काठमांडू/वाराणसी, 13 सितंबर 2025
नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है, जब देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे नेपाल में उनकी नियुक्ति एक नई उम्मीद के रूप में देखी जा रही है। खास बात यह है कि सुशीला कार्की का भारत से गहरा नाता रहा है, जिसने उन्हें “भारत की मित्र” की छवि दी है।
भारत से शिक्षा और जुड़ाव
- सुशीला कार्की ने अपनी राजनीति शास्त्र की मास्टर्स डिग्री वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से 1975 में पूरी की।
- पढ़ाई के दौरान उन्होंने भारत में कई वर्षों तक समय बिताया और वहां के सामाजिक-राजनीतिक माहौल को करीब से समझा।
- उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी का भी बीएचयू से संबंध रहा है।
राजनीतिक सफर और ईमानदार छवि
- सुशीला कार्की को नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होने का गौरव प्राप्त है।
- उन्होंने न्यायपालिका में रहते हुए भ्रष्टाचार विरोधी फैसलों के जरिए अपनी ईमानदार और सख्त छवि बनाई।
- अब अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें देश की स्थिरता और लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा में काम करना होगा।
भारत–नेपाल संबंधों पर दृष्टिकोण
- भारत में पढ़ाई और लंबे समय तक रहने के अनुभव ने सुशीला कार्की को दोनों देशों के रिश्तों की गहराई समझने का मौका दिया।
- कई मौकों पर उन्होंने भारत के सहयोग और मित्रता को सराहा है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की भी उन्होंने सकारात्मक चर्चा की है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में और मजबूती की संभावना दिखती है।
मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति
- नेपाल इस समय युवाओं के आंदोलन और अस्थिर राजनीतिक माहौल से गुजर रहा है।
- भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने जनता को सड़कों पर उतारा, जिसके बाद अंतरिम सरकार बनाने का रास्ता खुला।
- सुशीला कार्की से उम्मीद है कि वे शांति, स्थिरता और लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाएंगी।
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