शुरुआत: एक मां और उसका बेटा लापता… कोई सुराग नहीं!
“देश की राजधानी से गायब हुई एक मां और उसका मासूम बेटा.”
“ना पासपोर्ट की ट्रेसिंग में कोई सुराग मिला, ना बॉर्डर पर कोई रिकॉर्ड.CCTV में दिखी एक झलक फिर सब कुछ गायब!”
- शुरुआत: एक मां और उसका बेटा लापता… कोई सुराग नहीं!
- सवाल खड़े होते हैं: अपहरण या अंतरराष्ट्रीय साज़िश?
- केस की गूंज सुप्रीम कोर्ट तक
- कस्टडी विवाद बना अहम बिंदु
- केंद्र सरकार का बयान: महिला देश में ही है!
- हाई अलर्ट: देशभर में तलाश शुरू
- सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश: हर सेकंड कीमती है!
- नया सुराग: 5 जुलाई को रूसी दूतावास पहुंची महिला
- बढ़ता सस्पेंस: दूतावास के बाद कहां गई महिला?
- टूट चुका है परिवार से संपर्क
- मानसिक दबाव या डर का असर?
- विदेश नहीं गई, लेकिन कोई डेटा नहीं!
- फिर गई कहां मां और बेटा?
- अगली सुनवाई: 21 जुलाई
सवाल खड़े होते हैं: अपहरण या अंतरराष्ट्रीय साज़िश?
क्या ये एक सुनियोजित अपहरण है?
या फिर कोई अंतरराष्ट्रीय साज़िश?
या फिर एक मां अपने बेटे को किसी खतरे से बचाकर कहीं छिप गई है?
केस की गूंज सुप्रीम कोर्ट तक
यह कहानी दिल्ली की सड़कों से शुरू होकर सीधे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है।
मामला तब सामने आया जब भारतीय पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कस्टडी विवाद बना अहम बिंदु
कहानी में ट्विस्ट यह है कि मां-पिता के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर पहले से कोर्ट में मामला चल रहा था।
केंद्र सरकार का बयान: महिला देश में ही है!
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया:
“महिला ने देश छोड़ा नहीं है। वह भारत में ही है। लेकिन उसकी कोई लोकेशन ट्रेस नहीं हो रही है।”
हाई अलर्ट: देशभर में तलाश शुरू
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लुकआउट नोटिस जारी
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‘ह्यू एंड क्राय’ नोटिस पूरे देश में फैलाया
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रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल, एयरपोर्ट्स पर कड़ी नजर
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सीसीटीवी फुटेज की जांच तेज़
सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश: हर सेकंड कीमती है!
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता में कोर्ट ने कहा:
“हमें बहुत जल्दी कुछ करना होगा… महिला और बच्चे की सुरक्षा को लेकर स्थिति गंभीर है!”
नया सुराग: 5 जुलाई को रूसी दूतावास पहुंची महिला
महिला 5 जुलाई को करीब एक घंटे के लिए रूसी दूतावास में गई थी।
वहां उसने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और कानूनी मदद मांगी।
बढ़ता सस्पेंस: दूतावास के बाद कहां गई महिला?
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क्या दूतावास से निकलने के बाद महिला कहीं छिप गई?
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क्या उसे मदद मिली?
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या फिर ये पहले से प्लान किया गया था?
टूट चुका है परिवार से संपर्क
महिला का रूस में अपने परिवार से भी संपर्क टूट गया है —
ना कॉल, ना मैसेज, ना कोई डिजिटल सुराग!
मानसिक दबाव या डर का असर?
पिता ने कोर्ट में बताया:
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महिला भावनात्मक रूप से अस्थिर हो गई थी
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बार-बार कहती थी — “अगर बच्चा मुझसे छिना तो मैं उसे लेकर चली जाऊंगी…”
विदेश नहीं गई, लेकिन कोई डेटा नहीं!
जांच में सामने आया:
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एयरपोर्ट पर कोई स्कैन नहीं
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पासपोर्ट मोशन नहीं
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रेलवे या बस डेटा में कोई एंट्री नहीं
फिर गई कहां मां और बेटा?
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क्या वो देश में ही छिपे हैं?
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क्या किसी ने उन्हें मदद दी?
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क्या ये किडनैपिंग है?
अगली सुनवाई: 21 जुलाई
सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 21 जुलाई को तय की है।
अब यही तारीख बन गई है इस रहस्य को सुलझाने की उम्मीद!
निष्कर्ष: एक अनसुलझा रहस्य या सिस्टम की चूक?
“दिल्ली से गायब एक विदेशी महिला और उसका मासूम बच्चा…”
“कहीं एक मां अपने बेटे के लिए लड़ाई लड़ रही है…”
“या फिर एक सिस्टम अपनी लापरवाही से एक मासूम की जिंदगी से खेल रहा है…”
इस रहस्यमयी कहानी का सच… अभी बाकी है!