(Todar Mal – एक ऐसे योग्य दीवान, जिन्होंने भारत के प्रशासनिक ढांचे और धार्मिक समरसता की नींव रखी)
भूमिका: एक प्रभावी शासन निर्माता की खोज :
भारतीय इतिहास में कई ऐसे व्यक्तित्व हुए हैं जिन्होंने शासन-प्रणालियों को न केवल आकार दिया बल्कि समाज की ज़ोँ तक परिवर्तन पहुँचाया। उनमें से एक प्रमुख नाम है Diwan Todar Mal(टोडल मल)। अकबर के नवरत्नों में शामिल यह व्यक्तित्व केवल एक वित्त मंत्री नहीं, बल्कि भारतीय राजस्व व्यवस्था के संस्थापक के रूप में इतिहास के महत्वपूर्ण शख्स माने जाते है।
उनके कार्यों की छाया ना केवल अकबर के शासनकाल में देखने को मिलती है, बल्कि ब्रिटिश शासन और स्वतंत्र भारत के प्रशासनिक ढांचे में भी उनकी सोच की झलक स्पष्ट दिखाई पड़ती है |
History of Todar Mal : प्रारंभिक जीवन और उदय :
Diwan Todal Mal का जन्म 1500 ई. में उत्तर भारत में हुआ था। वे एक हिंदू कायस्थ परिवार से सम्बंधित थे। उन्होंने अपने प्रशासनिक सेवा की शुरुआत शेरशाह सूरी के शासनकाल में की थी । उन्होंने भूमि माप, राजस्व एकत्रीकरण और लेखा-जोखा प्रणाली में अनुभव अर्जित किया।
शेरशाह के निधन के बाद, वे मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार में शामिल हुए और वहां अपनी प्रशासनिक क्षमता के बल पर उच्च पद प्राप्त किया |
Diwan Todar Mal: अकबर के सबसे विश्वसनीय मंत्री :
अकबर के शासन में टोडरमल को “दीवान” का पद प्राप्त हुआ, जिसे आज के वित्त मंत्री के समान समझा जा सकता है। वह न केवल अकबर के नवरत्नों में से एक थे, बल्कि अकबर की राजस्व नीति के मुख्य शिल्पकार भी थे। इसलिए उन्हें “Diwan Todar Mal” नाम से जाना जाता है।
उन्होंने ज़ब्ती प्रणाली (Zabt System) को व्यवस्थित किया और पूरे मुग़ल साम्राज्य में उसे लागू भी किया। इसमें तीन वर्षों की औसत उपज और भूमि की गुणवत्ता के आधार पर कर निर्धारण किया जाता था। उन्होंने ‘दहसाला प्रणाली’ का विकास किया जो एक भूमि राजस्व व्यवस्था थी, तथा उस समय के लिए यह अत्यंत वैज्ञानिक और न्यायसंगत व्यवस्था साबित हुई |
तोदरमल की प्रशासनिक उपलब्धियाँ :
- भूमि माप प्रणाली का नवाचार :- तोदरमल ने बांस की छड़ों की बजाय ‘जरीब’ नामक रस्सी का प्रयोग शुरू किया, जिसमें हर गाठ पर लोहे की रिंग होती थी। इससे माप में सटीकता आई।
- नक्शे और भू-अभिलेखों का निर्माण :- उन्होंने पूरे साम्राज्य की भूमि का वर्गीकरण किया और राजस्व मानचित्र बनाए।
- किसानों को लाभ :- कर वसूली में पारदर्शिता लाने के लिए गांवों में लेखपालों की नियुक्ति की गई। इससे किसान वर्ग को भरोसा मिला।
- खजाना और लेखा प्रणाली :- आधुनिक लेखांकन प्रणाली के बीज उन्होंने ही बोए। प्रत्येक विभाग को जवाबदेह बनाया गया।
Diwan Todar Mal Religion: धार्मिक सहिष्णुता और विश्वास :
Todar Mal का संबंध एक हिंदू कायस्थ परिवार से था, परंतु वह हर धर्म के प्रति समान श्रद्धा रखते थे। वे कर्मकांडी नहीं थे, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों में विश्वास रखते थे। Diwan Todar Mal धर्म पर चर्चा करते समय यह विशेष ध्यान देते थे ताकि अकबर के दरबार में कभी धार्मिक भेदभाव न किया जाए| ‘सुलह-ए-कुल’ (सभी धर्मों से मेल) की नीति एक प्रसिद्ध उदाहरण है ।
उनके नेतृत्व में राजस्व विभाग में मुस्लिम, हिंदू, जैन और अन्य धर्मों के कर्मचारी एक साथ कार्यरत थे।
Todar Mal Sikh History: सिख धर्म में योगदान का प्रतीक :
सिख इतिहास (Todar Mal Sikh History) में दीवान टोडरमल को एक धार्मिक नायक के रूप में याद किया जाता है। जब गुरु तेग बहादुर का शीश दिल्ली में शहीद कर दिया गया, तो उनके पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी गई थी।
तब दीवान टोडरमल ने पटियाला के नवाब को भारी कीमत चुकाकर (सोने की ईंटें ) जमीन खरीदी, जिससे अंतिम संस्कार संभव हो सका। उनका यह साहसिक कार्य सिख इतिहास में मानवता और समर्पण का प्रतीक बन गया।
