Alexander the Great – एक महान विजेता की अद्भुत गाथा

Aanchalik Khabre
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Alexander

इतिहास में ऐसे बहुत कम योद्धा और सम्राट हुए हैं जिन्होंने अपने साहस, रणनीति और दूरदृष्टि से पूरे विश्व को प्रभावित किया। Alexander the Great एक ऐसा ही नाम है, जिसे विश्व इतिहास के सबसे महान सेनानायकों में गिना जाता है। उनका जीवन केवल युद्धों और विजयों की दास्तान नहीं है, बल्कि वह एक ऐसे योद्धा की कहानी है जिसने युवा अवस्था में ही विश्व को जीतने का सपना देखा और उसे हकीकत में बदल दिया।

 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

Alexander the Great का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व को प्राचीन मैसेडोनिया के पेल्ला नगर में हुआ था। उनके पिता राजा फिलिप द्वितीय मैसेडोनिया के शक्तिशाली राजा थे और माता ओलंपियास एपिरस की राजकुमारी थीं। Alexander बचपन से ही असाधारण बुद्धि और नेतृत्व क्षमता के धनी थे। उनके शिक्षक थे महान दार्शनिक अरस्तू (Aristotle), जिन्होंने उन्हें राजनीति, दर्शन, युद्धनीति और विज्ञान की शिक्षा दी।

Alexander the Great को छोटी उम्र से ही यह एहसास हो गया था कि उनका जीवन सामान्य नहीं है। वे ग्रीक साहित्य, होमर की काव्यकथाओं और युद्ध कला से अत्यंत प्रेरित थे। उनकी यह शिक्षा ही आगे चलकर उनके अद्वितीय नेतृत्व और विजयी अभियानों की नींव बनी।

 

राजगद्दी पर आरूढ़ होना

जब Alexander मात्र 20 वर्ष के थे, तब उनके पिता राजा फिलिप की हत्या कर दी गई। इसके बाद Alexander the Great ने गद्दी संभाली और तुरंत अपने पिता के अधूरे कार्यों को पूरा करने में जुट गए। उन्होंने सबसे पहले अपने राज्य के अंदरूनी विद्रोहों को कुचला और यूनानी नगर-राज्यों को अपने अधीन किया।

Alexander the Great ने थेसाली, एथेन्स और अन्य यूनानी नगरों को एक शक्तिशाली गठबंधन में जोड़ा, जिसे ‘कोरिंथियन लीग’ कहा गया। इस प्रकार, वे ग्रीस के एकमात्र सम्राट बन गए।

 

विश्व विजय की शुरुआत

Alexander the Great का सबसे बड़ा सपना था – फारसी साम्राज्य को हराकर एशिया और विश्व पर विजय प्राप्त करना। 334 ईसा पूर्व में उन्होंने एशिया माइनर की ओर कूच किया। पहले ही युद्ध में उन्होंने फारस के गवर्नर को ग्रेनिकस नदी की लड़ाई में पराजित किया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक विजय हासिल की:

इस्सस की लड़ाई (333 ईसा पूर्व): यहाँ Alexander the Great ने फारस के राजा डेरियस तृतीय को बुरी तरह पराजित किया।

टायर और गाज़ा पर अधिकार: उन्होंने फोनीशिया के शक्तिशाली नगरों को ध्वस्त कर अपने अधीन कर लिया।

मिस्र विजय (332 ईसा पूर्व): मिस्रवासियों ने उनका स्वागत एक मुक्तिदाता के रूप में किया। उन्होंने वहाँ अलेक्ज़ेंड्रिया नगर की स्थापना की जो बाद में ज्ञान और संस्कृति का केंद्र बना।

 

भारत की ओर बढ़ना

Alexander the Great का अभियान यहीं नहीं रुका। उन्होंने फारस की राजधानी पर्सेपोलिस को जीतकर फारसी साम्राज्य का अंत कर दिया। इसके बाद उन्होंने अफगानिस्तान और वर्तमान पाकिस्तान की ओर कूच किया।

326 ईसा पूर्व में उन्होंने झेलम नदी के तट पर भारत के राजा पोरस से युद्ध किया। यह युद्ध अत्यंत भीषण था, परंतु अंततः Alexander the Great विजयी रहे। उन्होंने पोरस के साहस से प्रभावित होकर उन्हें उनका राज्य लौटा दिया।

हालांकि Alexander the Great भारत को पूरी तरह जीतना चाहते थे, पर उनके सैनिक थक चुके थे और भारत की विशालता देखकर आगे बढ़ने से मना कर दिया। अंततः वे झेलम से ही लौट गए।

 

