बदायूं (उत्तर प्रदेश)।
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक बार फिर दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ एक मासूम किसान की जान ले ली, बल्कि एक बार फिर सवाल उठा दिए हैं कि आखिर ग्रामीण इलाकों में बिजली से जुड़ी लापरवाहियों पर प्रशासन कब जागेगा? खेत की रखवाली कर लौट रहे 45 वर्षीय किसान सोहन पाल की जान उस वक्त चली गई जब वह करंट प्रवाहित तारों की चपेट में आ गया। इतना ही नहीं, उसी तार ने एक सियार की भी जान ले ली। यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि लापरवाही, अवैध जुगाड़ और बिजली के जानलेवा खेल की खौफनाक तस्वीर है।
पूरा मामला: खेत से लौटते किसान की दर्दनाक मौत
घटना बदायूं जिले के उसावां थाना क्षेत्र के ग्राम रतेनगला की है। मृतक किसान की पहचान सोहन पाल (45 वर्ष), पुत्र बाबूराम के रूप में हुई है। वह देर शाम अपने खेत की रखवाली कर घर लौट रहा था कि तभी पड़ोसी खेत में बिछाए गए हाई वोल्टेज करंट प्रवाहित तारों की चपेट में आ गया। करंट इतना तेज था कि मौके पर ही उसकी तड़प-तड़प कर मौत हो गई। यही नहीं, उस करंट से एक सियार की भी मौत हो गई।
ग्रामीणों का कहना है कि पड़ोसी खेत के मालिक ने हाई वोल्टेज लाइन से अवैध तरीके से जोड़कर खेत के चारों ओर करंट प्रवाहित तार बिछा रखे थे, ताकि जानवर या चोर खेत में न घुस सकें। लेकिन यह व्यवस्था अब मौत का जाल बन चुकी है।
गांव में मातम और दहशत का माहौल
इस घटना के बाद पूरे रतेनगला गांव में मातम और डर का माहौल है। लोग स्तब्ध हैं कि फसल की रखवाली के लिए कोई इतना खतरनाक उपाय कैसे कर सकता है? बच्चों और बुजुर्गों को खेत की ओर जाने से मना किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि “यह पहली घटना नहीं है, लेकिन प्रशासन हर बार चुप रहता है।”
प्रशासन की चुप्पी: लापरवाही या मिलीभगत?
इस दर्दनाक घटना ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीण इलाकों में खेतों में बिजली के तारों से करंट दौड़ाना कोई नई बात नहीं रह गई है। लोग खुलेआम हाई वोल्टेज लाइन से अवैध कनेक्शन लेकर अपने खेतों को “करंट-घेरा” बना लेते हैं। लेकिन न तो बिजली विभाग इस पर कोई कार्रवाई करता है, न ही स्थानीय प्रशासन।
प्रश्न यह है कि आखिर ऐसी जानलेवा व्यवस्था की जानकारी बिजली विभाग को क्यों नहीं होती? या फिर उन्हें सब पता होते हुए भी वे आंखें मूंदे रहते हैं? क्या हर मौत के बाद जांच और पोस्टमार्टम की औपचारिकता ही काफी है?
पुलिस का रटा–रटाया बयान
घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस का बयान हमेशा की तरह “मामले की जांच की जा रही है, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी” तक सीमित रहा। लेकिन ग्रामीणों का भरोसा अब टूटता जा रहा है, क्योंकि पहले भी कई मामलों में पुलिस ने कागजी कार्रवाई कर मामले को रफा-दफा कर दिया।
अवैध करंट सिस्टम: कब तक बिछता रहेगा यह मौत का जाल?
यह पहली घटना नहीं है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में हर साल दर्जनों किसान, मजदूर और पशु ऐसे ही करंट प्रवाहित तारों की वजह से जान गंवा देते हैं। फसल चोरी रोकने के नाम पर किसान हाई वोल्टेज करंट के तार खेतों के चारों ओर बिछा देते हैं। लेकिन यह तरीका न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि अति खतरनाक भी है।
किसानों को यह समझना चाहिए कि फसल की रक्षा के नाम पर इंसानी जान की कीमत नहीं चुकाई जा सकती। वहीं प्रशासन को इस अवैध प्रथा पर तत्काल और कठोर कदम उठाना चाहिए।
स्थानीय लोगों की नाराजगी और सवाल
घटना के बाद गांववालों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किया। उनका कहना है:
- “बिजली विभाग के अफसर क्या अंधे हैं?”
- “क्यों नहीं रोकी जाती ये अवैध लाइनें?”
- “आज सोहन मरा है, कल कोई बच्चा या महिला भी मारी जा सकती है।”
ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली विभाग के कुछ कर्मचारी घूस लेकर ऐसे अवैध कनेक्शन की अनदेखी करते हैं। यदि समय रहते कोई कार्रवाई हुई होती तो सोहन पाल की जान बच सकती थी।
सरकार और प्रशासन के लिए चेतावनी
यह घटना सरकार और प्रशासन दोनों के लिए जागने का आखिरी अलार्म हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की सुरक्षा को लेकर कोई गंभीर नीति न होना सीधा प्रशासनिक विफलता है।
सरकार को चाहिए कि:
- हर ग्राम पंचायत स्तर पर बिजली सुरक्षा की साप्ताहिक जांच हो।
- खेतों में करंट प्रवाहित तार लगाने पर कड़ी सजा और जुर्माना तय किया जाए।
- बिजली विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।
- गांव-गांव में बिजली सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाया जाए।
मीडिया और आम नागरिकों की भूमिका
इस तरह की घटनाएं सिर्फ समाचार बनकर न रह जाएं, इसके लिए मीडिया और आम नागरिकों की भी बड़ी भूमिका है। अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति खेत में करंट प्रवाहित तार लगा रहा है, तो तुरंत प्रशासन, बिजली विभाग और मीडिया को सूचना दें।
आपकी एक सूचना किसी की जान बचा सकती है।
निष्कर्ष: यह सिर्फ एक मौत नहीं, एक सिस्टम की हत्या है
सोहन पाल की मौत किसी हादसे का परिणाम नहीं, बल्कि एक सोच-समझ कर बनाई गई लापरवाह व्यवस्था का नतीजा है। एक सिस्टम जो भ्रष्टाचार, उदासीनता और गैरजिम्मेदारी से बना है। प्रशासन की चुप्पी, बिजली विभाग की अनदेखी और गांव में बढ़ते “जुगाड़” अब आम जान के दुश्मन बनते जा रहे हैं।
अब भी अगर हम नहीं चेते, तो अगली खबर किसी और सोहन, किसी और परिवार की तबाही बनकर सामने आएगी।
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