Todar Mal और गुरु गोविन्द सिंह के आपसी सम्बन्ध :
गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे, साहिबजादा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और साहिबजादा फतेह सिंह (6 वर्ष) तथा माता गुजरी जी को सिरहिंद के नवाब वजीर खान ने पकड़ लिया और साहिबजादों को दीवार में जिंदा चिनवा दिया गया। माता गुजरी जी ने भी वहीं किले में प्राण त्याग दिए।
उस दौर में सिरहिंद में भय का वातावरण था। किसी में साहिबजादों और माता गुजरी जी के शवों को संस्कार देने की हिम्मत नहीं थी, क्योंकि जो ऐसा करता, उसे मुग़ल प्रशासन शत्रु मानता और सजा देता।
दीवान टोडर मल, जो गुरु साहिब के अनुयायी और सिरहिंद के एक काबिल सेठ थे, उन्होंने साहिबजादों और माता गुजरी जी के संस्कार का बीड़ा उठाया। मुग़ल अधिकारियों ने शर्त रखी कि संस्कार हेतु जमीन इतनी ही दी जाएगी, जितनी जमीन टोडर मल सोने की चादरों से ढक दें।
टोडर मल ने अपने सम्पूर्ण जीवन की जमा पूंजी के सोने के सिक्कों को चादर की तरह बिछा कर वह जमीन खरीदी। उन्होंने साहिबजादों और माता जी का पूरे सम्मान और मर्यादा से संस्कार किया।
गुरु गोविंद सिंह जी को जब इस त्याग की जानकारी मिली, तो वे भावुक और कृतज्ञ हुए, उन्होंने टोडर मल को “धर्म और मानवता का रक्षक” कहा। गुरु साहिब ने कहा कि “इस संसार में जिसने सच्ची सेवा की, वही वास्तव में मेरा सच्चा साथी है।”
Diwan Todar Mal’s Family: वंशजों की स्थिति :
आज Diwan Todar Mal के परिवार के विषय में सीमित जानकारी उपलब्ध है। कई इतिहासकार मानते हैं कि उनके वंशज उत्तर प्रदेश और बिहार के कायस्थ समुदाय में बसे हैं। कुछ परिवार दावा करते हैं कि उनके पूर्वज Todar Mal से संबंधित थे, विशेषतः प्रशासनिक पदों पर कार्य करने वाले कायस्थ परिवार शामिल है।
हालांकि, कोई ठोस ऐतिहासिक रिकॉर्ड अब तक सार्वजकि रूप से नहीं पाया गया है। फिर भी, Todar Mal की परंपरा और मूल्य आज भी उन परिवारों में जीवित हैं जो शिक्षा, प्रशासन और धर्म में अग्रणी हैं।
जहाज़ हवेली: उनकी भक्ति की एक यादगार मिसाल :
राजस्थान के बीकानेर में स्थित जहाज़ हवेली अपने अद्भुत स्थापत्य और भक्ति की मिसाल के कारण प्रसिद्ध है। इसका निर्माण व्यापारी जहाज़ मल चोपड़ा ने 19वीं शताब्दी में कराया था। जहाज़ मल जी बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे, जिन्होंने अपने व्यापार से प्राप्त धन का उपयोग समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में लगाया।
यह हवेली बाहर से देखने में जहाज़ जैसी आकृति में प्रतीत होती है, इसलिए इसका नाम ‘जहाज़ हवेली’ पड़ा। इसकी दीवारों पर सुंदर चित्रकारी, नक्काशीदार खिड़कियां और भव्य झरोखे इसकी भव्यता को बढ़ाते हैं। हवेली में देवी-देवताओं की कलात्मक आकृतियां और धार्मिक कहानियों पर आधारित चित्र भी अंकित हैं, जो जहाज़ मल जी की भक्ति और आस्था को दर्शाते हैं।
जहाज़ हवेली बीकानेर की संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है। यहाँ पर देश-विदेश से पर्यटक इसकी वास्तुकला और इसकी भक्ति से जुड़ी कहानियों को जानने आते हैं। आज भी यह हवेली जहाज़ मल जी की समाज और धर्म के प्रति निःस्वार्थ सेवा और भक्ति का प्रतीक बनी हुई है।
Todar Mal Jain: जैन परंपरा और नाम से भ्रम :
इतिहास में एक और तोदरमल का नाम उल्लेखनीय है जो जैन धर्म (Todar Mal Jain) से संबंधित थे। यह दीवान टोडरमल, गुरु तेग बहादुर जी के समकालीन थे, और उन्होंने गुरुजी के अंतिम संस्कार हेतु ज़मीन खरीदने के लिए नवाब से जमीन सोने की ईंटों से खरीदी थी।
यह कार्य इतना साहसिक था कि उन्हें जान का खतरा था, लेकिन उन्होंने धर्म और मानवता के लिए आर्थिक और सामाजिक बलिदान किया।
यह तोदरमल और अकबर के दीवान तोदरमल दो भिन्न व्यक्ति हैं, परंतु दोनों की निष्ठा और सेवा भावना समान रूप से प्रेरणादायक है।
Todar Mal को “राजा टोडलमल” क्यों कहा जाता है?
