“एक गांव, कई जख्म: जब हर कोने में डर रेंगने लगा”
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद की हसनपुर तहसील में बसे गांव तरोली में इन दिनों हर रात एक खौफ के साए में गुजर रही है। गांव के लोग अब नींद में भी चैन से नहीं सो सकते, क्योंकि एक अदृश्य खतरा — सांप — यहां दहशत का पर्याय बन चुका है।
पिछले कुछ दिनों में 5 से ज्यादा लोगों को सांप ने डस लिया, एक मासूम की मौत हो चुकी है, और कई गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं। इतना ही नहीं, मवेशी भी सुरक्षित नहीं हैं। ग्रामीण अपने घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं और रिश्तेदार गांव आने से इनकार कर रहे हैं।
“मासूम अर्पित की मौत ने तोड़ दिया गांव का दिल”
इस डर की शुरुआत हुई एक दिल दहला देने वाली घटना से। 11 साल का अर्पित, जो अपनी मां के साथ चारपाई पर सो रहा था, रात के सन्नाटे में सांप के डंसने का शिकार बन गया। उसे जब तक कुछ समझ पाते, तब तक उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
इसके बाद 15 वर्षीय सोनी, 26 वर्षीय रजनी, 24 वर्षीय मोहित नागर, और हाल ही में 30 वर्षीय मुनेश देवी को भी सांप ने डस लिया। सभी को समय रहते स्थानीय सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
“मवेशी भी बने शिकार, रामवीर सिंह के तीन पशु मरे”
सांपों का कहर सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं रहा। गांव के रामवीर सिंह के तीन मवेशियों की सांप के काटने से मौत हो गई। इससे ग्रामीणों में ये आशंका और भी गहराई है कि शायद ये एक सांप नहीं, बल्कि सांपों का झुंड है।
“गांव के बीच मौजूद तालाब बना मौत का अड्डा?”
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के बीचोंबीच एक पुराना गंदा तालाब है। उसमें काई, झाड़ियाँ, और कचरे की भरमार है। बरसात के समय ये तालाब सांपों का गढ़ बन जाता है। जैसे ही पानी भरता है, सांप गांव की बस्तियों की ओर रेंगने लगते हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन ना वन विभाग आया, ना प्रशासन की कोई टीम। अब गांव में पैनिक का माहौल है। लोग रिश्तेदारों को बुलाना बंद कर चुके हैं, और कई अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं।
“एक सांप या पूरा झुंड? खतरा अभी टला नहीं”
यह सवाल हर ग्रामीण के मन में है — क्या यह एक ही विषैला सांप है, जो बार-बार वार कर रहा है, या फिर सांपों का पूरा झुंड गांव में सक्रिय हो गया है? जवाब किसी के पास नहीं है।
लेकिन यह निश्चित है कि जब तक गांव के तालाब की सफाई नहीं होती, और सांप-रोधी अभियान नहीं चलाया जाता, तब तक तरोली के लोगों की नींद हराम बनी रहेगी।
भारत में पाए जाने वाले प्रमुख ज़हरीले सांप
भारत में सांपों की लगभग 300 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ बेहद ज़हरीली होती हैं:
सांप का नाम पहचान ज़हर का प्रकार क्षेत्र
कोबरा (Cobra) फन फैलाना, गर्दन पर हुड्डी का निशान न्यूरोटॉक्सिन पूरे भारत में
क्रेट (Krait) काले रंग पर सफेद पट्टियाँ न्यूरोटॉक्सिन ग्रामीण भारत
रसेल वाइपर (Russell’s Viper) भूरे रंग के साथ गोल धब्बे हेमोटॉक्सिन उत्तर भारत
सॉ-स्केल्ड वाइपर (Saw-scaled Viper) छोटा आकार, शरीर पर आरी जैसे तराशे हेमोटॉक्सिन शुष्क क्षेत्र
सांप के काटने पर तुरंत क्या करें? (First Aid Tips)
पीड़ित को शांत रखें – तनाव से ज़हर तेज़ी से फैलता है।
घायल हिस्से को स्थिर रखें – विशेषकर दिल से नीचे।
टाइट कपड़े या गहने हटा दें – सूजन बढ़ सकती है।
घाव को न काटें, ज़हर न चूसें – ये खतरनाक हो सकता है।
जल्दी से अस्पताल पहुंचाएं – अगर संभव हो तो सांप की पहचान बताएं।
भारत में उपलब्ध एंटी-वेनम (Anti-venom)
भारत सरकार द्वारा अधिकृत पॉलीवैलेन्ट एंटी-वेनम (Polyvalent Anti-venom) सामान्यतः इन 4 प्रमुख सांपों के ज़हर के लिए प्रभावी होता है:
कोबरा
करैत
रसेल वाइपर
सॉ-स्केल्ड वाइपर
यह एंटी-वेनम अधिकांश सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध होता है, लेकिन गांवों में समय पर पहुंच और जानकारी की कमी के चलते कई बार जान नहीं बचाई जा पाती।
सांप से बचाव के उपाय
घर के आसपास घास और झाड़ियाँ साफ रखें
रात को टॉर्च लेकर चलें
बिस्तर जमीन से ऊंचा रखें
जालीदार दरवाजे और खिड़कियाँ लगवाएँ
मवेशियों के रहने वाले स्थान की नियमित सफाई करें
“प्रशासन कहां है?” – सवालों के घेरे में सरकारी तंत्रतरोली गांव के ग्रामीणों का गुस्सा अब प्रशासनिक लापरवाही की ओर बढ़ गया है। उनका कहना है कि अगर तालाब की सफाई पहले ही हो जाती, अगर वन विभाग समय पर आता, और अगर सांप रोधी अभियान चलता, तो शायद अर्पित की जान बच सकती थी।
एक ग्रामीण ने कहा –
“हमने कई बार अधिकारियों को फोन किया, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिले। अब तो रिश्तेदार भी गांव आने से डरने लगे हैं। ये गांव अब गांव नहीं, सज़ा बन चुका है।”
तो अब क्या हो?
तरोली गांव की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं है, बल्कि यह उन हज़ारों भारतीय गांवों की कहानी है, जो प्राकृतिक आपदा और प्रशासनिक उपेक्षा के बीच फंसे हुए हैं।
यदि अब भी प्रशासन नहीं जागा, और समय रहते तालाब की सफाई, सांप रोधी अभियान, तथा सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाए गए — तो यह संक्रमण पूरे जिले तक फैल सकता है।
निष्कर्ष: डर का इलाज ज़िम्मेदारी से ही संभव है
सांपों से डरना स्वाभाविक है, लेकिन उनसे निपटना असंभव नहीं। ज़रूरत है:
प्रशासनिक सतर्कता
स्थानीय जागरूकता
और चिकित्सा सुविधाओं की तत्परता की।
तरोली की कहानी हमें चेतावनी देती है कि अगर प्रकृति को नज़रअंदाज़ किया गया, तो वह हमें कभी भी, किसी भी रूप में चुनौती दे सकती है।
आप क्या सोचते हैं?
क्या प्रशासन को तुरंत सांप नियंत्रण अभियान शुरू नहीं करना चाहिए?
क्या गांवों में स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए?
अपनी राय कमेंट में ज़रूर साझा करें।
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