वार्ड सदस्यों के द्वारा बाढ़ पीड़ित परिवारों से 6000 के नाम पर होता है 1000/500 का वसूली
–आपदा राहत भीख नहीं
यह पीड़ितो का अधिकार है “आपदा नहीं है भारी,यदि पूरी है तेयारी”
दुनिया के मानवाधिकारो का सार्वभौम घोषणा पत्र भी सभी इंसानो को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है अपने देश कि सरकार ने आपदा प्रभावित लोगों के लिए नीति बनाई है आपदा पीड़ितों को दी जाने वाली सहायता उनके वास्तविक हानि एवं नुकसान की तुलना में बहुत ही कम होती है सरकारी उदासीनता ,अफसरशाही व जटिल प्रकियाओ में उलझे इस तंत्र में आपदा में बर्बाद पीड़ितों से कार्यालयों के चक्कर लगवाए जाते है उसके बाद भी अनेक लोगो को सहायता से वंचित होना परता है
इसलिए लोकतांत्रिक समाज मे आपदा ओर उससे पीड़ित लोगों को मिलने वाली राहत के प्रति सभी को अपना नजरिया बदलना चाहिए बाढ़ पीड़ितों को समुचित राहत व पुनवार्स खेरात नहीं उनका अधिकार है जिसे देना सरकार का पहला कर्तव्य है साथ ही उसे दिलाने में सहयोग करना नागरिक समाज का दाईत्व है वही आप को बता दे कि सुपौल जिला के सदर प्रखंड के गोपाल पुर सिरे पंचायत में 6000 हजार जो राहत के नाम पर एकाउंट में भेजा जा रहा है उसमें भी पंचायत के जनप्रतिनिधियों ओर वार्ड सदस्य के द्वारा लाभुको से कही एक हजार तो कही पाँच सो वसुला जाता है जब हमारे संवादाता मोहम्मद अख्तरुल इस्लाम ने बाढ़ पीड़ित परिवार से बात किया तो लाभुको ने बताया कि 6000 दिलवाने के नाम पर पाँच सौ तो एक हजार लिया जाता है वही चेन्देल मिरचा के गयासुद्दीन से बात किए तो उन्होंने कहा कि वार्ड सदस्य ने कही से एक हजार तो कही से पाँच सौ रुपया ले रहा हैऔर अपने लाभुको को पहले दे रहा है तो 17 नंबर के वार्ड सदस्य सियाराम सदा ने लाभुको को कहता है कि पाँच सो दीजिएगा तो आप का पैसा उठा देगे ऑफिश में खर्चा लगता है
सुपौल-वार्ड सदस्यों के द्वारा बाढ़ पीड़ित परिवारों से 6000 के नाम पर होती है अवैध वसूली-आंचलिक ख़बरें-नजीर आलम के साथ आजाद

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