शाजापुर में ईद-ए-मिलादुन्नबी का भव्य जुलूस, हज़रत मुहम्मद साहब के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला गया

Aanchalik Khabre
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Eid Milad-un-Nabi Celebration Shajapur

शाजापुर। पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के यौमे-पैदाइश (ईद-ए-मिलादुन्नबी) के पावन अवसर पर शुक्रवार को शहर में अत्यंत उल्लास, भाईचारे और आध्यात्मिक उत्साह का माहौल देखने को मिला। इस धार्मिक उत्सव का मुख्य आकर्षण सीरत कमेटी द्वारा आयोजित एक विशाल जुलूस रहा, जिसने न केवल धार्मिक उत्साह का प्रदर्शन किया बल्कि सामाजिक सद्भाव और शांति का एक अनूठा उदाहरण भी प्रस्तुत किया।

जुलूस की शुरुआत: प्रार्थना और शांति के संदेश के साथ

जुलूस का शुभारंभ सुबह 8:30 बजे बादशाही पुल स्थित ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद से हुआ। आरंभिक कुरान ख्वानी और सामूहिक दुआ के पश्चात, जुलूस ने शहर के मुख्य मार्गों पर अपनी यात्रा प्रारंभ की। इस अवसर पर शहर की सभी प्रमुख मस्जिदों में विशेष नमाज़ और प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया।

सामाजिक एकता का प्रतीक

जुलूस में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग शामिल थे। बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया, जो रंगीन परंपरागत परिधानों में सज्जित थे और घोड़ों, सजावटी वाहनों एवं ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सवार होकर जुलूस की शोभा बढ़ा रहे थे। यह दृश्य न केवल आकर्षक था बल्कि युवा पीढ़ी में धार्मिक परंपराओं की निरंतरता का प्रतीक भी था।

प्रमुख प्रतिभागी और सामुदायिक भागीदारी

जुलूस का नेतृत्व काज़ी एहसान उल्ला, काज़ी मोहसिन उल्ला, नायब काज़ी रेहमत उल्ला सहित विभिन्न धार्मिक नेताओं ने किया। अंजुमन कमेटी के सदर हाजी नईम कुरैशी और सीरत कमेटी के संस्थापक सदर असलम अली शाह ने भी इस अवसर पर अपना मार्गदर्शन प्रदान किया।

जुलूस में हाजी इब्राहिम पठान, शेख शमीम सम्मू, पूर्व पार्षद मूसा खान, नेता प्रतिपक्ष अज़ीज मंसूरी सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक हस्तियों ने सक्रिय भागीदारी की।

सामाजिक सद्भाव का अनूठा उदाहरण

एक उल्लेखनीय पहलू यह रहा कि मार्ग में स्थित विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों – जैसे हिन्दू समाज, गुर्जर समाज, बोहरा समाज और व्यापारी संघों – ने जुलूस में शामिल प्रतिभागियों का स्वागत किया और पुष्पवर्षा कर सम्मान व्यक्त किया। यह अंतर-सामुदायिक सद्भाव और सामाजिक एकता का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।

सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक सहयोग

जिला प्रशासन और पुलिस बल ने इस आयोजन की सफलता के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्वयं मौजूद रहे और जुलूस के शांतिपूर्वक संचालन में सहयोग प्रदान किया।

धार्मिक संदेश और सामाजिक प्रासंगिकता

उलेमा और धार्मिक विद्वानों ने इस अवसर पर पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब के जीवन दर्शन, सहिष्णुता के संदेश और मानवता की सेवा के आदर्शों को विस्तार से समझाया। उन्होंने वर्तमान सामाजिक संदर्भ में इन शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने की दुआ मांगी।

आयोजन की सफलता और समापन

अंत में, अंजुमन कमेटी के सदर हाजी नईम कुरैशी और मुहर्रम कमेटी के सरपरस्त शेख शमीम सम्मू ने सभी प्रतिभागियों, सामाजिक संगठनों और प्रशासनिक अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक उत्साह का प्रदर्शन करते हैं बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि को भी बढ़ावा देते हैं।

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