घटना की शुरुआत
11 अगस्त 2025 की रात गाज़ियाबाद में तेज़ बारिश हो रही थी। सड़कों पर फिसलन थी और माहौल में एक अनजाना सा सन्नाटा था। इसी दौरान एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया।
गाज़ियाबाद के थाना क्रॉसिंग रिपब्लिक क्षेत्र में पुलिस की एक टीम चेकिंग कर रही थी। यह चेकिंग चिपयाना अंडरपास के नीचे बैरियर लगाकर की जा रही थी। रात करीब 11:30 बजे पुलिस को एक अहम सूचना मिली — मुखबिर ने बताया कि दो अपराधी बिना नंबर प्लेट की पैशन प्रो बाइक पर सवार होकर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने निकले हैं।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
सूचना मिलते ही पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी और एबीईएस कॉलेज के सामने एक और चेकिंग प्वाइंट बना दिया। पुलिस को शक था कि अपराधी इसी रास्ते से निकलेंगे।
थोड़ी देर बाद एक बिना नंबर प्लेट की बाइक दिखाई दी, जिस पर दो युवक सवार थे। पुलिस ने उन्हें रुकने का इशारा किया, लेकिन वे नहीं रुके और कच्चे, कीचड़ भरे रास्ते की ओर भाग निकले। बारिश के कारण रास्ता फिसलन भरा था, जिससे बाइक फिसल गई और दोनों गिर पड़े।
मुठभेड़ की स्थिति
जैसे ही पुलिस ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की, अपराधियों ने जान से मारने की नीयत से फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी आत्मरक्षा में फायर किया। कुछ मिनटों तक गोलीबारी चली। इस दौरान एक आरोपी को गोली लगी, जबकि दूसरा भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे भी पकड़ लिया गया।
घायल अपराधी की पहचान वकील उर्फ़ रज़वान के रूप में हुई, जबकि उसके साथी का नाम मुस्तकीम बताया गया।
गिरफ्तारी और बरामद सामग्री
पुलिस ने मौके से दोनों को हिरासत में लिया और इलाके को घेर लिया, ताकि कोई अन्य साथी भाग न सके। बरामद सामान में शामिल थे:
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एक अवैध तमंचा
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एक ज़िंदा कारतूस
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एक खोखा
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चोरी की बाइक
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पैन कार्ड और एटीएम कार्ड
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₹34,000 नकद
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सफेद धातु का कड़ा
ये सभी सबूत इस बात की ओर इशारा करते थे कि वे किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहे थे।
अपराधियों का आपराधिक इतिहास
जांच में पता चला कि वकील उर्फ़ रज़वान के खिलाफ एक दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। वह गाज़ियाबाद और आसपास के जिलों का कुख्यात अपराधी है। उसका साथी मुस्तकीम भी आपराधिक दुनिया में सक्रिय है और पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है।
गाज़ियाबाद का भौगोलिक महत्व और अपराध की चुनौतियाँ
गाज़ियाबाद एनसीआर का एक अहम क्षेत्र है, जहाँ हाईवे, इंडस्ट्रियल ज़ोन और रिहायशी कॉलोनियां पास-पास स्थित हैं। इस भौगोलिक संरचना का फायदा अपराधी उठाते हैं, जिससे वे आसानी से एक इलाके से दूसरे इलाके में भाग सकते हैं। हाईवे और कच्चे रास्ते अपराधियों के लिए भागने के रास्ते बन जाते हैं, जिसके कारण पुलिस के लिए अपराध पर नियंत्रण रखना एक बड़ी चुनौती है।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रतिक्रिया
इस मुठभेड़ के बाद सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ ने पुलिस की तत्परता की सराहना की, तो कुछ ने सवाल उठाया कि क्या मुठभेड़ के बजाय बातचीत से अपराधियों को पकड़ा जा सकता था?
हालांकि, जब अपराधी खुद पुलिस पर जान से मारने की नीयत से गोली चलाएं, तो आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई ही एकमात्र विकल्प बचता है।
अपराध पर नियंत्रण के लिए ज़रूरी कदम
यह घटना एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है कि एनसीआर जैसे क्षेत्रों में बढ़ते अपराध पर कैसे लगाम लगाई जाए। सिर्फ मुठभेड़ या गिरफ्तारी से बात नहीं बनेगी, बल्कि बेहतर खुफिया तंत्र, तकनीकी मदद, सीसीटीवी नेटवर्क और पुलिस ट्रेनिंग पर भी जोर देना होगा। साथ ही, आम लोगों को सतर्क रहकर संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत पुलिस को जानकारी देनी चाहिए।
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