ई20 फ्यूल स्कैम? नितिन गडकरी के बेटों पर एथेनॉल कंपनियों को लेकर उठे सवाल

Aanchalik Khabre
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ई20 फ्यूल स्कैम

नई दिल्ली, 5 सितंबर 2025

देश में पेट्रोल–डीज़ल की बढ़ती कीमतों और नई E20 फ्यूल पॉलिसी को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म Reddit पर यह दावा किया गया है कि भारत सरकार की नई एथेनॉल मिश्रण नीति से लाभान्वित होने वाली दो बड़ी कंपनियाँ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बेटों से जुड़ी हुई हैं। इस दावे के बाद से राजनीति और उद्योग जगत में हड़कंप मच गया है।


Reddit पर वायरल हुआ दावा

TamilNadu सबरेडिट पर एक यूज़र ने लिखा कि भारत की दो प्रमुख एथेनॉल कंपनियाँ सीधे नितिन गडकरी के बेटों द्वारा चलाई जा रही हैं। पोस्ट में आरोप लगाया गया कि सरकार की E20 पॉलिसी, जिसके तहत 2025 से पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाया जाना है, का सबसे बड़ा फ़ायदा इन कंपनियों को मिल रहा है।

इस आरोप के बाद यूज़र्स ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

  • एक ने लिखा, “जब तक देशभर में विरोध नहीं होगा, कुछ नहीं बदलेगा।”

  • दूसरे ने कहा, “हमने इन्हें वोट दिया और अब ये हमें धोखा दे रहे हैं।”


E20 पॉलिसी क्या है?

भारत सरकार ने 2025 से E20 फ्यूल (20% Ethanol + 80% Petrol) को अनिवार्य करने का ऐलान किया था। इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं—

फायदे

  • पेट्रोल की गुणवत्ता बेहतर (Octane rating में सुधार)

  • कम प्रदूषण (Carbon monoxide और Hydrocarbons घटते हैं)

  • पेट्रोल आयात पर निर्भरता कम

  • सस्ता मिश्रण (ईंधन लागत घट सकती है)

नुकसान

  • पुरानी गाड़ियों के इंजन को नुकसान

  • टैंक और पार्ट्स में जंग लगने का खतरा

  • माइलेज कम होना

  • लंबे समय तक रखने पर फ्यूल अलग हो जाना (Phase separation)

यानी पॉलिसी तकनीकी रूप से विवादित है, लेकिन इसके बावजूद इसे तेज़ी से लागू किया गया।


गडकरी परिवार का नाम क्यों आया सामने?

कई रिपोर्ट्स के अनुसार—

  • निखिल गडकरी, नितिन गडकरी के बेटे, CIAN Agro Industries & Infrastructure Ltd. से जुड़े हुए हैं।

  • वहीं सारंग गडकरी का नाम Manas Agro Industries से जुड़ा बताया जाता है।

दोनों कंपनियाँ एथेनॉल और बायो-फ्यूल का बिज़नेस करती हैं। माना जा रहा है कि E20 पॉलिसी के लागू होने के बाद इन कंपनियों की कमाई और शेयर वैल्यू में तेज़ उछाल आया है।

📈 उदाहरण के तौर पर—

  • CIAN Agro का टर्नओवर हाल ही में 17 करोड़ से बढ़कर 500+ करोड़ हो गया।

  • कंपनी का शेयर प्राइस भी ₹40 से बढ़कर ₹600+ तक पहुँच गया।

इस तेज़ी ने संदेह और गहरा कर दिया है कि क्या सरकारी नीतियाँ सीधे निजी कंपनियों को लाभ पहुँचा रही हैं।


जनता के बीच गुस्सा और सवाल

सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं—

  • “जब Ethanol पुरानी गाड़ियों को नुकसान पहुँचाता है, तो सरकार ने इसे मंज़ूरी क्यों दी?”

  • “क्या वजह सिर्फ़ यह है कि नेताओं के परिवार इस बिज़नेस से जुड़े हुए हैं?”

कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये आरोप सही साबित होते हैं तो यह सिर्फ़ एक औद्योगिक विवाद नहीं बल्कि एक कॉर्पोरेट–पॉलिटिकल घोटाला होगा।


प्रशासन और राजनीति की प्रतिक्रिया

अब तक नितिन गडकरी या उनके परिवार की ओर से इन दावों पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालाँकि, गडकरी हमेशा से अपनी ईमानदार और साफ़ छवि के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि इन आरोपों ने जनता को और ज़्यादा चौंका दिया है।

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