विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025: टोक्यो में नीरज चोपड़ा की हार, सचिन यादव की चमक

Aanchalik Khabre
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विश्व एथलेटिक्स

नीरज चोपड़ा का निराशाजनक प्रदर्शन

टोक्यो में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के पुरुष भाला फेंक फाइनल में भारतीय स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा अपने खिताब की रक्षा नहीं कर सके। टोक्यो में ही ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले नीरज से उम्मीदें बहुत थीं, लेकिन वह केवल 84.03 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ आठवें स्थान पर रहे। यह उनके लिए निराशाजनक रहा क्योंकि यदि वे सफल होते तो वह लगातार दो बार इस खिताब को बचाने वाले दुनिया के केवल तीसरे खिलाड़ी बन जाते।

सचिन यादव का बेहतरीन प्रदर्शन

नीरज के अलावा भारत के सचिन यादव ने फाइनल में अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने 86.27 मीटर के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ चौथा स्थान हासिल किया। हालांकि वह पदक से चूक गए, लेकिन लगातार पांच प्रयासों तक मजबूत प्रदर्शन कर उन्होंने भारतीय भाला फेंक के भविष्य की उम्मीदें जगा दीं।

पदक विजेता और प्रतिस्पर्धा

त्रिनिदाद एंड टोबैगो के केशोर्न वालकोट ने 88.16 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता। एंडरसन पीटर्स ने 87.38 मीटर से रजत और अमेरिका के कर्टिस थॉम्पसन ने 86.67 मीटर के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया। पाकिस्तान के ओलंपिक चैंपियन अरशद नदीम चौथे प्रयास में ही बाहर हो गए और उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।

नीरज और सचिन के थ्रो का विवरण

  • नीरज ने पहले प्रयास में 83.65 मीटर और दूसरे में 84.03 मीटर का थ्रो किया, जो उनका सर्वश्रेष्ठ रहा।

  • सचिन यादव ने पहले ही प्रयास में 86.27 मीटर फेंककर नीरज को पीछे छोड़ दिया।

  • तीसरे प्रयास में सचिन ने 85.71 मीटर का थ्रो किया जबकि नीरज ने फाउल किया।

  • पांचवें प्रयास में नीरज फाउल कर बैठे और उनकी चुनौती समाप्त हो गई।

  • अंतिम प्रयास में सचिन 80.95 मीटर फेंक सके और चौथे स्थान पर रहे।

भारतीय एथलेटिक्स के लिए संकेत

नीरज चोपड़ा का यह प्रदर्शन निराशाजनक भले हो, लेकिन सचिन यादव का उभरना भारतीय भाला फेंक की नई ताकत को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सचिन ने जिस आत्मविश्वास के साथ खेल दिखाया, वह आने वाले पेरिस ओलंपिक में भारत की उम्मीदें बढ़ा सकता है।

सीख और आगे की रणनीति

नीरज के अनुभव से भारतीय खिलाड़ियों के लिए यह स्पष्ट है कि बड़े टूर्नामेंट में लगातार प्रदर्शन और मानसिक दृढ़ता कितनी महत्वपूर्ण है। सचिन जैसे नए खिलाड़ी के लिए यह समय तकनीकी सुधार, कोचिंग और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के अनुभव पर ध्यान देने का है।

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