झुंझुनू, 10 नवंबर। हर दुल्हन की ये चाहत होती है कि उसके घर बैण्ड बाजे पर नाचती गाती बारात व घोडी पर चढकर दुल्हा आये। तथा हर दुल्हे के भी ये अरमान होते हैं कि उसकी शादी बडे ही तामझाम से हो। लेकिन कलाखरी की नीलम व मेघपुर के सोमश ने इसके विपरीत समाज के सामने अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर दिया। ना बैण्ड ना बाजा, न घोडी ना बारात और हो गई शादी। आजकल शादीयों मे जहां लोग पैसे को पानी की तरह बहाते हैं तो कई जगह बेटियां दहेज की बली चढ जाती है। लेकिन समाज मे हर तरह के इन्सान मौजूद हैं। कुछ लोग बिना खर्चे के ही शादी करके समाज को अच्छा संदेश देते हैं। ऐसा ही वाक्या रविवार को जिले के कलाखरी गाँव मे सेवानिवृत अध्यापक महावीर प्रसाद यादव की पौत्री नीलम पुत्री सुशील यादव के घर देखने को मिला। नीलम का रिश्ता मेघपुर के सोमेश के साथ तय हुआ। आज गोद भराई की रश्म का कार्यक्रम था। जिसमे सोमेश की परिवार की तरफ से गोद भराई कार्यक्रम मे ही बिना दहेज व बिना फिजूल खर्चे के साधारण तरीके से आज ही विवाह करने का प्रस्ताव रखा। जिसका सभी लोगों ने स्वागत किया व फेरों की रश्म पूरी की लडकी को विदा किया।
दुल्हा सोमेश केन्द्रीय विधालय मुम्बई मे अध्यापक है तथा दुल्हन बीएससी बीएड है। दुल्हा व दुल्हन दोनो का ही परिवार शिक्षा जगत से जुडा है। लडके के पिता, खुद व बडे भाई चन्द्रशेखर शिक्षक हैं तो वहीं लडकी के दादाजी व ताउ भी शिक्षा जगत से जुडे हैं। दोनो ही परिवार आर्थिक रूप से समपन्न हैं। ऐसे मे इस प्रकार की शादी समाज को अच्छा संदेश देती है।
दुल्हन नीलम का कहना है कि मैं इस प्रकार की शादी से खुश हूं तथा शादी के माध्यम से समाज को संदेश देना चाहती हूं। बेटियां बेाझ नही होती यदि समाज सोच को बदल ले तो बिना दहेज व खर्चे के भी बेटी की शादी की जा सकती है। दुल्हे सोमेश यादव ने कहा कि मेरा प्रारम्भ से बिना दहेज शादी करने का मानस था। जो आज मैने पूरा कर दिखाया है। मै मेरे पिता व ससुर का शक्रगुजार हूँ जिन्होने मेरी यह मुराद पूरी की तथा बिना तामझाम के ही मेरी शादी की रश्म गोद कार्यक्रम मे ही पूरी कर दी।