प्रयागराज की तपोभूमि: प्रभु श्रीराम की लीलाओं का साक्षी भरद्वाज आश्रम

Aanchalik Khabre
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bHARADWAJ ASHRAM

भारत की पावन भूमि प्रयागराज, जिसे प्राचीन काल में ‘इलाहाबाद’ और ‘तीर्थराज प्रयाग’ के नाम से जाना जाता था, सनातन संस्कृति का केंद्र रही है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर स्थित यह नगरी सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रयागराज की इस दिव्यता और महत्ता को और भी बढ़ाता है – Bhardwaj Ashram, जो हजारों वर्षों से साधना, तपस्या और धर्ममार्ग का मार्गदर्शक रहा है।

 

भरद्वाज मुनि और प्रभु श्रीराम का दिव्य मिलन

Bhardwaj Ashram न केवल ऋषि भरद्वाज की तपस्थली है, बल्कि यह वह पवित्र स्थान भी है जहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने वनगमन के समय रात्रि विश्राम किया था। शृंगवेरपुर में निषादराज गुह के आतिथ्य के बाद श्रीराम, सीता माता और लक्ष्मणजी यहां पधारे थे। यही वह क्षण था जब भरद्वाज मुनि ने प्रभु राम को आगे के मार्ग की जानकारी दी थी। वाल्मीकि रामायण और गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस दोनों में इस प्रसंग का अत्यंत भावुक वर्णन मिलता है।

 

महंत हरिगिरि बताते हैं—

“राम कीन्ह बिश्राम निसि, प्रात प्रयाग नहाइ।

चले सहित सिय लखन जन, मुदित मुनिहि सिरु नाइ॥”

यह दर्शाता है कि Bhardwaj Ashram केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भगवान राम की लीलाओं से जुड़ा अत्यंत पवित्र स्थान है।

 

आध्यात्मिक ऊर्जाओं का केंद्र:-

Bhardwaj Ashram में आज भी वही आध्यात्मिक ऊर्जा अनुभव की जा सकती है जो सतयुग से लेकर त्रेता युग तक प्रवाहित होती रही। यहां की वायु, वृक्ष, जल और भूमि सभी में ऋषियों की तपस्या की शक्ति आज भी जीवित प्रतीत होती है। भरद्वाज मुनि की गिनती सप्तर्षियों में की जाती है। उन्होंने यहीं पर हजारों शिष्यों को वेद, आयुर्वेद, खगोलशास्त्र और धर्म का ज्ञान दिया था।

वर्तमान समय में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु प्रयागराज में आश्रम के नाम पर सबसे पहले Bhardwaj Ashram का ही नाम लेते हैं, क्योंकि यह आश्रम केवल पूजा-पाठ का स्थल नहीं, बल्कि वेद-ज्ञान, सनातन संस्कृति और मानवता की सेवा का केंद्र है।

 

भरद्वाज आश्रम कॉरिडोर – सरकार की नई पहल:-

 

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को और अधिक सुसज्जित करने का बीड़ा उठाया है। महाकुंभ 2025 को ध्यान में रखते हुए Bhardwaj Ashram को एक भव्य कॉरिडोर में परिवर्तित किया गया है। इसके लिए 15 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। 30 जून 2023 को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज आए थे, तब उन्होंने यहां पर फ्लाइंग सेंटर की भी घोषणा की थी। यह साबित करता है कि आने वाले समय में यह आश्रम न केवल तीर्थयात्रियों के लिए, बल्कि शोधकर्ताओं और संस्कृति प्रेमियों के लिए भी एक मुख्य केंद्र बनने जा रहा है।

 

धार्मिक साहित्य में भव्य वर्णन:-

भरद्वाज मुनि का महत्व सिर्फ रामायण तक सीमित नहीं है। वे महाभारत काल में भी एक प्रभावशाली ऋषि के रूप में वर्णित हैं। उनके पुत्र द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु बने। Bhardwaj Ashram को इस कारण महाभारत युग से भी जोड़ा जाता है। ‘भरद्वाज संहिता’ नामक ग्रंथ में उन्होंने ज्योतिष, आयुर्वेद, युद्धनीति और आचार संहिताओं का विस्तृत वर्णन किया है।

