भिवंडी महानगरपालिका द्वारा प्रकाशित प्रारूप विकास योजना (DP) को लेकर शहर में गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है। स्थानीय नागरिकों और विधायक अबू आसिम आजमी ने इस योजना को “बिल्डर्स डेवलपमेंट प्लान” करार देते हुए इसे तत्काल रद्द करने की मांग की है।
योजना में संदिग्ध परिवर्तनों पर चिंता
जागरूक नागरिकों का आरोप है कि इस विकास योजना में कई ऐसे संदिग्ध परिवर्तन किए गए हैं जो सीधे तौर पर बिल्डर लॉबी को लाभ पहुंचाते हैं। इनमें शामिल हैं:
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ज़ीनत कंपाउंड (कणेरी) में पार्किंग ज़ोन को आवासीय ज़ोन में परिवर्तन
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टेमघर स्थित ट्रक टर्मिनल को हटाकर आवासीय ज़ोन व आंशिक बस डिपो बनाना
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दांडेकर कंपनी-रिलायंस की जमीन से औद्योगिक ज़ोन हटाकर वाणिज्यिक ज़ोन स्थापित करना
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भादवड स्थित गोदरेज प्रोजेक्ट के बीच निर्मित STP को ग्रीन ज़ोन में बदलना
मेट्रो परियोजना से जुड़ी विसंगतियाँ
वर्ष २०२१ में उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा मेट्रो को भूमिगत करने के ऐतिहासिक निर्णय के बावजूद, १२ अगस्त २०२५ को प्रकाशित DP में कल्याण रोड के दोनों तरफ २०-२० फीट सड़क चौड़ीकरण शामिल किया गया है। इससे नागरिकों में रोष है, जो इसे करदाताओं के पैसे की बर्बादी और नागरिकों के साथ धोखा मानते हैं।
नागरिक आपत्तियों की अनदेखी
भिवंडी कल्याण रोड निवासी ६,२२२ नागरिकों द्वारा दायर लिखित आपत्तियों और १,४९८ लोगों की व्यक्तिगत उपस्थिति के बावजूद, मनपा प्रशासन ने इन आपत्तियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग
विधायक अबू आसिम आजमी ने उप मुख्यमंत्री एवं नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे को लिखित पत्र देकर जनहित में इस डीपी को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि “यह योजना शहर के विकास के बजाय चुनिंदा बिल्डर्स के हितों की पूर्ति करती है।”
पारदर्शिता की कमी पर सवाल
शहर में पूर्व प्रशासक आयुक्त अजय वैद्य द्वारा बिल्डर लॉबी के साथ मिलकर डीपी योजना बनाए जाने और करोड़ों की कमाई की अटकलें व्याप्त हैं। कई प्रोजेक्ट्स में गुप्त समझौतों का खुलासा होना इस विवाद को और गहरा कर रहा है।
यह मामला नगर नियोजन में पारदर्शिता और जनभागीदारी के महत्व को रेखांकित करता है। भिवंडी की यह स्थिति देश के अन्य शहरों के लिए भी एक सबक है, जहाँ विकास योजनाओं को जनहित में而不是 व्यक्तिगत हितों में बनाया जाना चाहिए।
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