प्रस्तावना: एक गंभीर स्वास्थ्य संकट:
अमेठी जिला अस्पताल में लंबे समय से रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण अल्ट्रासाउंड सेवा बंद पड़ी है। यह न केवल एक तकनीकी विफलता है, बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य अधिकारों पर सीधा प्रहार है। सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रही हैं गर्भवती महिलाएं, जिन्हें समय पर अल्ट्रासाउंड जांच नहीं मिल पा रही। हाल ही में इस स्थिति के विरोध में महिलाओं का विरोध प्रदर्शन हुआ, जिससे यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आया।
रेडियोलॉजिस्ट की कमी बनी जनता की पीड़ा का कारण:
अमेठी जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी का मुद्दा नया नहीं है। वर्षों से यह अस्पताल संसाधनों और विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता से जूझ रहा है। अल्ट्रासाउंड मशीन अस्पताल में उपलब्ध है, लेकिन मशीन को चलाने वाला विशेषज्ञ यानी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। नतीजा यह है कि यह महंगी मशीन एक शोपीस बनकर रह गई है।
इस स्थिति में गर्भवती महिलाएं, आंतरिक बीमारियों से पीड़ित मरीज और अन्य जरूरतमंद मरीजों को निजी केंद्रों का रुख करना पड़ता है, जहां जांच की कीमत कई गुना अधिक होती है।
महिलाओं का विरोध प्रदर्शन: सिस्टम को झकझोरने की कोशिश:
हाल ही में अमेठी जिला अस्पताल में महिलाओं का विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें सैकड़ों महिलाएं शामिल हुईं। यह प्रदर्शन किसान नेत्री रीता सिंह के नेतृत्व में हुआ, जिन्होंने इस व्यवस्था पर खुलकर सवाल उठाए। उनका कहना था कि जब अस्पताल में मशीन है, तो फिर विशेषज्ञ क्यों नहीं?
महिलाओं ने इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ अंशुमान सिंह) को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि तुरंत प्रभाव से रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती की जाए ताकि लोगों को अल्ट्रासाउंड सेवा फिर से मिल सके।
सीएमओ अंशुमान सिंह की भूमिका:
विरोध प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही सीएमओ अंशुमान सिंह तुरंत अमेठी जिला अस्पताल पहुंचे और महिलाओं से बातचीत की। उन्होंने समस्या की गंभीरता को स्वीकारते हुए आश्वासन दिया कि प्रशासन इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने ऐसा आश्वासन दिया हो। इससे पहले भी डॉक्टर आलोक तिवारी को अस्थायी तौर पर दो दिनों के लिए अल्ट्रासाउंड करने भेजा गया था, लेकिन उनके लौटते ही स्थिति पहले जैसी हो गई।
एक जिले में भी नहीं रेडियोलॉजिस्ट: दुर्भाग्य या लापरवाही?:
रीता सिंह ने यह भी कहा कि यह अमेठी जिला अस्पताल का दुर्भाग्य है कि पूरे जिले में एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। यहां तक कि अमेठी के तिलोई से विधायक मनकेश्वर सदन सिंह, जो राज्य सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं, उनके क्षेत्र में भी स्वास्थ्य सेवाओं की यह दुर्दशा है।
यह स्थिति बताती है कि या तो सरकार की प्राथमिकताओं में आम लोगों का स्वास्थ्य नहीं है, या फिर नौकरशाही स्तर पर भारी लापरवाही हो रही है।
अल्ट्रासाउंड सेवा बंद: इलाज में हो रही देरी:
अल्ट्रासाउंड सेवा बंद होने का सबसे बड़ा असर मरीजों की समय पर जांच और इलाज पर पड़ रहा है। गर्भवती महिलाओं को समय पर भ्रूण की स्थिति का पता नहीं चल पा रहा, जिससे जटिलताएं बढ़ रही हैं। वहीं, आंतरिक बीमारियों की पहचान में देरी से जानलेवा स्थिति उत्पन्न हो रही है।
यह न केवल चिकित्सा की दृष्टि से खतरनाक है, बल्कि मानवाधिकारों के उल्लंघन की भी श्रेणी में आता है।
सामाजिक और राजनीतिक दबाव जरूरी:
अब समय आ गया है कि आम जनता, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक प्रतिनिधियों को इस मुद्दे पर एक साथ खड़ा होना पड़ेगा। अगर अमेठी जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की स्थायी नियुक्ति नहीं होती, तो यह प्रदर्शन और व्यापक रूप ले सकता है।
रीता सिंह ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द से जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे जिला स्तर पर बड़ा आंदोलन करेंगी।
सरकारी तंत्र की निष्क्रियता पर सवाल:
यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब अस्पताल में जरूरी संसाधन मौजूद हैं, तो विशेषज्ञ क्यों नहीं नियुक्त किए जाते? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या राज्य सरकार की अनदेखी?
अमेठी जिला अस्पताल की यह स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी चेतावनी है कि अगर इस तरह की मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं नहीं दी जा सकें, तो स्वास्थ्य मंत्रालय का औचित्य ही समाप्त हो जाता है।
स्थायी समाधान की आवश्यकता:
मामले का तात्कालिक समाधान डॉक्टर आलोक तिवारी को भेजकर किया गया था, लेकिन इससे पता चलता है कि यह कोई स्थायी हल नहीं है। दो दिन के लिए डॉक्टर भेजना केवल आंखों में धूल झोंकने जैसा है।
जरूरत इस बात की है कि अमेठी जिला अस्पताल में नियमित और स्थायी रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती की जाए ताकि लोगों को बार-बार प्रदर्शन न करना पड़े।
जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी:
जिले के विधायक, सांसद और स्वास्थ्य मंत्री की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं का जायज़ा लें और जरूरतमंद संसाधनों की पूर्ति के लिए उच्चस्तरीय हस्तक्षेप करें।
जब एक राज्य मंत्री का ही निर्वाचन क्षेत्र इस प्रकार की चिकित्सा किल्लत से गुजर रहा है, तो यह राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाता है।
निष्कर्ष: कब जागेगा तंत्र?
अमेठी जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी और अल्ट्रासाउंड सेवा बंद रहना एक गंभीर प्रशासनिक विफलता है। यह न सिर्फ सरकारी लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि जन स्वास्थ्य की अनदेखी को भी दर्शाता है।
महिलाओं का यह विरोध प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि अब जनता चुप बैठने वाली नहीं है। अगर जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है।
सीएमओ अंशुमान सिंह, सरकार और जनप्रतिनिधियों को इस गंभीर समस्या का तत्काल समाधान निकालना चाहिए, ताकि आम जनता को उनका स्वास्थ्य अधिकार मिल सके।
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