बुंदेलखंड के इस गांव में हो रहा है कुछ ऐसा, जिसे सुनकर रह जाएंगे आप हक्के-बक्के!
अपने आप ही धरती उगलने लगी है पानी
सालों से सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में एक अजीबो-गरीब वाकया सामने आ रहा है। जी हां दोस्तों, झरने गिरते देखे, नदी बहती देखी, लेकिन हैंडपंप को छुए बिना ही पानी निकलना देखने वालों को हैरत में डाल रहा है।
सालों के सूखे के बाद यह कैसे संभव हो गया?
लोग इस चमत्कार को देवी कृपा मानकर दूर-दूर से देखने आ रहे हैं।
यह घटना उत्तर प्रदेश के झाँसी ज़िले के चिरगांव के लुधियाई गांव की है।
15 दिनों से चल रही रहस्यमयी घटना
यहां पिछले 15 दिनों से चार हैंडपंप बिना किसी के चलाए अपने आप ही उगल रहे हैं पानी।
इस घटना को देखने के लिए आसपास के गाँवों से लोग आ रहे हैं और हैरानी से अपना सर खुजला रहे हैं।
देवी कृपा या भूगर्भीय चमत्कार?
आख़िर अपने आप ही हैंडपंप क्यों देने लगे हैं पानी?
जहां कभी एक-एक बूंद के लिए संघर्ष था, आज वहाँ बिना छुए पानी निकल रहा है।
लोगों को यह किसी दिव्य कृपा से कम नहीं लग रहा।
जनविश्वास: ईश्वर की विशेष अनुकम्पा
ग्रामीणों का मानना है कि सूखा झेल रहे क्षेत्र पर ईश्वर की विशेष कृपा हुई है, जिससे यह संभव हुआ है।
इस कारण दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी इसकी चर्चा हो रही है और लोग इसे देखने आ रहे हैं।
24 घंटे लगातार पानी दे रहे हैंडपंप
लुधियाई गांव में लगे हैंडपंप 24 घंटे लगातार पानी दे रहे हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि यह केवल बरसात के मौसम में जलस्तर बढ़ने के कारण होता है।
क्या यह सिर्फ एक प्राकृतिक घटना है?
बरसात में नदियों और तालाबों का जलस्तर बढ़ने से यह स्थिति बनती है।
गर्मियों में जहां लोग पानी की एक-एक बूंद को तरसते हैं, वहीं बरसात में ये हैंडपंप अपने आप पानी देना शुरू कर देते हैं।
यह केवल एक प्राकृतिक घटना भी हो सकती है।
लोगों में बना कौतूहल का माहौल
यहां रोज लोग इसे देखने आते हैं। हैंडपंप से लगातार पानी निकल रहा है।
ग्रामीणों के मुताबिक, बरसात में जलस्तर बढ़ने से यह स्थिति करीब दो महीने तक बनी रहती है।
भूगर्भीय कारणों से भी जुड़ा है यह रहस्य
इसके पीछे भूगर्भीय कारण होते हैं, लेकिन गांव में इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं।
बुंदेलखंड क्षेत्र में भारी बारिश के चलते सभी नदियाँ-नाले उफान पर हैं, जिससे भूजल स्तर में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
बच्चों और ग्रामीणों के लिए बना आकर्षण का केंद्र
फिलहाल यह नज़ारा ग्रामीणों और बच्चों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।
यह घटना विज्ञान और विश्वास के बीच एक अनोखी कड़ी बन गई है।