डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी: एक भूले-बिसरे राष्ट्रभक्त की अनसुनी कहानी

Aanchalik Khabre
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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

परिचय: क्यों जानना जरूरी है श्यामा प्रसाद मुखर्जी को?

भारतीय राजनीति और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में कई नाम सामने आते हैं, जैसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल आदि। लेकिन एक नाम जो अक्सर इतिहास की किताबों में दबा रह जाता है, वह है डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी। वे न केवल एक शिक्षाविद, कानूनविद और विचारक थे, बल्कि भारत की एकता और अखंडता के लिए उन्होंने अपनी जान तक न्योछावर कर दी।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता आशुतोष मुखर्जी भी एक प्रसिद्ध शिक्षाविद और बंगाल विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके थे।

  • उन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयु में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर ली।

  • कानून की पढ़ाई इंग्लैंड से पूरी की और बार-एट-लॉ की उपाधि प्राप्त की।

  • वे भारत लौटकर कोलकाता विश्वविद्यालय में सबसे कम उम्र के कुलपति बने (33 वर्ष की आयु में)।


राजनीतिक जीवन की शुरुआत

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राजनीतिक सफर शुरू किया, लेकिन जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि कांग्रेस की नीतियाँ राष्ट्रहित से अधिक समझौतावादी हैं। इसके बाद वे हिंदू महासभा से जुड़ गए।

बंगाल में हिंदुओं की रक्षा के लिए आवाज़

बंगाल में मुस्लिम लीग द्वारा हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ डॉ. मुखर्जी ने खुलकर आवाज उठाई। उन्होंने हिंदू समाज को राजनीतिक रूप से संगठित करने की दिशा में भी काम किया।


नेहरू मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री

भारत की आज़ादी के बाद पंडित नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को शिक्षा मंत्री बनाया गया। लेकिन जल्द ही कश्मीर मुद्दे पर उनके और नेहरू के विचारों में भारी मतभेद हो गया।

कश्मीर मुद्दे पर मुखर्जी की कट्टर राष्ट्रवादी सोच

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मानना था कि एक देश, एक निशान, एक प्रधान और एक संविधान होना चाहिए। वे कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते थे और उसके लिए विशेष धारा 370 का विरोध करते थे।


भारतीय जनसंघ की स्थापना: बीजेपी की नींव

1951 में उन्होंने भारतीय जनसंघ (BJS) की स्थापना की, जो आज की भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मूल आधार है।

जनसंघ का उद्देश्य:

  • भारत की एकता और अखंडता को सर्वोपरि रखना

  • सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना

  • धर्मनिरपेक्षता की आड़ में तुष्टिकरण की राजनीति का विरोध


कश्मीर यात्रा और रहस्यमयी मृत्यु

1953 में डॉ. मुखर्जी ने धारा 370 का विरोध करते हुए बिना परमिट के कश्मीर में प्रवेश किया, क्योंकि उस समय कश्मीर में जाने के लिए विशेष परमिट की आवश्यकता होती थी।

उन्हें गिरफ्तार किया गया और श्रीनगर की जेल में बंद किया गया। वहां 23 जून 1953 को संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

आज भी अनसुलझा सवाल:

उनकी मृत्यु कैसे हुई, यह आज भी रहस्य है। न तो कोई पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, न ही कोई न्यायिक जांच पूरी तरह हुई।


डॉ. मुखर्जी के विचार और सिद्धांत

1. एक भारत, श्रेष्ठ भारत:

वे हमेशा भारत की एकता और अखंडता के पक्षधर रहे।

2. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद:

उनका मानना था कि भारत का राष्ट्रवाद उसकी सांस्कृतिक विरासत में निहित है।

3. शिक्षा में सुधार:

वे भारतीय शिक्षा प्रणाली को आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक बनाना चाहते थे।


उनका प्रभाव आज भी जीवित है

  • भाजपा आज भी उन्हें अपने वैचारिक पितामह के रूप में मानती है।

  • हर साल 23 जून को भाजपा द्वारा बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • दिल्ली के अनेक संस्थानों और सड़कों के नाम उनके नाम पर रखे गए हैं, लेकिन आम जनता उन्हें आज भी नहीं जानती।


क्यों नहीं पढ़ाया जाता डॉ. मुखर्जी को मुख्यधारा में?

एक बड़ा वर्ग मानता है कि वामपंथी इतिहासकारों और तुष्टिकरण की राजनीति ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं को इतिहास की किताबों से बाहर कर दिया। आज की पीढ़ी गांधी, नेहरू, टैगोर को तो जानती है, लेकिन इस व्यक्ति को नहीं जिसने “भारत माता के लिए जान दे दी”।


उनके नाम पर बने संस्थान और स्मृति स्थल:

  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन

  • SP Mukherjee Civic Centre, Delhi (दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय)

  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, झारखंड


निष्कर्ष:

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय इतिहास का वह अध्याय हैं जिसे जानना और समझना आज की पीढ़ी के लिए आवश्यक है।
उन्होंने भारत की एकता, अखंडता और स्वाभिमान के लिए जो बलिदान दिया, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

यदि हमें एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत चाहिए, तो डॉ. मुखर्जी जैसे forgotten heroes की विचारधारा को अपनाना होगा।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

Q1. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कौन थे?

वे एक राष्ट्रवादी नेता, शिक्षाविद, और भारतीय जनसंघ (वर्तमान भाजपा की पूर्ववर्ती पार्टी) के संस्थापक थे।

Q2. उनकी मृत्यु कैसे हुई थी?

1953 में कश्मीर में हिरासत के दौरान उनकी रहस्यमयी मौत हो गई थी, जो आज भी सवालों के घेरे में है।

Q3. उन्होंने कौन-कौन से मंत्रालय में काम किया?

वे स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में शिक्षा मंत्री थे।

Q4. भारतीय राजनीति में उनका योगदान क्या है?

उन्होंने भारतीय एकता के लिए धारा 370 का विरोध किया और भारतीय जनसंघ की स्थापना की।

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