जन्माष्टमी 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और खास परंपराएं

Aanchalik Khabre
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कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। साल 2025 में यह उत्सव 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूरे भारत में और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भगवान कृष्ण की भव्य पूजा और उत्सव होते हैं। इस लेख में हम जानेंगे इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कुछ खास परंपराओं के बारे में।

 

भगवान कृष्ण को हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। उनकी जन्म कथा, बाल लीलाएं, और उपदेश गीता के माध्यम से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। जन्माष्टमी का पर्व भगवान के जन्म की खुशी और भक्ति को प्रकट करने का अवसर है। यह दिन सभी भक्तों के लिए बेहद पावन और शुभ माना जाता है।

janmashtami image

कृष्ण जन्माष्टमी

का शुभ मुहूर्त और पूजा का समय

इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त बहुत ही संक्षिप्त रहेगा। केवल 44 मिनट का मुहूर्त पूजा के लिए निर्धारित किया गया है। यह मुहूर्त मध्यरात्रि से शुरू होकर अगले दिन के शुरुआती कुछ समय तक रहेगा। देश के प्रमुख शहरों में यह समय थोड़ा अलग-अलग होगा। उदाहरण के लिए, वृंदावन और नई दिल्ली में पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा, जबकि मुंबई में यह 12:20 बजे से 1:05 बजे तक रहेगा। भक्तों को इस समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि वे भगवान की पूजा सही समय पर कर सकें।

कृष्ण जन्माष्टमी की विशेष परंपराएं

कृष्ण जन्माष्टमी पर कई खास परंपराएं निभाई जाती हैं। सबसे प्रसिद्ध परंपराओं में से एक है लड्डू गोपाल की पूजा। इस दिन भक्त छोटी-छोटी मूर्तियों को खासतौर पर दूध, दही, घी और मिश्री से सजाते हैं। एक रोचक परंपरा है जिसमें लड्डू गोपाल को खीरे के अंदर रखा जाता है। खीरे को गर्भ का प्रतीक माना जाता है, और इसे भगवान कृष्ण के माँ के गर्भ के रूप में दिखाया जाता है। यह परंपरा भगवान के जन्म की याद को और अधिक जीवंत करती है।

इसके अलावा, मंदिरों में विशेष आरती, भजन-कीर्तन, और कथा वाचन होते हैं। विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, द्वारका जैसे धार्मिक स्थानों पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। इन स्थानों पर पूरी रात भक्ति और उत्सव का माहौल बना रहता है।

राजनीतिक और सामाजिक महत्व

इस साल भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मथुरा में जन्माष्टमी के कार्यक्रमों में भाग लेने आएंगे। वे पूजा-अर्चना के बाद साधु-संतों का सम्मान करेंगे और कई विकास योजनाओं का शुभारंभ करेंगे। इस प्रकार यह पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

राशि अनुसार

दान और शुभ कर्म

जन्माष्टमी के दिन दान करने का भी खास महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर राशि के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। जैसे धनु राशि वाले धार्मिक पुस्तकें दान करें, मकर राशि वाले नीले रंग के वस्त्र दान करें, मीन राशि वाले केले, बेसन के लड्डू और माखन दान करें। इस प्रकार हर राशि के जातकों के लिए विशेष दान की सूची तैयार की जाती है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

प्रधानमंत्री

और अन्य नेताओं के शुभकामना संदेश

इस वर्ष भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य देश के नेताओं ने देशवासियों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। वे इस त्योहार को देश की एकता, भाईचारे और आध्यात्मिकता का प्रतीक मानते हैं। उनके संदेशों में भगवान कृष्ण के उपदेशों का महत्व और जीवन में धर्म के पालन की प्रेरणा भी मिलती है।

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह हमारे जीवन में आध्यात्मिकता, प्रेम और समर्पण का संदेश भी लेकर आता है। भगवान कृष्ण की लीलाओं और उपदेशों से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी के दौरान सभी भक्तों को चाहिए कि वे इस पावन अवसर पर मन और हृदय से भगवान की पूजा करें, सही समय का ध्यान रखें, और अपने आस-पास जरूरतमंदों की मदद करें।

इस प्रकार, कृष्ण जन्माष्टमी 2025 हमें भक्ति, प्रेम और एकता की भावना को मजबूत करने का अवसर देता है। आइए, इस पावन पर्व पर हम सब मिलकर भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और उनके द्वारा दिए गए जीवन-मूल्यों को अपनाएं।

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