MP में तीन महीने के लिए स्थायी DGP से सरकार की दूरी-आंचलिक ख़बरें-मनीष गर्ग

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खबर भोपाल से
MP में तीन महीने के लिए स्थायी DGP से सरकार की दूरी, कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की कवायद? भोपाल मध्य प्रदेश सरकार एकबार फिर स्थायी डीजीपी से दूरी बनाती दिखाई दे रही है। दो सप्ताह से भी कम समय बचा है लेकिन अभी तक “यूपीएससी” को सीनियर अधिकारियों के नाम की सूची नहीं भेजी गई है! जिससे इसकी प्रबल संभावना बनती जा रही है कि कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति कर किसी विश्वस्त अधिकारी को इस पद से रिटायर होने का मौका मिले। इस दौड़ में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव टंडन का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। मध्य प्रदेश के डीजीपी विवेक जौहरी छह मार्च को रिटायर हो रहे हैं, लेकिन उनकी जगह कौन अधिकारीउ उनका प्रभार लेगा, इस पर फैसला नहीं हो सका है। डीजीपी बनाए जाने के पहले किसी भी अधिकारी को ओएसडी के रूप में पदस्थ किया जाता है लेकिन 12 दिन बचे हैं और अब तक इसको लेकर कोई हलचल तक नहीं है। यह स्थिति उसी तरह बन रही है! जब विवेक जौहरी को 2020 में पदस्थ किया जाना था। तब कमलनाथ सरकार के जाने और शिवराज के आने के बीच की राजनीतिक उठापटक का दौर था। ऐसे में जौहरी के स्थान पर हनीट्रेप के हाईप्रोफाइल मामले की एसआईटी की अगुवाई करने वाले राजेंद्र कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया गया था। इसके पहले 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन डीजीपी ऋषिकुमार शुक्ला को छह सप्ताह के अवकाश पर जाने पर भी वीके सिंह को कार्यवाहक डीजीपी बनाने के आदेश हुए थे। इस तरह चार साल में तीसरा मौका है जब मध्य प्रदेश में कार्यवाहक डीजीपी बनाया जाएगा। राजीव टंडन की चर्चा कार्यवाहक डीजीपी के रूप में पहले वरिष्ठ अधिकारियों में ज्यादा निचले क्रम पर सरकार नहीं गई। इस बार कार्यवाहक डीजीपी बनाने के लिए सरकार सातवें क्रम के अधिकारी 1988 बैच के राजीव टंडन को जिम्मेदारी देने की कोशिश कर रही है। टंडन, ऋषिकुमार शुक्ला के विश्वस्त अधिकारी रहे हैं और अभी वे लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना में डीजी हैं! उनके 1992 बैच के अधिकारी आदर्श कटियार से अच्छे संबंध हैं और कटियार की एडीजी इंटेलीजैंस होने तथा सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ लंबे समय तककाम करने की वजह से सरकार में अच्छी पैठ है।
राजीव टंडन बनेंगे तो तीन
अफसर पीएचक्यू से निकलेंगे अगर राजीव टंडन को सरकार कार्यवाहक डीजीपी का प्रभार देती है तो पुलिस मुख्यालय में पदस्थ अरुणा मोहन राव, शैलेष सिंह व राजेंद्र कुमार मिश्रा को बाहर पदस्थ करना होगा! कार्यवाहक डीजीपी के रूप में अरुणा मोहन राव को सरकार एक महीने के लिए जिम्मेदारी देकर टंडन के साथ उन्हें भी डीजीपी के रूप में सेवानिवृत्ति दे सकती है। ऐसे में मध्य प्रदेश को पुलिस महानिदेशक के रूप में पहली महिला अधिकारी मिलने का सौभाग्य भी मिल सकता है। मगर अरुणा मोहन राव हो या टंडन, दोनों के पास ही छह महीने से कम समय होने से सरकार के सामने सबसे बड़ी दुविधा यही है, स्थायी डीजीपी की दौड़ में सुधीर कुमार सक्सेना आज भी दौड़ में सबसे हैं, इधर, स्थायी डीजीपी की दौड़ में आज भी सुधीर कुमार सक्सेना सबसे आगे हैं। मगर दूसरे नंबर पर पवन जैन हैं जो मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा मैदानी अनुभव वाले अधिकारी हैं। एसपी हो या आईजी, पवन जैन ने जिलों और रेंज में डीजीपी दौड़ में शामिल अन्य अधिकारियों के मुकाबले
अफसर पीएचक्यू से निकलेंगे अगर राजीव टंडन को सरकार कार्यवाहक डीजीपी का प्रभार देती है तो पुलिस मुख्यालय में पदस्थ अरुणा मोहन राव, शैलेष सिंह व राजेंद्र कुमार मिश्रा को बाहर पदस्थ करना होगा! कार्यवाहक डीजीपी के रूप में अरुणा मोहन राव को सरकार एक महीने के लिए जिम्मेदारी देकर टंडन के साथ उन्हें भी डीजीपी के रूप में सेवानिवृत्ति दे सकती है। ऐसे में मध्य प्रदेश को पुलिस महानिदेशक के रूप में पहली महिला अधिकारी मिलने का सौभाग्य भी मिल सकता है। मगर अरुणा मोहन राव हो या टंडन, दोनों के पास ही छह महीने से कम समय होने से सरकार के सामने सबसे बड़ी दुविधा यही है, स्थायी डीजीपी की दौड़ में सुधीर कुमार सक्सेना आज भी दौड़ में सबसे हैं, इधर, स्थायी डीजीपी की दौड़ में आज भी सुधीर कुमार सक्सेना सबसे आगे हैं। मगर दूसरे नंबर पर पवन जैन हैं जो मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा मैदानी अनुभव वाले अधिकारी हैं। एसपी हो या आईजी, पवन जैन ने जिलों और रेंज में डीजीपी दौड़ में शामिल अन्य अधिकारियों के मुकाबले सबसे ज्यादा समय तक काम किया है।

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