मृत्यु और रहस्यमय अंत

Alexander the Great ने मात्र 13 वर्षों में लगभग पूरी ज्ञात दुनिया को जीत लिया था। वे वापस बाबिलोन लौटे जहाँ 323 ईसा पूर्व में मात्र 32 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के कारण आज भी रहस्य बने हुए हैं – कुछ इतिहासकार इसे मलेरिया बताते हैं, तो कुछ इसे विष देने की साजिश मानते हैं।

उनकी आकस्मिक मृत्यु के बाद उनका साम्राज्य उनके सेनापतियों के बीच बंट गया, क्योंकि उन्होंने अपने उत्तराधिकारी का नाम नहीं बताया था।

 

Alexander the Great की युद्धनीति और नेतृत्व

Alexander the Great केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि वे एक रणनीतिकार भी थे। उनकी सेनाएं संगठित, अनुशासित और नवीन तकनीकों से सुसज्जित होती थीं। उन्होंने ‘फालेंक्स’ पद्धति को परिष्कृत किया और सैनिकों की गतिशीलता को युद्ध में सर्वोच्च प्राथमिकता दी।

उनकी सबसे बड़ी शक्ति थी – अपने सैनिकों में विश्वास पैदा करना। वे हर युद्ध में सबसे आगे लड़ते थे। उनके नेतृत्व के कारण उनके सैनिक उन्हें देवता मानते थे।

 

सांस्कृतिक प्रभाव

Alexander the Great के विजय अभियानों ने केवल भूगोल ही नहीं बदला, बल्कि संस्कृतियों को भी जोड़ा। उन्होंने यूनानी संस्कृति को एशिया और मिस्र तक फैलाया। इस प्रक्रिया को ‘हेलनिस्टिक संस्कृति’ कहा जाता है, जिसमें यूनानी, मिस्री, फारसी और भारतीय तत्वों का समावेश था।

उन्होंने अनेक नगरों की स्थापना की, जिनमें सबसे प्रसिद्ध था अलेक्ज़ेंड्रिया (मिस्र)। यह नगर बाद में ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और साहित्य का केंद्र बना।

 

भारत पर प्रभाव

भारत में Alexander the Great के आगमन का गहरा प्रभाव पड़ा। यद्यपि उनका आक्रमण सीमित था, पर उन्होंने पश्चिम से भारत का सीधा संपर्क स्थापित किया। उनके लौटने के बाद उत्तर-पश्चिम भारत में यूनानी प्रभाव के संकेत मिलते हैं।

इसके अलावा, Alexander the Great के पीछे हटने के तुरंत बाद चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की और यूनानी प्रभाव को समाप्त किया।

 

Alexander the Great की विशेषताएँ

  • दूरदर्शी नेता: उन्होंने न केवल युद्ध में, बल्कि प्रशासन और संस्कृति में भी योगदान दिया।
  • साहसी और निडर: किसी भी युद्ध से पीछे नहीं हटे।
  • शिक्षा-प्रेमी: अरस्तू जैसे गुरु से शिक्षा प्राप्त कर ज्ञान को सम्मान दिया।
  • विश्व को एकजुट करने का स्वप्न: उन्होंने विभिन्न जातियों और धर्मों को एक करने की कोशिश की।

 

लोकप्रियता और विरासत

Alexander the Great की छवि एक ऐसे योद्धा की है जो मानव इतिहास में अमर हो गया। उनके जीवन पर हजारों पुस्तकें, फिल्में, और शिल्पकला के रूप सामने आ चुके हैं। उन्हें एक ऐसे महानायक के रूप में देखा जाता है जिसने असंभव को संभव कर दिखाया।

Alexander the Great ने जो नगर बसाए, वे आज भी उनकी उपस्थिति को महसूस कराते हैं। उनके द्वारा फैलाए गए विचार और संस्कृति आज भी अध्ययन का विषय बने हुए हैं।

 

निष्कर्ष

Alexander the Great केवल एक साम्राज्यवादी नहीं थे, बल्कि वे एक दार्शनिक योद्धा, सांस्कृतिक सेतु और दूरदर्शी नेता थे। उन्होंने अपने छोटे से जीवनकाल में जो उपलब्धियाँ प्राप्त कीं, वे आज भी असंभव लगती हैं। उनका सपना था – एक ऐसा विश्व जो युद्ध नहीं, बल्कि ज्ञान और एकता के सूत्र में बंधा हो।

इतिहास भले ही उन्हें एक विजेता के रूप में याद करता हो, परंतु वे मानव जाति को जोड़ने वाले एक ऐसे व्यक्तित्व भी थे जिन्होंने भूगोल, राजनीति, संस्कृति और सभ्यता को एक नई दिशा दी। Alexander the Great आज भी प्रेरणा के स्रोत हैं – साहस, दृष्टिकोण, और नेतृत्व का प्रतीक।

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