परिचय:
बख्तियार खिलजी का पूरा नाम था इख्तियार-उद-दीन मुहम्मद बख्तियार खिलजी (Ikhtiyar-ud-din Muhammad Bakhtiyar Khilji)। वह 12वीं शताब्दी के अंत और 13वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत आए मुस्लिम तुर्क आक्रमणकारियों में से एक था। वह खिलजी वंश से था, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया में बसा एक तुर्की मूल का जनजातीय समुदाय था।
प्रारंभिक जीवन और सैन्य सफर:
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जन्म: सटीक जन्मतिथि अज्ञात है, परंतु वह 12वीं शताब्दी के मध्य में पैदा हुआ था।
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शुरुआती जीवन में बख्तियार खिलजी को तुर्की-अफगानी सेना में छोटा पद मिला था, लेकिन वह बहुत महत्वाकांक्षी और क्रूर था।
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उसने दिल्ली और फिर गोर के शासक मुहम्मद गोरी की सेना में अपनी जगह बनाई।
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मुहम्मद गोरी की सहायता से उसे बिहार और बंगाल को जीतने के लिए सेनापति नियुक्त किया गया।
भारत में आक्रमण
1. बिहार पर आक्रमण:
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बख्तियार ने सबसे पहले बिहार के बौद्ध मठों और विश्वविद्यालयों पर हमला किया।
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बिहार उस समय बौद्ध शिक्षा का केंद्र था, जहाँ नालंदा, ओदंतपुरी, विक्रमशिला जैसे संस्थान मौजूद थे।
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बख्तियार ने इन्हें “काफ़िरों का केंद्र” मानते हुए नष्ट कर दिया।
2. नालंदा विश्वविद्यालय का विध्वंस:
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यह विश्व का सबसे बड़ा और प्राचीन विश्वविद्यालय था।
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इसमें 10,000 से अधिक छात्र और 2,000 से अधिक शिक्षक हुआ करते थे।
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बख्तियार ने इसे जला दिया और उसमें मौजूद लाखों पांडुलिपियाँ नष्ट कर दीं।
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कहते हैं, पुस्तकालय महीनों तक जलता रहा।
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हजारों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी गई।
3. विक्रमशिला विश्वविद्यालय पर हमला:
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यह भी बौद्ध शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था।
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इसे भी बख्तियार ने नष्ट कर दिया।
बंगाल विजय:
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बिहार को लूटने के बाद बख्तियार ने बंगाल की ओर रुख किया।
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1202 ई. में उसने बंगाल के सेन वंश के राजा लक्ष्मण सेन को पराजित किया और गौड़ (लखनाौती) पर कब्जा कर लिया।
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राजा लक्ष्मण सेन वृद्ध हो चुके थे और युद्ध की बजाय पीछे हट गए।
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बंगाल में मुस्लिम शासन की नींव रख दी गई।
तिब्बत पर असफल आक्रमण:
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1206 ई. में बख्तियार खिलजी ने तिब्बत पर भी आक्रमण करने की कोशिश की।
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उसे लगा कि वहां बहुत संपत्ति है जिसे लूटा जा सकता है।
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लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में उसकी सेना बिखर गई और बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा।
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बीमार और अपमानित खिलजी बंगाल लौट आया।
मृत्यु:
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बख्तियार खिलजी की मृत्यु 1206 ई. में हुई।
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कई इतिहासकारों का मानना है कि उसके सेनापति अली मर्दान ने उसकी हत्या कर दी।
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उसकी मौत के बाद उसका राज्य भी जल्द ही अस्थिर हो गया।
बख्तियार खिलजी का भारत के इतिहास पर प्रभाव:
क्षेत्र | प्रभाव |
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शिक्षा | नालंदा और विक्रमशिला जैसे ज्ञान संस्थानों का विध्वंस |
धर्म | बौद्ध धर्म को भारी नुकसान, भारत में बौद्ध धर्म का पतन |
संस्कृति | शिक्षा, साहित्य और दर्शन के केंद्रों का विनाश |
राजनीति | बिहार और बंगाल में मुस्लिम शासन की नींव |
जनसंख्या | हजारों निर्दोष बौद्ध भिक्षुओं और आम नागरिकों की हत्या |
इतिहास में बख्तियार खिलजी की छवि:
बख्तियार खिलजी को भारतीय इतिहास में एक बर्बर, असहिष्णु, शिक्षा-विरोधी और क्रूर आक्रमणकारी के रूप में याद किया जाता है।
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वह भारत के प्राचीन ज्ञान और संस्कृति को नष्ट करने वाले सबसे खतरनाक आक्रमणकारियों में से एक था।
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उसके हमले ने भारत की बौद्ध शिक्षा परंपरा का अंत कर दिया।
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आज भी “नालंदा का विध्वंस” बख्तियार खिलजी के नाम से जोड़ा जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
प्रश्न | उत्तर |
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बख्तियार खिलजी कौन था? | एक तुर्क मूल का मुस्लिम आक्रमणकारी और सेनापति |
किसने उसे भारत भेजा था? | मुहम्मद गोरी ने |
उसने क्या नष्ट किया? | नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला, ओदंतपुरी |
कब मरा? | 1206 ई. में, अपने ही सैनिक द्वारा मारा गया |
किस राज्य पर कब्जा किया? | बिहार और बंगाल |
निष्कर्ष:
बख्तियार खिलजी का भारत आगमन केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, यह भारत के बौद्धिक और सांस्कृतिक इतिहास का बड़ा नुकसान था। नालंदा और विक्रमशिला जैसे संस्थान केवल शिक्षा के केंद्र नहीं थे, बल्कि सभ्यता के स्तंभ थे। बख्तियार ने इन स्तंभों को ढहा दिया।
आज जब हम भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली और संस्कृति की बात करते हैं, तो बख्तियार खिलजी का नाम एक काले अध्याय की तरह सामने आता है।
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