जब भगवान श्रीराम रावण वध कर अयोध्या लौट रहे थे, तब वे पुष्पक विमान से पहले प्रयागराज आए और पुनः Bhardwaj Ashram में ही उतरे। रामचरितमानस कहता है –

“तुरत पवनसुत गवनत भयऊ।

तब प्रभु भरद्वाज पहिं गयऊ॥”

यह पंक्तियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि भगवान राम की यात्रा की शुरुआत और समापन दोनों ही Bhardwaj Ashram में हुई।

 

प्रयागराज के अन्य आध्यात्मिक स्थल:-

Bhardwaj Ashram के अलावा प्रयागराज में अन्य भी कई पवित्र स्थल हैं, जैसे – Narayani Ashram Allahabad, अक्षयवट, लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर, श्री वेणी माधव मंदिर आदि। परंतु इनमें से Bhardwaj Ashram की महत्ता इसलिए सर्वोपरि है क्योंकि यह न केवल ईश्वर और ऋषियों का मिलन स्थल है, बल्कि तप और ज्ञान की परंपरा का जीवंत प्रतीक है।

 

आधुनिक युग में आश्रम की भूमिका:-

आज के समय में Bhardwaj Ashram केवल एक पूज्य स्थान नहीं रहा, बल्कि यह युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रहा है। यहां वेद-शिक्षा, योग, आयुर्वेद और संस्कृत के विशेष प्रशिक्षण दिए जाते हैं। संत महंतों और साधकों के लिए यह आश्रम ध्यान और साधना का सर्वोत्तम केंद्र बना हुआ है।

 

यहां आने वाले पर्यटक, छात्र और श्रद्धालु सभी यह अनुभव करते हैं कि Bhardwaj Ashram केवल ईंट-पत्थर की संरचना नहीं है, यह भारत की आध्यात्मिक आत्मा का सजीव केंद्र है।

 

भव्य भरद्वाज मंदिर:-

Bhardwaj Ashram के भीतर स्थित Bhardwaj Temple अत्यंत दर्शनीय है। यहां मुनि भरद्वाज की मूर्ति के साथ-साथ भगवान श्रीराम, सीता माता, लक्ष्मण और हनुमानजी की मूर्तियां भी स्थापित हैं। यहां नित्य पूजा, अर्चना, यज्ञ और धार्मिक प्रवचन होते हैं। विशेष रूप से रामनवमी, मुनि पूजन और कुंभ के समय यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं।

 

विदेशी पर्यटकों का बढ़ता आकर्षण:-

हाल के वर्षों में Bhardwaj Ashram विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र बन गया है। वे यहां भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और योग की गहराई को समझने आते हैं। इस प्रकार यह आश्रम एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में कार्य कर रहा है, जो भारत की आध्यात्मिक गरिमा को विश्व पटल पर स्थापित कर रहा है।

 

निष्कर्ष: सनातन परंपरा का गौरव:-

Bhardwaj Ashram प्रयागराज की वह अनमोल धरोहर है, जिसे केवल मंदिर या आश्रम कहकर सीमित नहीं किया जा सकता। यह स्थल युगों-युगों से सनातन परंपरा, वेद-ज्ञान और भगवान श्रीराम की लीलाओं का जीवंत साक्षी है। यहां की शांति, प्रकृति और आध्यात्मिक ऊर्जा को केवल अनुभव किया जा सकता है, शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।

आज जब पूरी दुनिया शांति, आत्मिक संतुलन और सांस्कृतिक जड़ों की तलाश में है, तब Bhardwaj Ashram जैसे स्थल मानवता के लिए प्रकाश स्तंभ बन सकते हैं। सरकार की ओर से इसका विकास न केवल एक पर्यटन स्थल के रूप में, बल्कि भारत की सांस्कृतिक अस्मिता के पुनर्जीवन के रूप में भी देखा जाना चाहिए।

Bhardwaj Ashram प्रयागराज में स्थित वह अमूल्य रत्न है, जिसकी आभा आने वाले युगों में और भी प्रखर होती जाएगी।

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