वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं साहित्यकार डॉ. अशोक वशिष्ठ को मुंबई विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की मानद उपाधि

Aanchalik Khabre
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Ashok Vashistha PhD Mumbai University

मुंबई। वरिष्ठ शिक्षाविद्, साहित्यकार और पत्रकार डॉ. अशोक वशिष्ठ को मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी साहित्य में पीएच.डी. की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह उपलब्धि उनके सातवें दशक में भी निरंतर सीखने और योगदान देने की प्रेरणादायक यात्रा का प्रमाण है।

शोध की मुख्य विशेषताएं

डॉ. वशिष्ठ ने ‘बीसवीं सदी की ग्रामीण हिंदी कहानियों का समाजशास्त्रीय अध्ययन’ विषय पर चांगू काना ठाकुर महाविद्यालय, नवी मुंबई के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. उद्धव भंडारे के मार्गदर्शन में यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार तीन वर्षों में यह शोध पूर्ण किया। शोध कार्य में डॉ. हूबनाथ पाण्डेय, डॉ. रमाकांत नवघरे और डॉ. दीपक दुबे के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया गया।

एक बहुआयामी व्यक्तित्व

उत्तर प्रदेश में जन्मे और 1976 से महाराष्ट्र में सक्रिय डॉ. वशिष्ठ ने स्वामी विवेकानंद विद्यालय, चेंबूर में अंग्रेजी और राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक के रूप में सेवाएं दीं और प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने स्वतंत्र लेखन, पत्रकारिता और महाराष्ट्र सरकार के लिए अनुवाद कार्य जारी रखा।

साहित्यिक योगदान

उनका ग्रामीण परिवेश पर आधारित कहानी संग्रह ‘इस जनम का श्राद्ध’ प्रकाशित हुआ है। मुंबई के प्रमुख समाचार पत्रों में उनके स्थायी स्तंभ प्रकाशित होते रहे हैं, जिनमें ‘निर्भय पथिक’ का ‘खरी-खरी’ स्तंभ विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा।

शैक्षिक दर्शन और भविष्य की योजनाएं

हिंदी, राजनीति शास्त्र, इतिहास और शिक्षा शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री धारक डॉ. वशिष्ठ का मानना है कि “शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है और आयु merely एक संख्या मात्र है।” वे भविष्य में कहानी लेखन, समीक्षात्मक और शोधपरक लेखन जारी रखना चाहते हैं।

सामाजिक योगदान

2011 में सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने ‘विवेकानंद ज्योति संघ’ (एक पंजीकृत ट्रस्ट) की स्थापना की, जो होनहार और जरूरतमंद छात्रों के कल्याण के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहा है।

एक प्रेरणादायक जीवन दर्शन

डॉ. वशिष्ठ का जीवन इस बात का प्रमाण है कि उम्र कभी भी सीखने और समाज को योगदान देने में बाधक नहीं होती। उनकी उपलब्धियां हिंदी साहित्य और शिक्षा जगत के लिए एक मिसाल हैं, जो युवा और वरिष्ठ दोनों पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।

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