अमेठी। उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में बीती रात मूसलाधार बारिश ने एक परिवार की खुशियाँ छीन लीं। बाजार शुकुल थाना क्षेत्र के गयासपुर गांव में 22 वर्षीय युवती की दर्दनाक मौत और उसके पिता के गंभीर रूप से घायल होने की घटना ने पूरे गांव को शोक में डूबो दिया है। यह हादसा तब हुआ जब सड़क किनारे बने एक छप्पर पर विशाल पेड़ आकर गिर पड़ा।
सावित्री नाम की यह युवती दो महीने बाद दुल्हन बनने वाली थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जिस घर में शादी की तैयारियाँ होनी थीं, वहां अब मातम पसरा है।
हादसे की रात
गांव के लोग बताते हैं कि मंगलवार रात से ही तेज बारिश हो रही थी। रात करीब 11 बजे अचानक एक बड़ा पेड़ सड़क किनारे झुका और फिर भरभराकर गिर पड़ा। उसके नीचे सड़क किनारे बने एक छप्पर में सो रही सावित्री और उसके पिता जगदीन दब गए।
धड़ाम की आवाज सुनते ही आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। लेकिन पेड़ का वजन इतना था कि मलबा हटाने में काफी वक्त लग गया। ग्रामीणों ने किसी तरह दोनों को बाहर निकाला, लेकिन तब तक सावित्री की सांसें थम चुकी थीं।
पिता अस्पताल में जिंदगी की जंग
सावित्री के पिता जगदीन को ग्रामीणों की मदद से तुरंत अस्पताल ले जाया गया। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। डॉक्टरों के अनुसार, उन्हें कई जगह गहरी चोटें आई हैं और अभी उन्हें निगरानी में रखा गया है।
ग्राम प्रधान ने घटना को लेकर कहा, “सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला। कुछ ही पलों में सब कुछ खत्म हो गया।”
खुशियों के घर में मातम
घटना से स्तब्ध पड़ोसी बताते है “सावित्री हंसमुख और मेहनती लड़की थी। उसकी दो महीने बाद शादी थी। दहेज और कपड़ों की खरीददारी चल रही थी।’’ इस हादसे ने पूरे गांव में मातम का माहौल पैदा कर दिया है।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
बाजार शुकुल थाना प्रभारी अभिनेश कुमार ने बताया, “छप्पर पर भारी पेड़ गिरने से युवती की मौके पर मौत हुई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और आगे की जांच जारी है।”
प्रशासन की तरफ से अब तक परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता देने का कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। हालांकि, ग्रामीणों ने पीड़ित परिवार को मुआवजा और घायल पिता के बेहतर इलाज की मांग की है।
सवाल प्रशासन पर
यह हादसा सिर्फ एक दर्दनाक घटना नहीं, बल्कि एक सवाल भी है—क्या गांवों में गरीब परिवारों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस व्यवस्था है?
- जर्जर छप्पर में रहना
- सड़क किनारे कमजोर पेड़ों का होना
- बारिश के समय इनका खतरा कई गुना बढ़ जाना
ये सब मिलकर अकसर मौत का कारण बन जाते हैं। इसके बावजूद न तो नियमित निरीक्षण होता है और न ही सुरक्षा के लिए कोई कदम।
कुदरत या लापरवाही?
कुछ लोग इसे ‘कुदरत का कहर’ कहकर टाल देते हैं, लेकिन कई ग्रामीण इसे प्रशासन की लापरवाही मानते हैं। उनका कहना है कि अगर सड़क किनारे खड़े कमजोर पेड़ों की समय पर कटाई या देखरेख होती, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
इंसाफ और मदद की उम्मीद
गांव के लोग अब इस टूटे हुए परिवार के लिए न्याय और मदद की उम्मीद कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि प्रशासन न केवल आर्थिक सहायता दे, बल्कि गांव में सुरक्षा उपाय भी बढ़ाए ताकि भविष्य में किसी और परिवार को इस तरह के दर्द से न गुजरना पड़े।
यह हादसा एक कड़वा सच सामने लाता है—ग्रामीण इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी बेहद कमजोर है। बारिश, कमजोर ढांचे और अनदेखे खतरे, जब मिलते हैं, तो वे किसी भी समय मौत का पैगाम बन सकते हैं।
अब सवाल है—क्या प्रशासन इस दर्दनाक घटना से सबक लेकर सतर्क होगा? और क्या सावित्री के परिवार को उसका हक और इंसाफ मिलेगा?
You Might Also Like – Delhi Rain: बारिश के बाद Delhi NCR में कार्य यात्राएं जल भ्रमण में बदल जाती हैं: ‘Boating to office”