Ayodhya UP : अयोध्या में ABVP का सपा सांसद के खिलाफ उग्र प्रदर्शन, पुतला दहन

News Desk
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अयोध्या में कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार के सामने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद राम जी सुमन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी की गई और सांसद का पुतला दहन किया गया। यह प्रदर्शन सपा सांसद के एक कथित बयान के विरोध में आयोजित किया गया था, जिसे विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने अपमानजनक और राष्ट्र विरोधी करार दिया।

इस विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में समाजवादी पार्टी के सांसद राम जी सुमन द्वारा दिए गए एक बयान को लेकर गहरा आक्रोश था। विद्यार्थी परिषद के अनुसार, सांसद ने महाराणा प्रताप और राणा सांगा जैसे वीर महापुरुषों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। यह टिप्पणी समाज के लिए प्रेरणास्रोत रहे उन महापुरुषों के गौरव को ठेस पहुंचाने वाली थी। विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने कहा कि ऐसे महापुरुषों के बलिदान की गाथाएँ पढ़कर समाज प्रेरित होता है और युवाओं को राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना मिलती है। ऐसे में किसी भी प्रकार की नकारात्मक टिप्पणी अस्वीकार्य है।

इतिहास के अनुसार, राणा सांगा और महाराणा प्रताप मुगलों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले योद्धा थे, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनकी गाथाएँ केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में पढ़ाई और सुनाई जाती हैं। इसलिए, उनका अपमान पूरे राष्ट्र की भावनाओं को ठेस पहुँचाने जैसा है।

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विद्यार्थी परिषद का आक्रोश और आंदोलन

इस बयान के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं का कहना था कि यह बयान न केवल एक महापुरुष का अपमान है, बल्कि यह समाज को बांटने और देश की एकता को कमजोर करने की साजिश भी हो सकती है। विद्यार्थी परिषद के नेताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक सपा सांसद सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

प्रदर्शन के दौरान विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए कहा:

“महापुरुषों का अपमान नहीं सहेंगे!”

“राष्ट्र की गरिमा से खिलवाड़ बंद करो!”

“सपा सांसद माफी माँगो!”

यह आंदोलन केवल अयोध्या तक सीमित नहीं था, बल्कि अन्य जिलों और राज्यों में भी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई और कई राष्ट्रवादी संगठनों ने सांसद के बयान की आलोचना की।

यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ विद्यार्थी परिषद तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके राजनीतिक प्रभाव भी देखे जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य राष्ट्रवादी संगठनों ने भी इस बयान की निंदा की है। भाजपा के कई नेताओं ने कहा कि समाजवादी पार्टी को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए और सांसद को पार्टी से निष्कासित करना चाहिए।

समाजवादी पार्टी की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला पार्टी की छवि को प्रभावित कर सकता है। यदि पार्टी इस मुद्दे पर चुप रहती है, तो यह हिंदू मतदाताओं के बीच उसकी स्वीकार्यता को नुकसान पहुँचा सकता है।

भारत में ऐतिहासिक महापुरुषों का सम्मान करना एक सामान्य परंपरा रही है। महाराणा प्रताप और राणा सांगा जैसे योद्धाओं को वीरता और शौर्य के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इन महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज ने राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है।

ऐसे में, यदि किसी राजनेता द्वारा उनकी विरासत पर सवाल उठाया जाता है, तो स्वाभाविक रूप से समाज में आक्रोश फैलता है। इस संदर्भ में यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत में इतिहास को लेकर अक्सर राजनीतिक विवाद होते रहे हैं। इतिहासकारों और राजनीतिक दलों के बीच इस बात पर असहमति रही है कि इतिहास को किस रूप में प्रस्तुत किया जाए और किन महापुरुषों को अधिक महत्व दिया जाए।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने साफ कर दिया है कि यदि सांसद राम जी सुमन सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तो आंदोलन और भी तेज किया जाएगा। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह युवाओं के सम्मान और राष्ट्रभक्ति का मुद्दा है।

इस आंदोलन के भविष्य को देखते हुए निम्नलिखित संभावनाएँ हो सकती हैं:

सपा सांसद की ओर से माफी: यदि सांसद सार्वजनिक रूप से माफी मांग लेते हैं, तो यह आंदोलन समाप्त हो सकता है।

समाजवादी पार्टी का रुख: यदि पार्टी इस मुद्दे पर कार्रवाई करती है और सांसद को पार्टी से निष्कासित करती है, तो विवाद शांत हो सकता है।

आंदोलन का विस्तार: यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता, तो विद्यार्थी परिषद पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन कर सकती है।

कानूनी कार्रवाई: यदि मामला बढ़ता है, तो सांसद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग भी उठ सकती है।

भविष्य में चुनावी प्रभाव: यह विवाद आगामी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है और राजनीतिक दल इसे अपने चुनावी एजेंडे में शामिल कर सकते हैं।

समाज पर प्रभाव और मीडिया की भूमिका

इस विवाद ने मीडिया और समाज में बड़ी बहस को जन्म दिया है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार चैनलों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रसारित किया है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो रही है। समर्थक और विरोधी दोनों पक्ष अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद समाज में ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकता है। वहीं, कुछ का कहना है कि यह आंदोलन युवाओं में इतिहास और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम करेगा।

अयोध्या में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा किया गया यह प्रदर्शन न केवल एक राजनेता के बयान का विरोध था, बल्कि यह युवाओं की देशभक्ति और इतिहास के प्रति सम्मान की भावना को भी दर्शाता है। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक दलों को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि यह जनता की भावनाओं से सीधे जुड़ा होता है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी पार्टी और संबंधित सांसद इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या इस आंदोलन का कोई व्यापक राजनीतिक प्रभाव पड़ता है या नहीं। यदि यह विवाद और बढ़ता है, तो यह न केवल समाजवादी पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है, बल्कि अन्य राजनीतिक दल भी इसे चुनावी मुद्दा बना सकते हैं।

 

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