BT India@100 कॉन्क्लेव में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के भविष्य का एक नया दृष्टिकोण पेश किया। इसमें शामिल है एक 135-सीटर फ्लैश-चार्जिंग बस, जो हवाई यात्रा जैसी सुविधाओं के साथ, मेट्रो से सस्ती और उचित कीमत पर यात्रा देने का वादा करती है।
- एयरलाइंस जैसी सुविधा — बस में होगा एयर होस्टेस जैसा अनुभव
- फ्लैश-चार्जिंग तकनीक — 30 सेकंड में 40 किमी तक का सफर
- लागत एवं किराया — मेट्रो और डीजल बसों से सस्ती
- नागपुर में शुरुआत: पायलट प्रोजेक्ट से शुरू होगी क्रांति
- रूट विस्तार: अन्य प्रमुख मार्गों पर भी होगा विस्तार
- सारांश मेज़बानी में
- निष्कर्ष: क्या यह भारतीय परिवहन में असली क्रांति होगी?
एयरलाइंस जैसी सुविधा — बस में होगा एयर होस्टेस जैसा अनुभव
- बस में एग्जीक्यूटिव कुर्सियाँ, वायुयान जैसा ओवरहेड स्टोरेज, टीवी सिस्टम, और मैनेज्ड वेंडिंग/पैंट्री सेवा उपलब्ध होगी — यात्रियों को उच्च वर्गीय अनुभव मिलेगा। (Times of India, Hindustan Times)
- “बस होस्टेस,” जिन्हें एयर होस्टेस की तरह ट्रेन किया जाएगा, यात्रियों को चाय, नाश्ता, बंद पैकेज्ड फूड और पानी जैसी सुविधाएँ प्रदान करेंगी। ministries की योजना में ये सुविधाएँ उड़ानों जैसी आरामदायक यात्रा का अनुभव देंगी।
फ्लैश-चार्जिंग तकनीक — 30 सेकंड में 40 किमी तक का सफर
- यह बस फ्लैश-चार्जिंग तकनीक द्वारा संचालित होगी, जहां बस प्रत्येक 40 किमी के बाद केवल 30 सेकंड में चार्ज होकर फिर यात्रा जारी रख सकेगी। इस तकनीक से चार्जिंग रुकावट न्यूनतम और यात्रा समय अधिक होगा।
- इसकी अधिकतम गति 120 किमी/घंटा निर्धारित की गई है, जिससे लंबी दूरी पर भी यह एक प्रभावी विकल्प बनेगी।
लागत एवं किराया — मेट्रो और डीजल बसों से सस्ती
- मेट्रो परियोजनाएँ आम तौर पर ₹450 करोड़ प्रति किलोमीटर पड़ती हैं, जबकि यह फ्लैश-चार्जिंग बस सिर्फ ₹2 करोड़ प्रति किलोमीटर में स्थापित होगी — लगभग 30 गुना सस्ती।
- यात्रा की कीमत परंपरागत डीजल बस की तुलना में लगभग 30% तक कम होगी, जिससे यह आम जनता के लिए अधिक किफायती विकल्प बन जाती है।
नागपुर में शुरुआत: पायलट प्रोजेक्ट से शुरू होगी क्रांति
- इस बस का ट्रायल नागपुर से किया जा रहा है, जिसमें 30 से अधिक 18 मीटर लंबी फ्लैश-चार्जिंग बसें चालन में होंगी, प्रत्येक बस में लगभग 130–135 यात्रियों की क्षमता होगी।
- ट्रायल के लिए ₹152 करोड़ का बजट रखा गया है, जिसमें चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट बस स्टॉप और सोलर शेड्स जैसे तत्व शामिल हैं।
- यह प्रणाली रिंग रोड क्षेत्र में, मेट्रो स्टेशन से कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है, जिससे शहरी आवाजाही में सुधार के साथ उत्कृष्ट अनुभव भी मिल सके।
रूट विस्तार: अन्य प्रमुख मार्गों पर भी होगा विस्तार
- यदि नागपुर पायलट सफल होता है, तो इस सेवा को अंतर-सिटी मार्गों जैसे दिल्ली–जयपुर, दिल्ली–देहरादून, दिल्ली–चंडीगढ़, बेंगलुरु–चेन्नई, मुंबई–नासिक, और मुंबई–पुणे पर लागू किया जाएगा।
भविष्य की योजनाएँ: हाइविज़न के साथ आधुनिकाइजेशन का प्रयास
- गडकरी ने एरियल पॉड सिस्टम (हवाई कैप्सूल) की योजना बेंगलुरु और दिल्ली जैसे महानगरों में लाने की घोषणा की है, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या में भी सुधार हो सके।
- पहाड़ी राज्यों—जैसे उत्तराखंड और कश्मीर—के लिए डबल-डेकर रोपवे ‘एयर बस’ अवधारणा पर काम चल रहा है, जिससे पहाड़ों में पहाड़ी सड़क निर्माण की चुनौतियों का समाधान हो सके।
- इसके अलावा, गडकरी ने रोपवे, हाइड्रोजन ईंधन वाहनों, और अन्य ग्रीन मोबिलिटी समाधानों को अपनाने की तैयारी भी साझा की है।
सारांश मेज़बानी में
| पहलू | विवरण |
| क्षमता | 130–135 यात्री |
| सुविधा | एग्जीक्यूटिव सीट, ऑनबोर्ड हॉस्टेस, TV, पैंट्री |
| चार्जिंग तकनीक | 30 सेकंड फ्लैश चार्ज, हर 40 किमी पर |
| गति | 120 किमी/घंटा |
| भुगतान एवं सस्ती | डीजल बस से 30% कम किराया, ₹2 करोड़/किमी लागत |
| पायलट स्थान | नागपुर |
| आगे का विस्तार | दिल्ली–जयपुर, बैंगलुरु–चेन्नई और अन्य अंतर-शहरी मार्ग |
| भविष्य की योजनाएँ | एरियल पॉड, रोपवे, हाइड्रोजन ईंधन, स्मार्ट मोबिलिटी |
निष्कर्ष: क्या यह भारतीय परिवहन में असली क्रांति होगी?
नितिन गडकरी का यह प्रस्ताव एक स्मार्ट, स्वच्छ, और अधिक सुलभ सार्वजनिक परिवहन विकल्प की ओर भारत को अग्रसर कर सकता है। फ्लैश-चार्जिंग बसें सिर्फ तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि हरियाली, लागत प्रभावशीलता, और उच्च सवारी अनुभव का प्रमाण हैं।
नागपुर में प्रारंभिक सफलता इस मॉडल को अन्य शहरों के लिए भी कैटेलिस्ट (Catalyst) बना सकती है—जहां भविष्य की मोबिलिटी ना केवल गतिशील हो, बल्कि स्मार्ट, हरित और किफायती भी हो।
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