वॉर्म होल क्या होता है? क्या इसके ज़रिए समय यात्रा संभव है? जानिए वॉर्म होल की पूरी जानकारी सरल हिंदी में – सिद्धांत, इतिहास, उपयोग, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण।
प्रस्तावना
क्या आपने कभी सोचा है कि क्या ब्रह्मांड में ऐसी कोई सुरंग हो सकती है जो आपको एक जगह से दूसरी जगह पल भर में पहुँचा दे? क्या समय यात्रा (Time Travel) संभव है? क्या अंतरिक्ष में शॉर्टकट मौजूद हैं?
इन सभी सवालों का उत्तर वॉर्म होल (Wormhole) के सिद्धांत में छिपा है। यह विज्ञान कथा (science fiction) जैसी लग सकती है, लेकिन यह विचार सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत पर आधारित है, जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने प्रस्तुत किया था।
इस लेख में हम जानेंगे कि वॉर्म होल क्या होता है, यह कैसे काम करता है, वैज्ञानिक क्या मानते हैं, और क्या भविष्य में इसका उपयोग संभव है।
वॉर्म होल क्या है?
वॉर्म होल, जिसे “Einstein–Rosen Bridge” भी कहा जाता है, एक काल्पनिक सुरंग है जो ब्रह्मांड के दो अलग-अलग स्थानों, समय या आयामों (dimensions) को जोड़ती है।
इसे समझने के लिए कल्पना कीजिए कि आप एक कागज पर दो बिंदु बनाते हैं — अब अगर आप कागज को मोड़कर दोनों बिंदुओं को एक साथ मिला दें, और उसमें एक छेद करें, तो वह छेद ही एक वॉर्म होल की तरह कार्य करता है — अंतरिक्ष और समय में शॉर्टकट।
वॉर्म होल का इतिहास
वर्ष | वैज्ञानिक/घटना | विवरण |
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1916 | लुडविग फ्लैम | सबसे पहले वॉर्म होल की धारणा दी |
1935 | आइंस्टीन और नाथन रोसेन | “Einstein–Rosen Bridge” का सिद्धांत प्रस्तुत किया |
1957 | जॉन व्हीलर | “Wormhole” शब्द का उपयोग किया |
1988 | मौरिस और थॉर्ने | स्थिर वॉर्म होल की संभावनाओं पर शोध किया |
वॉर्म होल कैसे काम करता है?
वॉर्म होल को समझने के लिए हमें सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत को समझना होगा। आइंस्टीन का यह सिद्धांत बताता है कि:
“द्रव्यमान और ऊर्जा समय और स्थान की बनावट (Fabric of Spacetime) को मोड़ते हैं।“
यदि यह मोड़ इतनी तीव्रता से हो कि एक “सुरंग जैसी” संरचना बन जाए जो दो अलग-अलग स्थानों को जोड़ दे, तो वह वॉर्म होल कहलाता है।
➤ एक वॉर्म होल के दो मुख्य भाग होते हैं:
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माउथ (Mouth): प्रवेश और निकास द्वार
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थ्रोट (Throat): दोनों माउथ को जोड़ने वाली सुरंग