आजम खान रिहाई ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान मंगलवार को करीब 23 महीनों बाद सीतापुर जेल से रिहा हुए। सोमवार शाम को उनकी रिहाई का परवाना जिला कारागार पहुंच गया था, लेकिन जेल मैन्युअल के कारण देर शाम रिहाई संभव नहीं हो सकी। अंततः मंगलवार दोपहर सवा बारह बजे आजम खान जिला कारागार के बाहर आए और भारी सुरक्षा के बीच रामपुर के लिए रवाना हुए।
सीतापुर जेल से रिहाई का पूरा घटनाक्रम
आजम खान की रिहाई की खबर सोमवार शाम से ही समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भर रही थी। उनके दोनों पुत्र अदीब और अब्दुल्ला सीतापुर पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ इंतज़ाम देख रहे थे। मंगलवार सुबह सपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ जिला कारागार के बाहर जुट गई। हालांकि रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में 6,000 रुपये का जुर्माना भरने के बाद ही आजम खान की रिहाई की प्रक्रिया आगे बढ़ पाई।
रिहाई के बाद बढ़ी राजनीतिक हलचल
सुबह 11 बजे के बाद जैसे ही जुर्माने की पुष्टि हुई और ईमेल सीतापुर जेल पहुंचा, रिहाई की औपचारिकताएं शुरू कर दी गईं। समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। सुरक्षा के मद्देनज़र एएसपी उत्तरी आलोक सिंह ने मोर्चा संभाला, ड्रोन से स्थिति की निगरानी की गई और पुलिस ने जेल के बाहर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नो-पार्किंग में खड़े 73 वाहनों का चालान किया।
आजम खान के बाहर आते ही उनके पुत्रों ने उनका स्वागत किया और उन्हें वाहन में बिठाकर कड़ी सुरक्षा के बीच रामपुर रवाना कर दिया गया। यह रिहाई न केवल आजम खान के समर्थकों के लिए राहत भरी रही, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी नए समीकरणों की चर्चा तेज कर गई।
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