‘शराब घोटाले‘ की दास्तान!
2019 से 2022 तक चला गोरखधंधा: ईडी के अनुसार
ईडी का दावा है कि इस घोटाले की शुरुआत 2019 में होती है और अगले तीन सालों तक, यानी 2022 तक, छत्तीसगढ़ की आबकारी व्यवस्था में ऐसा खेल खेला गया जिसमें शराब की हर बोतल एक नई साजिश की गवाही दे रही थी।
2024: छापेमारी और गिरफ्तारी का बड़ा झटका
2024 में पड़ता है पहला बड़ा झटका! प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम रायपुर में भूपेश बघेल के घर पहुंचती है। साथ ही उनके बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों पर भी छापेमारी होती है।
शराब वितरण प्रणाली कैसे बनी भ्रष्टाचार का केंद्र?
राज्य में शराब बिक्री को लेकर बना सिस्टम — छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL), धीरे-धीरे एक समानांतर शराब माफिया के कंट्रोल में चला गया।
नकली होलोग्राम, फर्जी बोतलें और सीधे ठेके
शराब की बोतलों में असली होने का सबूत देने वाले होलोग्राम को ही नकली बना दिया गया। इसके लिए नोएडा की कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया गया। नियम बदले गए और ठेका दे दिया गया।
पूरा नेटवर्क: अधिकारी, नेता, कारोबारी और कंपनियां
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नकली होलोग्राम
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नकली बोतलों में भरी गई शराब
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बिना सरकारी वेयरहाउस के सीधे ठेकों तक आपूर्ति
ईडी का दावा है कि करीब 40 लाख लीटर शराब अवैध रूप से बेची गई — बिना किसी रिकॉर्ड के।
मास्टरमाइंड कौन?
ईडी की जांच में सामने आए प्रमुख नाम:
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अरुणपति त्रिपाठी (पूर्व MD, CSMCL)
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अनवर ढेबर (शराब कारोबारी, रायपुर मेयर के भाई)
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अनिल टुटेजा (IAS अधिकारी)
इनकी गिरफ्तारी के बाद सामने आया कवासी लखमा का नाम, जिन्हें हर महीने 2 करोड़ रुपये घूस मिलती थी, ईडी का दावा है।
भूपेश बघेल का बेटा चैतन्य इस घोटाले में कैसे जुड़ा?
ईडी सूत्रों के अनुसार, चैतन्य बघेल के कुछ बैंक ट्रांजेक्शन और कंपनियों से लिंक इस शराब नेटवर्क से जुड़े नजर आए। इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया और रिमांड पर भेजा गया।
क्या ये राजनीतिक बदले की कार्रवाई है?
भूपेश बघेल ने इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया, लेकिन सवाल बाकी हैं:
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क्या वाकई तीन साल तक राज्य में करोड़ों की शराब बेची गई — वो भी बिना किसी रिकॉर्ड के?
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क्या पूर्व मुख्यमंत्री का परिवार सिर्फ नामजद है या इस पूरे घोटाले का हिस्सा?
दर्ज की गई FIR में शामिल नाम
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अरुणपति त्रिपाठी (CSMCL के पूर्व एमडी)
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अनिल टुटेजा (IAS अधिकारी)
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अनवर ढेबर (शराब कारोबारी)
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कवासी लखमा (पूर्व आबकारी मंत्री)
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चैतन्य बघेल (पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे)
कितना बड़ा है यह घोटाला?
ईडी के अनुसार, अब तक की जांच में करीब 2,000 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की पुष्टि हुई है।
निष्कर्ष: यह सिर्फ शराब नहीं, सत्ता का खेल है
ये सिर्फ शराब का मामला नहीं है.
यह है — सत्ता, सिस्टम और संगठित भ्रष्टाचार की वो कहानी, जो छत्तीसगढ़ को हमेशा के लिए बदल सकती है।