पौराणिक इतिहास और धार्मिक महत्व
यह मंदिर प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) के दरियाबाद इलाके में यमुना के तट पर स्थित है, जिसे स्थानीय लोग “बड़ा शिवाला” के नाम से भी जानते हैं।
इसका उल्लेख पद्म पुराण के पातालखंड (प्रयाग महामात्य, 82वां अध्याय) में मिलता है, और माना जाता है कि इसका इतिहास लगभग 5,000-वर्ष से भी अधिक पुराना है।
कथा है कि जब राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने डसा था, तब प्रायश्चित स्वरूप इस मंदिर में पाँच शिवलिंगों की स्थापना हुई थी। जिनके दर्शन करने वाले और उनके वंशज सर्पदंश, विषबाधा, नाग दोष से मुक्त रहते हैं।
पौराणिक कथाओं में यह भी उल्लेख है कि प्रभु श्रीकृष्ण द्वारा मथुरा से भगाए जाने के बाद तक्षक नाग ने इसी स्थान पर, यमुना के किनारे ‘तक्षक कुंड’ में शरण ली थी।
ज्योतिषीय और धार्मिक मान्यताएँ
यह मंदिर कालसर्प दोष, राहु-केतु बाधा, नागदोष और विषबाधा से मुक्ति के लिए प्रमुख माना जाता है। विशेषकर शुक्लपक्ष की पंचमी, सूर्य या चंद्र ग्रहण, नक्षत्रों (जैसे नागपंचमी) में पूजा-अर्चना करने से इन दोषों का निवारण होता है।
सावन मास में मंदिर के पास सांपों का आगमन अत्यधिक बढ़ जाता है, पर वे किसी को क्षति नहीं पहुंचाते—ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग के दर्शन मात्र से वंश में विष बाधा नहीं आती।
स्नान और पूजा-अर्चना करने से नाग दोष, विषबाधा, कालसर्प योग और राहु-केतु की बाधा से शांति मिलती है।
मंदिर की वास्तुकला और पुरातात्विक विवरण
मंदिर नागर शैली में निर्मित है—विशाल शिखर और गुंबद संरचना इसमें प्रमुख हैं। शिवलिंग के चारों ओर तांबे का अर्घ्य बना है और परिसर में हनुमान, गणेश, पार्वती, कार्तिकेय और नंदी की प्रतिमाएं स्थित हैं।
1992 में यहां पुरातात्विक खुदाई में प्राचीन पत्थर और मूर्तियाँ मिलीं, जिनकी नक्काशी अत्यंत सूक्ष्म और प्राचीन काल की मानी गई—आज भी उन पर अध्ययन जारी है।
धार्मिक अनुष्ठान और तीर्थ-यात्रा का महत्व
महाकुंभ स्नान के बाद यदि तक्षकेश्वरनाथ मंदिर का दर्शन न किया जाए तो तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती है। यह मान्यता खासकर पुष या माघ में महाकुंभ स्नान के दौरान अधिक प्रचलित है।
नागपंचमी, सावन के सोमवार, ग्रहण और अन्य विशेष तिथियों में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है—श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।
दर्शन समय और सुविधाएँ
दर्शन समय: सुबह 07:00 बजे से 12:00 बजे तक, शाम में 04:00 बजे से 10:00 बजे तक खुलता है।
कुछ स्रोतों में सुबह 05:00–12:00 और शाम 12:00–22:00 के रूप में उल्लेख है।
प्रसाद में: फल, दूध, लड्डू, भांग, धतूरा, बेलपत्र जैसे भोग शामिल हैं।
सुविधाएँ: मंदिर परिसर में पूजा-सामग्री, फूल की दुकान, पेयजल, पार्किंग और जूते रखने की व्यवस्था उपलब्ध है।
कैसे पहुँचे – यात्रा मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा: बमरौली एयरपोर्ट, जहां से बस या ऑटो द्वारा मंदिर पहुँचना आसान है।
निकटतम रेलवे स्टेशन: प्रयागराज जंक्शन, जो मंदिर से लगभग 5.2-6 किलोमीटर दूर है; यहां से बस, ऑटो या टैक्सी सुविधा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग: उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों से नियमित बस एवं निजी वाहन साधन उपलब्ध हैं।
मंदिर दरियाबाद इलाके में, प्रयागराज जंक्शन से लगभग 3–6 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
समकालीन उत्सव और सामाजिक संदर्भ
सावन मास के तीसरे सोमवार (श्रावण सोमवर) पर तक्षकेश्वरनाथ सहित अन्य शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है—वहां प्रशासन सुरक्षा एवं व्यवस्था के लिए विशेष प्रबंध करता है।
ऐसे मौके शांतिपूर्ण “हर हर महादेव” और “ॐ नमः शिवाय” के जयघोषों से मंदिर-क्षेत्र गूंज उठता है।
निष्कर्ष
तक्षकेश्वरनाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि अध्यात्म, पौराणिकता, ज्योतिष, इतिहास और लोकविश्वास का अद्वितीय संगम है। पौराणिक कथाओं, पुरातात्विक साक्ष्यों और ज्योतिषीय मान्यताओं ने इसे कालसर्प दोष, नाग दोष और विष बाधा से मुक्ति की पवित्र भूमि बना दिया है। सावन मास, पंचमी, नागपंचमी और महाकुंभ जैसे अवसरों पर यहाँ श्रद्धालुओं की आस्था परिभाषित होती है। यदि आप प्रयागराज जाएँ तो अगली शुक्लपक्ष की पंचमी या श्रावण सोमवर पर इस मंदिर में दर्शन-अभ्यास कर, उस दिव्यता को महसूस करें जो पाँच हजार वर्षों से नागों के आशीर्वाद से परिपूर्ण है।
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