घटना का पूरा मामला
ग्रेटर नोएडा के सिरसा गाँव से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक महिला निकी (30 वर्ष) को उसके पति और ससुराल वालों ने बुरी तरह पीटा और फिर लाइटर से आग लगाकर जिंदा जला दिया। सबसे दर्दनाक बात यह रही कि यह पूरी घटना महिला के 6 साल के बेटे के सामने हुई।
बेटे ने बयां किया खौफनाक मंजर
मासूम बेटे ने मीडिया से बातचीत में बताया:
“मम्मी को पहले थप्पड़ मारा, फिर उन पर कुछ डाला और लाइटर से आग लगा दी।”
बच्चे का यह बयान पूरे देश को झकझोर देने वाला है और Greater Noida Dowry Case की भयावह सच्चाई को सामने लाता है।
वायरल वीडियो ने खोली पोल
सोशल मीडिया पर दो वीडियो तेजी से वायरल हुए –
पहले वीडियो में निकी को बाल पकड़कर घसीटा जा रहा है और बेरहमी से पीटा जा रहा है।
दूसरे वीडियो में वह सीढ़ियों से नीचे उतरती हुई दिख रही हैं, जबकि उनका शरीर जल चुका है और वह दर्द से कराह रही हैं।
इन वीडियो ने देशभर में दहेज प्रथा और महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर बहस छेड़ दी है।
दहेज की मांग और परिवार का आरोप
निकी की बड़ी बहन कंचन, जिसकी शादी भी उसी परिवार में हुई थी, ने पुलिस को बताया कि –
शादी (2016) के बाद से ही निकी पर ₹36 लाख दहेज की मांग का दबाव डाला जाता था।
शादी के समय लड़की के परिवार ने पहले ही एक स्कॉर्पियो गाड़ी दी थी।
दोनों बहनों को लगातार मारपीट, अमानवीय यातना और जलाकर मारने की धमकी दी जाती थी।
कंचन का आरोप है कि उसे भी कई बार मारा-पीटा गया और तेजाब डालने की कोशिश की गई।
पुलिस की कार्रवाई
निकी को पहले फोर्टिस अस्पताल और फिर सफदरजंग अस्पताल दिल्ली ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान ही उसने दम तोड़ दिया।
कंचन की शिकायत पर कासना थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया।
पुलिस ने पति विपिन भाटी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि ससुराल के अन्य आरोपी अभी फरार हैं।
दहेज हत्या: एक बड़ा सामाजिक सवाल
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए दहेज प्रथा की भयावह सच्चाई को सामने लाती है।
भारत में हर साल हजारों महिलाएं दहेज की बलि चढ़ जाती हैं।
कानून (धारा 498A आईपीसी और दहेज निषेध अधिनियम) होने के बावजूद सख्त अमल की कमी इस समस्या को और गहरा बना रही है।
दहेज हत्या: एक बड़ा सामाजिक सवाल
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए दहेज प्रथा की भयावह सच्चाई को सामने लाती है।
भारत में हर साल हजारों महिलाएं दहेज की बलि चढ़ जाती हैं।
कानून (धारा 498A आईपीसी और दहेज निषेध अधिनियम) होने के बावजूद सख्त अमल की कमी इस समस्या को और गहरा बना रही है।

