“पढ़ाई, इलाज और एक बेहतर जिंदगी का सपना लेकर अफ्रीका से भारत आने वाले लोग… लेकिन यहां पहुंचते ही इनका सामना हकीकत की उस तस्वीर से होता है, जिसकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी।”
आपने भारत की गलियों, बाज़ारों और कॉलेज कैंपस में अफ्रीकी लोगों को ज़रूर देखा होगा। रंग-बिरंगे कपड़े, अलग अंदाज़ और मुस्कुराते चेहरे—लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये लोग कहां से आते हैं, यहां क्यों बसते हैं और किस तरह की जिंदगी जीते हैं?
दिलचस्प बात ये है कि भारत में दिखने वाले सभी अफ्रीकी लोग असल में अफ्रीका से नहीं होते। कुछ हमारे ही भारतीय मूल के हैं, जैसे महाराष्ट्र और गुजरात में बसे सिद्धी समुदाय, जिनकी जड़ें सदियों पहले अफ्रीका से जुड़ी थीं।

सदियों पुराना रिश्ता
भारत और अफ्रीका का संबंध कोई आज की कहानी नहीं है। 1st सेंचुरी AD से अफ्रीकी लोगों का भारत आना-जाना रहा है। 1538 से 1847 तक बंगाल पर हुसैनशाही वंश का शासन रहा—और इसे अफ्रीका से लाए गए एक गुलाम ने स्थापित किया था।
इतिहास से लेकर आज तक, अफ्रीकी लोग भारत आते रहे हैं—और वक्त के साथ यह रिश्ता और भी गहरा हुआ है।
सपनों का सफर
2020 में ही करीब 40,000 अफ्रीकी भारत पहुंचे। सिर्फ युगांडा से ही 45,000 लोग आए। वजहें दो सबसे बड़ी—शिक्षा और इलाज।
2015 में 20,000 नाइजीरियाई नागरिक सिर्फ इलाज के लिए भारत आए।
अमेरिका में जहां किडनी ट्रांसप्लांट की लागत लगभग $3 लाख है, भारत में वही काम सिर्फ $13,000 में हो जाता है।
पढ़ाई के लिए भारत अफ्रीकी छात्रों का टॉप 5 डेस्टिनेशन है। इसी कारण Study in India जैसे प्रोग्राम और कई स्कॉलरशिप चलाई जाती हैं।
रोज़गार के अवसर भी उन्हें यहां खींच लाते हैं।

हकीकत से सामना
लेकिन भारत आने के बाद तस्वीर बदलने लगती है। मकान किराए पर लेने में दिक्कत, रंग-रूप पर तंज और भेदभाव जैसी चुनौतियां सामने आती हैं।
ऐसे में वे ज़्यादातर शहर के किनारे वाले इलाकों में बस जाते हैं—जैसे मुंबई का मीरा रोड और दिल्ली का मालवीय नगर।
कामकाज और कमाई
भारत में अफ्रीकी समुदाय के लोग आमतौर पर सलून, बुटीक और कपड़ों की दुकानें चलाते हैं।
इनका बिज़नेस पैटर्न ज़्यादातर एक्सपोर्ट मॉडल पर आधारित होता है।
उदाहरण के तौर पर, Diamond Arc Lifestyle जैसे अफ्रीकी कपड़ों के ब्रांड भारत और अफ्रीका दोनों जगह काम करते हैं।
कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और ह्यूमन हेयर जैसे सामान भारत से अफ्रीका भेजे जाते हैं, वहां बेचे जाते हैं और फिर हवाला के ज़रिए यहां के सप्लायर को पेमेंट किया जाता है।
अफ्रीका के लोग कपड़ों का एक्सपोर्ट इसलिए करते हैं क्योंकि वहां कपड़ों पर 4-5 गुना मुनाफ़ा मिलता है।
काले धंधे और अफ्रीकी समुदाय
अफसोस की बात है कि इस समुदाय के कुछ लोग अवैध कामों में भी शामिल पाए जाते हैं—
नकली वीज़ा बनाना और बेचना
वीज़ा ओवरस्टे (भारत में 18,000 अफ्रीकी लोग वीज़ा अवधि पार करके रह रहे हैं)
साइबर क्राइम और हनी ट्रैपिंग
नकली लॉटरी स्कैम
ड्रग्स की तस्करी, जो नाइजीरिया होते हुए भारत के बड़े शहरों तक पहुंचती है
पर कुछ लोगों की गलतियों की सज़ा पूरी समुदाय को मिलती है।
पुलिस और समाज उन्हें एक ही नजर से देखते हैं। यही वजह है कि 90% अफ्रीकी छात्र भारत आने के पहले साल में ही वापस लौट जाते हैं।
यहां तक कि भारतीय मूल के सिद्धी समुदाय को भी रंग-रूप की वजह से भेदभाव झेलना पड़ता है।