राजा टोडर मल मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उनका असली नाम टोडर मल था, लेकिन उन्हें “राजा” की उपाधि अकबर ने उनके योगदान और ईमानदारी के कारण दी। टोडर मल मुगल साम्राज्य के वित्त मंत्री थे और उन्होंने भूमि राजस्व व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किए। उन्होंने “दशाला प्रणाली” लागू की, जिसमें किसानों की भूमि की नाप-जोख कर उपज के अनुसार कर निर्धारित किया जाता था। इस व्यवस्था से किसानों पर कर का बोझ कम हुआ और मुगल शासन की आय बढ़ गई।
टोडर मल ने फसलों की पैदावार और भूमि की स्थिति का गहराई से अध्ययन कर राजस्व निर्धारण की पारदर्शी व्यवस्था बनाई। उनके प्रयासों से राज्य में कर संग्रह में ईमानदारी आई और किसानों में शासन के प्रति विश्वास बढ़ा। उनके उत्कृष्ट कार्य और निष्ठा के कारण अकबर ने उन्हें “राजा” की उपाधि देकर सम्मानित किया।
Todar Mal’s Death: मृत्यु और विरासत :
Todar Mal की मृत्यु 1589 ई. उनकी मृत्यु एक ऐसे समय हुई जब अकबर की प्रशासनिक संरचना अपनी परिपक्वता की ओर बढ़ रही थी। उनकी मृत्यु को अकबर ने प्रमुख व्यक्तिगत क्षति माना जाता है।
मगर Todar Mal की बनाई राजस्व प्रणाली इतनी सुदृढ़ थी कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी उसी प्रणाली को अपनाया और उसे ‘Permanent Settlement’ के नाम से लागू किया।
निष्कर्ष: युगपुरुष जो नीति, धर्म और मानवता का संगम बन कर उभरे:
तोदरमल केवल एक प्रशासक नहीं थे, वे एक विचारधारा थे। उन्होंने भारतीय समाज को कर, भूमि, न्याय और धर्म के क्षेत्रों में दिशा दी। Todar Mal का व्यक्तित्व इस बात का प्रतीक है कि जब व्यक्ति में प्रशासनिक दक्षता, धार्मिक सहिष्णुता, और जनकल्याण की भावना एकत्रित हो जाती है, तब वह युग निर्माण करता है।
उनका जीवन, उनकी नीतियाँ और उनके नाम से जुड़े धर्मों के प्रति श्रद्धा, आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस काल में थीं। चाहे वह अकबर के दीवान तोदरमल हों या सिख इतिहास के जैन दीवान तोदरमल, दोनों ने मानवता के आदर्शों को जीवित रखा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
Q1. दीवान टोडरमल कौन थे?
उत्तर: दीवान टोडरमल अकबर के नवरत्नों में से एक थे और मुग़ल साम्राज्य के वित्त मंत्री थे। उन्होंने राजस्व प्रणाली, भूमि मापन और प्रशासनिक सुधारों में क्रांतिकारी बदलाव किए।
Q2. टोडरमल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि क्या थी?
उत्तर: टोडरमल की सबसे बड़ी उपलब्धि “दहसाला प्रणाली” थी, जिसमें भूमि की माप और औसत उपज के आधार पर कर निर्धारण किया गया।
Q3. क्या टोडरमल और सिख धर्म का कोई संबंध है?
उत्तर: हाँ, सिख इतिहास में भी टोडरमल को याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी के अंतिम संस्कार के लिए सोने की ईंटों से ज़मीन खरीदी थी।
Q4. क्या दीवान टोडरमल जैन थे या हिंदू?
उत्तर: दीवान टोडरमल अकबर के दरबार में एक हिंदू कायस्थ थे। हालांकि, सिख इतिहास में जिन टोडरमल का उल्लेख है वे जैन थे। ये दो अलग-अलग व्यक्ति हैं जिनका नाम समान है।
Q5. टोडरमल की मृत्यु कब और कैसे हुई?
उत्तर: टोडरमल की मृत्यु 1589 ईस्वी में हुई थी। उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी बनाई गई नीतियाँ लंबे समय तक प्रशासन में प्रभावशाली रहीं।
Q6. उन्हें “राजा टोडरमल” क्यों कहा गया?
उत्तर: अकबर ने टोडरमल को उनके असाधारण प्रशासनिक कार्यों और निष्ठा के लिए “राजा” की उपाधि दी थी।