बाराबंकी सड़क हादसा ने पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। शुक्रवार सुबह हरख गांव के पास एक रोडवेज बस पर अचानक भारी पेड़ गिर गया, जिससे मौके पर ही पांच लोगों की मौत हो गई और 18 यात्री घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब बस तेज़ बारिश के बीच हैदरगढ़ की ओर जा रही थी। घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे प्रदेश को गहरे शोक में डाल दिया है।
हादसा कहां और कब हुआ?
शुक्रवार सुबह लगभग 10:30 बजे, बाराबंकी जिले के हरख गांव के पास यह दर्दनाक घटना हुई। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बस, जिसमें कुल 59 यात्री सवार थे, बाराबंकी से हैदरगढ़ जा रही थी।
रास्ते में अचानक बारिश के बीच सड़क किनारे का एक पुराना गुलर का पेड़ टूटकर बस के अगले हिस्से पर गिर पड़ा। पेड़ का गिरना इतना तेज़ और भारी था कि बस का अगला हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
पीड़ितों की पहचान
इस बाराबंकी सड़क हादसे में जान गंवाने वालों में शामिल हैं:
- मीना श्रीवास्तव – सहायक विकास अधिकारी, हरख ब्लॉक
- जहूी सक्सेना – सहायक विकास अधिकारी, हरख ब्लॉक
- शिक्षा मेहरोत्रा – प्रिंसिपल, सिद्धौर ब्लॉक
- रफीकुन निशां – निवासी अमेठी
- संतोष कुमार – बस चालक, निवासी रामसनेहीघाट, बाराबंकी
ये सभी अपने दफ्तर या धार्मिक स्थल की यात्रा पर थे।
हादसे के दौरान की परिस्थितियां
जब चालक ने पेड़ गिरते देखा तो उसने तुरंत ब्रेक लगाया, लेकिन तेज़ बारिश के कारण बस पूरी तरह नहीं रुक पाई। कुछ सेकंड में ही पेड़ बस पर गिर पड़ा, जिससे कई यात्री अंदर फंस गए।
घटना के तुरंत बाद कुछ यात्री खिड़की से कूदकर बाहर निकलने में कामयाब हुए, जबकि बाकी लोग बस में फंसे रहे।
स्थानीय लोग, पुलिस और वन विभाग की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया।
राहत और बचाव कार्य
- हादसे में घायल हुए 18 लोगों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया।
- जिला प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन टीम ने मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य का निरीक्षण किया।
- बस में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए पेड़ को काटने का कार्य शुरू किया गया।
- कई स्थानीय ग्रामीणों ने भी बचाव कार्य में मदद की और घायलों को अस्पताल पहुंचाने में सहयोग किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने और घायलों के बेहतर इलाज के निर्देश जारी किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है और हर संभव मदद प्रदान की जाएगी।
इंसानियत की मिसाल – अहसान अहमद की कहानी
इस हादसे में बस यात्री अहसान अहमद का जिक्र भी चर्चा में है। उन्होंने यात्रा के दौरान एक महिला यात्री को अपनी सीट दे दी थी। दुर्भाग्य से वही सीट पेड़ गिरने की सीधी चपेट में आई और अहसान की मौके पर मौत हो गई।
यह घटना बताती है कि कैसे इंसानियत के छोटे-छोटे कदम भी बड़े बलिदानों में बदल जाते हैं।
बारिश और सड़क सुरक्षा पर सवाल
बाराबंकी सड़क हादसे ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा और बारिश के मौसम में यात्रा के खतरों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- पुराने और कमजोर पेड़ों की नियमित जांच न होना।
- बारिश के दौरान दृश्यता कम होना और ब्रेकिंग दूरी बढ़ जाना।
- आपदा प्रबंधन की त्वरित तैयारी की कमी।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाईवे और प्रमुख सड़कों के किनारे खड़े पुराने पेड़ों की समय-समय पर जांच और कटाई जरूरी है, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
स्थानीय लोगों का दुख और गुस्सा
हादसे के बाद इलाके में शोक का माहौल है। मृतकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। कई लोगों का कहना है कि यह हादसा प्रशासन की लापरवाही से हुआ, क्योंकि पेड़ पहले से कमजोर था और तेज बारिश में गिरने का खतरा था।
भविष्य के लिए सीख और तैयारी
इस बाराबंकी सड़क हादसे से स्पष्ट है कि प्रशासन और जनता, दोनों को मिलकर सड़क सुरक्षा उपायों को मजबूत करना होगा।
- मॉनसून सीज़न से पहले सड़क किनारे खड़े पुराने पेड़ों की जांच।
- बस और ट्रक चालकों के लिए बारिश में सुरक्षित ड्राइविंग के विशेष प्रशिक्षण।
- हाईवे पर त्वरित आपदा प्रतिक्रिया टीमों की तैनाती।

