जम्मू-कश्मीर इन दिनों एक बड़ी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। लगातार हो रही भारी बारिश ने घाटी के हालात पूरी तरह से बिगाड़ दिए हैं। कटरा से लेकर डोडा और कठुआ तक हर जगह बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने जिंदगी को थाम दिया है। ट्रेनें रद्द हो रही हैं, सड़कों का संपर्क टूट चुका है और माता वैष्णो देवी यात्रा जैसे धार्मिक मार्ग भी अब असुरक्षित हो गए हैं। अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है, दर्जनों लोग घायल हैं और सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं।
यह हालात सिर्फ एक मौसम की मार नहीं, बल्कि सिस्टम की कमज़ोरियों और जलवायु परिवर्तन के खतरनाक संकेत भी हैं। चलिए विस्तार से समझते हैं कि क्या हुआ, कैसे हालात बिगड़े और अब आगे क्या उम्मीद की जा सकती है।
वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर सबसे बड़ा हादसा
बारिश के कारण सबसे बड़ा हादसा वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर हुआ, जहां अर्धकुंवारी के पास इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास भूस्खलन हो गया। इस हादसे में अब तक 32 श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है और 20 से ज्यादा घायल हैं। यह लोग दर्शन करने आए थे, लेकिन लौटते समय रास्ते में आए भूस्खलन ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया।
इस घटना ने न सिर्फ श्रद्धालुओं को सदमे में डाल दिया, बल्कि प्रशासन की तैयारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए। कई श्रद्धालु बिहार और उत्तर प्रदेश से आए थे, जो अब ट्रेनें रद्द होने की वजह से कटरा में ही फंसे हुए हैं।
ट्रेनें बंद, रास्ते बंद, लोग फंसे
उत्तर रेलवे ने भारी बारिश और खराब हालात को देखते हुए 18 से ज्यादा ट्रेनें रद्द कर दी हैं। कटरा, उधमपुर और जम्मू रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा है। जो श्रद्धालु या पर्यटक दर्शन कर चुके थे, अब वापस नहीं लौट पा रहे हैं।
एक महिला श्रद्धालु ने कहा, “हम दो दिन पहले दर्शन करने आए थे। अब वापस जाना है, लेकिन कोई रास्ता नहीं है। डर लग रहा है, ट्रेनें बंद हैं, और किसी को कुछ नहीं पता कि आगे क्या होगा।”
डोडा और कठुआ में हालात और खराब
जम्मू-कश्मीर का डोडा जिला पिछले 3-4 दिनों से भारी बारिश की चपेट में है। नदियां उफान पर हैं, कई घर बह चुके हैं और अभी भी हल्की बारिश लगातार जारी है। बाढ़ के कारण डोडा में तीन लोगों की जान चली गई है।
वहीं, कठुआ में एक सीआरपीएफ कैंप बाढ़ में बह गया। सेना को हेलीकॉप्टर की मदद से 22 जवानों और 3 नागरिकों का रेस्क्यू करना पड़ा। राहत और बचाव में वायुसेना के चिनूक और MI-17 हेलीकॉप्टर लगातार जुटे हुए हैं।
प्रशासन की चुनौती और तैयारी
रामबन के एसएसपी अरुण गुप्ता का कहना है कि नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। कई इलाकों से लोगों को निकालना पड़ा है। हर पुलिस स्टेशन और चौकी पर बचाव दल बनाए गए हैं, ताकि अगर हालात और बिगड़ें तो तुरंत कार्रवाई हो सके।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने माना कि संचार व्यवस्था लगभग ठप हो चुकी है और केंद्र सरकार से मदद की जरूरत है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर संवेदना जताई है और अधिकारियों को राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं।
श्रद्धालु डरे हुए, घर लौटना चाहते हैं
कटरा में फंसे हजारों श्रद्धालु अब दर्शन से ज्यादा सुरक्षित घर लौटने की चिंता कर रहे हैं। एक भक्त ने कहा, “हम बिहार से आए थे। दर्शन हो गए लेकिन अब फंसे हुए हैं। टिकट हैं लेकिन ट्रेनें बंद हैं। हम डरे हुए हैं और बस किसी तरह घर पहुंचना चाहते हैं।”
यह स्थिति बताती है कि आपदा के समय धार्मिक पर्यटन कैसे जोखिम में पड़ जाता है और श्रद्धालुओं के लिए कितनी तैयारी ज़रूरी है।
मौसम विभाग का अलर्ट: राहत की उम्मीद नहीं
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अभी और बारिश का अनुमान जताया है। यानी हालात जल्दी सुधरने वाले नहीं हैं। डोडा, रियासी, कटरा, पुंछ और रामबन जैसे जिलों में अगले दो दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी है।
अगर यह बारिश जारी रही तो नए भूस्खलन, सड़क धंसने, पुल टूटने और यातायात बाधित होने की और घटनाएं हो सकती हैं।

