ऑपरेशन महादेव: भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई और पाकिस्तान की बौखलाहट

Aanchalik Khabre
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ऑपरेशन महादेव

ऑपरेशन महादेव क्या है

ऑपरेशन महादेव भारतीय सेना द्वारा चलाया गया एक सटीक और साहसी सैन्य अभियान है, जिसे जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले के हरवन के पास लिदवास क्षेत्र में अंजाम दिया गया। यह अभियान आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए उन गिने-चुने अभियानों में से एक है, जिसने न केवल देश की सुरक्षा को मजबूत किया बल्कि घाटी में शांति बहाल करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हुआ। ऑपरेशन महादेव का नाम श्रीनगर की पवित्र और रणनीतिक महादेव चोटी के नाम पर रखा गया, जो जबारवान रेंज का हिस्सा है और हिन्दू धार्मिक परंपरा में भी इसका महत्व है।

भारत का ऑपरेशन महादेव

भारत का ऑपरेशन महादेव एक बहु-एजेंसी ऑपरेशन था, जिसे भारतीय सेना की 24 राष्ट्रीय राइफल्स, 4 पैरा स्पेशल फोर्सेस, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने मिलकर अंजाम दिया। इस ऑपरेशन की सफलता खुफिया एजेंसियों की सटीक जानकारी, तकनीकी निगरानी और स्थानीय सहयोग से संभव हो सकी। ऑपरेशन के दौरान 3 आतंकियों को ढेर किया गया, जिनमें से एक – हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाह – पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था। यह वही हमला था जिसमें 22 अप्रैल को बैसारन घाटी में 26 निर्दोष हिंदू पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

ऑपरेशन महादेव जम्मू कश्मीर: खुफिया सूचना से कार्रवाई तक

ऑपरेशन महादेव जम्मू कश्मीर में आतंकियों का पता लगाने के लिए ड्रोन सर्विलांस, बकरवाल समुदाय का सहयोग और इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्शन का उपयोग किया गया। जुलाई की शुरुआत में सुरक्षा बलों ने दाचीगाम के घने जंगलों में संदिग्ध चीनी अल्ट्रा रेडियो कम्युनिकेशन इंटरसेप्ट किया, जो पहलगाम हमले में इस्तेमाल हुए उपकरण से मेल खाता था। इसके बाद लगातार 14 दिनों तक आतंकियों की निगरानी की गई और फिर 29 जुलाई की सुबह 11 बजे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।
घने जंगलों में घिरे इन आतंकियों के पास से एक एम4 कार्बाइन, दो AK-47 राइफलें, 17 ग्रेनेड और पाकिस्तानी वोटर आईडी कार्ड बरामद हुए। इन हथियारों का बैलिस्टिक विश्लेषण करने पर यह पुष्टि हुई कि इन्हीं हथियारों का उपयोग पहलगाम हमले में किया गया था। यही नहीं, उनके पास से पाकिस्तानी चॉकलेट और संचार डिवाइसेज भी मिले।

ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकी

ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकी बेहद खतरनाक थे। इनमें मुख्य था – हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाह – जो पाकिस्तान की सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पूर्व पैरा-कमांडो था। बाद में वह लश्कर-ए-तैयबा (LET) में शामिल हो गया और पहलगाम नरसंहार का मुख्य साजिशकर्ता बना। उसके साथ मारे गए अन्य दो आतंकी – जिबरान और अबू हमजा – भी लश्कर के प्रशिक्षित आतंकी थे। जिबरान पर अक्टूबर 2023 के सोनमर्ग टनल हमले का आरोप था।

ऑपरेशन महादेव क्यों है महत्वपूर्ण

देश की सुरक्षा के लिए निर्णायक जवाब: 26 निर्दोष भारतीयों की हत्या का बदला लेना आतंक के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश है।

तकनीकी और सामरिक दक्षता का प्रदर्शन: ड्रोन सर्विलांस, रेडियो इंटरसेप्ट, बकरवालों का नेटवर्क – सबका सामंजस्य।

पाकिस्तान की भूमिका बेनकाब: सुलेमान शाह के पाकिस्तान सेना से संबंध और उसके पास से मिले सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि पाकिस्तानी सेना और ISI सीधे इन हमलों के पीछे थे।

पाकिस्तान की बौखलाहट: सफेद झूठ और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भ्रम

ऑपरेशन महादेव की सफलता से पाकिस्तान की नींद उड़ गई है। इस पर पाकिस्तान सरकार और मीडिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत पर ‘निर्दोष पाकिस्तानियों की हत्या’ का आरोप लगाया। उनका दावा है कि भारत जानबूझकर पाक नागरिकों को आतंकवादी बताकर मार रहा है। पाकिस्तान इस बात पर चुप्पी साधे है कि ये तथाकथित “निर्दोष” पाकिस्तानी भारत की सीमा में हथियारों से लैस होकर कर क्या कर रहे थे?

पाकिस्तानी प्रतिक्रिया के पीछे दो मुख्य कारण हैं:

असफलता से ध्यान हटाना: हाल ही में बलोच विद्रोहियों द्वारा पाकिस्तान की ज़फर एक्सप्रेस पर किए गए हमले से पैदा हुई अस्थिरता से आम जनता का ध्यान हटाने के लिए भारत के खिलाफ झूठे दावे किए जा रहे हैं।

भारत की छवि को खराब करना: पाकिस्तान हमेशा से आतंकवाद को “फ्रीडम फाइट” की आड़ में प्रोत्साहित करता रहा है और ऐसे अभियानों से उसका झूठ बेनकाब होता है।

भारतीय नेतृत्व की प्रतिक्रिया

ऑपरेशन महादेव की सफलता पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया तीखी और स्पष्ट रही। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इस ऑपरेशन की जानकारी दी और बताया कि मारे गए सभी आतंकी न केवल पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार थे, बल्कि भारत में बड़े हमलों की साजिश रच रहे थे।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि “यह ऑपरेशन भारत की गरिमा की वापसी है” और इसे प्रधानमंत्री मोदी की आतंकवाद के खिलाफ ‘मजबूत प्रतिक्रिया’ करार दिया।

ऑपरेशन महादेव: आतंक के खिलाफ एक निर्णायक मोर्चा

ऑपरेशन महादेव एक ऐसा मिशन बन गया है जिसे आने वाले वर्षों तक आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता और सामर्थ्य के उदाहरण के रूप में याद किया जाएगा। ऑपरेशन महादेव ने यह दिखा दिया कि भारत अब केवल हमलों का शिकार नहीं बनेगा, बल्कि उनके सूत्रधारों को खोजकर, उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाएगा।

यह ऑपरेशन घाटी के शांतिप्रिय नागरिकों में विश्वास पैदा करता है और आतंकवादियों के मन में डर। चिनार कोर के नेतृत्व में महादेव चोटी की तलहटी से निकली यह जीत घाटी में एक नई सुबह का संकेत देती है।

निष्कर्ष

ऑपरेशन महादेव क्या है, यह समझना आज की भारत-पाक सच्चाई को जानने के लिए जरूरी है। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि आतंक के खिलाफ एक नैतिक, सामरिक और राजनीतिक लड़ाई का प्रतीक है। पाकिस्तान की बौखलाहट इस बात का प्रमाण है कि भारत सही दिशा में है।

ऑपरेशन महादेव, आतंक के खिलाफ भारत की नीति का अगला पड़ाव है – निर्णायक, साहसी और न्यायसंगत। इसकी गूंज श्रीनगर से लेकर इस्लामाबाद तक और संसद से लेकर सीमाओं तक सुनी जा रही है

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