दुनिया में हर 36 बच्चों में से 1 होता है ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD)से पीड़ित

Aanchalik Khabre
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आइये नीचे समझते है विस्तार से क्या है आटिज्म? क्यों कुछ बच्चे दुनिया को हमसे अलग तरीके से देखते हैं?” और कैसा महसूस करते है आटिज्म से पीड़ित बच्चे ?
सोचिए, अगर किसी दिन आप उठें और पाएँ कि बाकी सब लोग किसी और ही “रूल बुक” से दुनिया को जी रहे हैं — उनकी बातें, इशारे, मज़ाक… सब अलग हैं। आप समझना चाहते हैं, लेकिन दिमाग अपनी ही लय में चलता है। यही एहसास ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) वाले बच्चों और बड़ों की दुनिया में रोज़ का हिस्सा होता है।

ऑटिज़्म

ऑटिज़्म क्या है?

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक जटिल विकास संबंधी स्थिति है। इसमें व्यक्ति में सामाजिक बातचीत (Social Communication) में कठिनाई, सीमित रुचियां और बार-बार दोहराए जाने वाले व्यवहार (Repetitive Behaviors) दिखाई देते हैं।
यह एक लाइफ-लॉन्ग कंडीशन है, लेकिन हर व्यक्ति में इसकी तीव्रता और ज़रूरतें अलग होती हैं।
CDC के अनुसार, हर 36 में से 1 बच्चा ऑटिज़्म से प्रभावित होता है।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर

यह पहचान कब होती है?

माता-पिता या डॉक्टर इसके शुरुआती संकेत बच्चे के 1 साल से पहले भी देख सकते हैं। ज़्यादातर मामलों में 2-3 साल की उम्र में लक्षण स्पष्ट हो जाते हैं। कुछ बच्चों में ये इतनी हल्की होती है कि स्कूल शुरू होने के बाद ही पता चलता है, जब उनकी तुलना दूसरे बच्चों से होती है।

कैसे दिखते हैं लक्षण?

सामाजिक संचार में कठिनाई:

आंखों में कम देखना

अपनी या दूसरों की भावनाएं न समझ पाना

दोस्त बनाने में परेशानी

बातों को शब्दशः लेना, मज़ाक न समझना

रटे-रटाए वाक्य बोलना

सीमित रुचियां और आदतें:

किसी एक चीज़ में गहरी रुचि, बाकी सब नज़रअंदाज़

दिनचर्या में बदलाव बर्दाश्त न करना

बार-बार एक जैसा मूवमेंट, जैसे हाथ हिलाना

खिलौनों को खास पैटर्न में सजाना

एक कहानी से समझिए

टोमास, 6 साल का बच्चा, ट्रेनों से इतना प्यार करता है कि उसके दिन की शुरुआत और अंत उसी के साथ होता है। अगर सुबह नाश्ते में ट्रेन उसके हाथ में न हो, तो दिन भर उसका मूड खराब हो सकता है। स्कूल में वह चुप रहता है, लेकिन जैसे ही “ट्रेन” का ज़िक्र होता है, उसकी आंखें चमक उठती हैं।
यह लगाव उसकी पहचान का हिस्सा है — लेकिन कभी-कभी यह उसे बाकी दुनिया से जोड़ने में मुश्किल भी पैदा करता है।

क्यों होता है ऑटिज़्म?

विज्ञान बताता है कि इसके कई कारण हो सकते हैं:

जेनेटिक फैक्टर (Fragile X Syndrome, Tuberous Sclerosis आदि)

गर्भावस्था में कुछ दवाएं (जैसे Valproic Acid, Thalidomide)

परिवार में पहले से ऑटिज़्म का होना

गर्भधारण के समय माता-पिता की अधिक उम्र

क्या नहीं है कारण?

वैक्सीन, जाति, नस्ल या आर्थिक स्थिति का इससे कोई संबंध नहीं है।

इलाज नहीं, लेकिन मदद ज़रूर है

ऑटिज़्म को “ठीक” करने का कोई जादुई तरीका नहीं है, लेकिन सही समय पर सही हस्तक्षेप (Intervention) से बच्चा अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकता है:

Applied Behavior Analysis (ABA) – व्यवहार सुधारने और नई स्किल सिखाने की योजना

Speech & Language Therapy – बोलने और समझने में सुधार

Social Skills Training – दूसरों से जुड़ने की क्षमता बढ़ाना

Occupational Therapy – रोज़मर्रा की गतिविधियों में मदद

Parent Training & Support Groups – माता-पिता को सही तरीके से बच्चे की मदद करना सिखाना

Special Education Services – स्कूल में विशेष क्लास और सुविधाएं

जरूरत पड़ने पर, कुछ लक्षणों (जैसे गुस्सा, चिड़चिड़ापन) को नियंत्रित करने के लिए दवाएं भी दी जा सकती हैं।

माता-पिता के लिए सुझाव

जानकारी लें, पढ़ें, समझें — ज्ञान ही सबसे बड़ा सहारा है

बच्चे के लिए दिनचर्या और स्थिर माहौल बनाएं

अन्य माता-पिता और कम्युनिटी से जुड़ें

अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें

शिक्षा और चिकित्सा से जुड़े अपने अधिकार जानें

आखिर में…

ऑटिज़्म को केवल एक “मेडिकल टर्म” की तरह मत देखिए। यह एक अलग तरह का सोचने, महसूस करने और दुनिया को देखने का तरीका है। हर बच्चे में एक अनोखी चमक होती है — बस हमें उसे समझने, स्वीकार करने और सही दिशा देने की ज़रूरत है।

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