राजेंद्र राठौर
अनिता कहती है कि ‘‘समूह से जुड़कर उनके जीवन को एक नई दिशा मिली और आज आत्मनिर्भर होकर समाज एवं गाँव में अपनी एक अलग सशक्त नारी की पहचान बनाई है‘‘
झाबुआ , अनिता की शादी झाबुआ जिले के पेटलावद ब्लॉक में मांडन गाँव में पवन चारेल से हुई, पवन चारेल मजदूरी का कार्य करते थे और घर खर्च उठाते थे। ससुराल में परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, तो अनिता भी अपने पति के साथ घर खर्च चलाने के लिए मजदूरी का कार्य करती थी और परिवार का भरन पोषण करते थे। लेकिन अनिता अपने मायके में बड़ा परिवार होने की कारण और कम उम्र में शादी होने की वजह से ज्यादा पढ़ नहीं पाई थी लेकिन वे शिक्षा ग्रहण कर आगे पढ़ना चाहती थी और अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देना चाहती थी। लेकिन पारिवारिक की आर्थिक तंगी व रुढ़वादी विचारधारा के कारण आगे पढाई करना काफी मुश्किल हो रहा था।
परन्तु शादी के कुछ वर्षों बाद अनिता के पारिवारिक जीवन में बहुत परेशानी हुई, अनिता के पति ने अपने परिवार से झगड़ा करके अनिता को छोड़कर दूसरी महिला से शादी कर ली और घर छोड़कर चला गया। इस हादसे से अनिता को गहरा मानसिक आघात पहुंचा और अब पूरे परिवार एवं बच्चों की जवाबदारी अनिता पर आ गयी लेकिन अनिता ने हार नहीं मानी और पूरी हिम्मत के साथ इस जिम्मेदारी को वहन करने की ठानी और घर खर्च एवं परिवार को संभालने का जिम्मा उठाया।
अनिता का समूह से जुड़ाव -अपने पारिवारिक संघर्ष के दिनों में अनिता दीदी को मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत बन रहे स्व सहायता समूह के बारे में पता चला तब फिर अनिता ने आजीविका मिशन के कर्मचारी से समूह के बारे में पूरी जानकारी ली और समूह से जुड़ने के फायदे और महत्व के बारे में समझा और फिर अनिता ने अपने गाँव मे स्व सहायता समूह बनाने का निर्णय लिया। अपने गाँव की अन्य महिलाओं को समूह की उपयोगिता के बारे में बताया और 10 महिलाओं के साथ मिलकर जय गणेश स्व सहायता समूह का गठन किया और अपने समूह में 25 रुपये साप्ताहिक बचत करना तय किया एवं अपना बचत खाता मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक मे खुलवाया और समूह की बचत को बैंक में जमा करना शुरू किया, चूंकि अनिता 10 वी तक पढ़ी लिखी थी इसलिए सभी सदस्यों ने अनिता को समूह के लेखापाल के रूप में नियुक्त किया और समूह के नियमित संचालन एवं व्यवस्थित दस्तावेजीकरण की वजह बैंक द्वारा समूह को 1 लाख रुपये का CCL लोन दिया गया।
अनिता ने अपने समूह से 20हजार रुपये की राशि लोन के रूप में लेकर सिलाई मशीन खरीदी और सिलाई का काम शुरू किया, अनिता अपनी पूरी मेहनत व लगन के साथ सिलाई का काम करती थी। अनिता ने धीरे-धीरे अपना सारा लोन समूह को चुकता कर दिया, उसके पश्चात् फिर समूह से 25 हजार रुपये की राशि लोन स्वरूप लेकर किराना और जनरल स्टोर का सामान खरीदा व अपनी किराना दुकान खोल ली अब अनिता के आय के साधन बढ़ने लगे और अनिता अपनी दुकान के साथ साथ सिलाई का काम भी करने लगी। अनिता अपनी आय से घर का पूरा खर्च चलाने लगी। अब परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा। अनिता ने अपने बच्चों का स्कूल में दाखिला करा दिया, बच्चे स्कूल जाने लगे। आज की स्थिति में अनिता अपनी आजीविका गतिविधियों से प्रतिमाह 15 हजार रुपये कमा रही है। अभी वर्तमान में कृष्ण भगवान संकुल संगठन के अंतर्गत नारी अधिकार केंद्र में CRP के रूप में चयनित होकर काम कर रही है। इस प्रकार अनिता ने अपनी मेहनत एवं हिम्मत के साथ अपने परिवार को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया है और साथ ही अनिता ने स्वयं अपनी पढ़ाई भी शुरू कर दी है और अभी BSW की पढ़ाई कर रही है।
अनिता समूह से जुड़कर काफी जागरुक हो चुकी है, समूह से जुड़ने के बाद अनिता ने अपनी कमाई से घर में एक स्कूटी ले ली है। अब अनिता को मजदूरी करने नहीं जाना पड़ता है और अनिता अपने बच्चो को भी अच्छे स्कूल में पढ़ा रही है। साथ ही वर्तमान में नारी अधिकार केंद्र से जुड़कर महिलाओं के खिलाफ हिंसा और लैंगिंग भेदभाव पर समूह की महिलाओं को जागरूक कर रही है और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने में मदद कर रही है।
अनिता अपनी कहानी सुनाते हुए कहती है कि समूह से जुड़कर अपने जीवन को एक नई दिशा मिली और आज आत्मनिर्भर होकर समाज एवं गाँव में अपनी एक अलग सशक्त नारी की पहचान बनाई है ।