पटियाला नगर स्थित सरस्वती गिरी डेरा आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान गंगा कथा का भव्य शुभारंभ पूज्य स्वामी गणेशानंद गिरी जी महाराज की दिव्य वाणी से हुआ। इस पावन अवसर पर नगर के प्रमुख मार्गों से एक भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें मुख्य यजमान परिवार, नगरवासी एवं आश्रम के कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
दिव्य कथा का आध्यात्मिक प्रारंभ
ब्रजभूमि वृंदावन के श्री वृंदाधाम के कर्मयोगी एवं सुप्रसिद्ध कथावाचक स्वामी गणेशानंद गिरी जी महाराज ने अपने मधुर कंठ से श्रद्धालुओं को हरिनाम रस का पान कराया। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कोई सामान्य ग्रंथ नहीं, बल्कि भगवान का दिव्य स्वरूप है, जो मनुष्य को सद्गति प्रदान करने में सक्षम है।
धुंधकारी प्रसंग से आत्मबोध की प्रेरणा
स्वामी जी ने धुंधकारी प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि अज्ञानियों का उद्धार संभव है, तो भगवान की कृपा से हम सबका कल्याण निश्चित है। उन्होंने गोकर्ण के उदाहरण से समझाया कि जो माता-पिता और गुरु के वचनों का आदर करता है, वही सच्चा पुत्र है, जबकि अनादर करने वाला धुंधकारी कहलाता है।
मानव जीवन का महत्व और सतगुरु की भूमिका
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मानव शरीर दुर्लभ है और इसी के माध्यम से भवसागर से पार उतरा जा सकता है। केवल शारीरिक कल्याण ही नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति के उपाय भी आवश्यक हैं। सतगुरु ही वह केवट हैं, जो मोह की मंझधार से निकालकर परमात्मा के प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
इस अवसर पर वेदमूर्ति तपोनिष्ठ प्रशांत गिरी महाराज, आश्रम के संतगण, धर्माचार्य, मुख्य यजमान परिवार एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने इस दिव्य कथा का लाभ उठाया।
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