5 मिनट का बुलावा, 19 साल की क़ैद: मुम्बई ब्लास्ट केस में मुजम्मिल और साजिद की दर्दनाक दास्तान

Aanchalik Khabre
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मुम्बई ब्लास्ट

19 साल बाद मिली आज़ादी

मुम्बई ब्लास्ट केस में 19 लंबे साल जेल की सलाखों के पीछे बिताने के बाद मुजम्मिल और साजिद को हाल ही में अदालत ने बरी कर दिया है। 2006 में हुई गिरफ्तारी के बाद दोनों की ज़िंदगी ठहर गई थी। अब जब वे आज़ाद हैं, तो बाहरी दुनिया से तालमेल बिठाना उनके लिए किसी नए इम्तहान से कम नहीं है।

मुम्बई ब्लास्ट केस

5 मिनट का बुलावा और लंबी कैद

साजिद याद करते हुए बताते हैं—

“पुलिस ने बस 5 मिनट के लिए बुलाया था, कहा था आओ, कुछ पूछताछ करनी है… और उसके बाद 19 साल बीत गए।”

गिरफ्तारी के समय मुजम्मिल महज़ 22 साल का था और एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था। वहीं साजिद की उम्र 29 साल थी, वह कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर और एक दुकान चलाता था। विडंबना यह है कि मुम्बई ब्लास्ट के एक धमाके की जगह उसकी दुकान के पास ही थी, जहां साजिद ने घायल लोगों को एंबुलेंस में पहुंचाने में मदद की थी।

ज़िंदगी के सबसे अहम पलों से दूर

गिरफ्तारी के तीन महीने बाद ही साजिद के घर बेटी का जन्म हुआ। उस वक्त की बेबसी को याद कर उनकी आंखें भर आती हैं—

“जब बेटी पैदा हुई तो मैं उसके पास भी नहीं था… यह वही मोमेंट था जो मुझे तोड़ गया।”

मुम्बई ब्लास्ट

गंभीर आरोप और लंबी कानूनी लड़ाई

साजिद पर बम टाइमर उपलब्ध कराने और आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया गया।
मुजम्मिल पर आरोप था कि वह ईरान के रास्ते पाकिस्तान जाकर लश्कर-ए-तैयबा से ट्रेनिंग लेकर आया।
पुलिस ने उनके खिलाफ 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की।

करीब दो दशक तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने दोनों को दोषमुक्त करार दिया।

जेल में भी नहीं रुकी सीखने की चाह

मुजम्मिल: तकनीक से जुड़े रहे

मुजम्मिल बताते हैं—

“दुनिया और तकनीक बहुत आगे बढ़ गई है, लेकिन मैं भी सीखते रहने की कोशिश करता रहा।”
उन्होंने जेल में रहते हुए टेक्नोलॉजी से जुड़ी किताबें और पत्रिकाएं पढ़ीं ताकि तेज़ी से बदलती दुनिया से कटे न रहें।

साजिद: कानून की पढ़ाई

साजिद ने जेल में ही कानून की पढ़ाई शुरू की और अब उनका इरादा है कि वह अन्य निर्दोष आरोपियों की आवाज़ बनें।

“जिस दर्द से मैं गुज़रा हूं, उसे कोई और न झेले— यही मेरी कोशिश होगी।”

आज़ादी के बाद की नई चुनौतियां

19 साल बाद जब वे जेल से बाहर आए, तो दुनिया पूरी तरह बदल चुकी थी—

  • स्मार्टफोन

  • डिजिटल पेमेंट

  • सोशल मीडिया
    दोनों मानते हैं कि यह आज़ादी जितनी सुकून देने वाली है, उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी।

कानूनी जंग अभी बाकी

हालांकि राहत की यह खबर अधूरी है। महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी है।
इसका मतलब है कि मुजम्मिल और साजिद की कानूनी लड़ाई अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।

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