राजस्व विभाग की बड़ी लापरवाही आई सामने

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बगैर भूमि स्वामी की सहमति के कर दिया बटनबारा

मामला नायब तहसीलदार वृत्त मौहरिया तहसील चितरंगी का

आंचलिक खबरें/शिवप्रसाद साहू

सिंगरौली/चितरंगी- मामला नायब तहसीलदार वृत्त मौहरिया तहसील चितरंगी का है जहां पटवारी हल्का क्रमांक 25 डिघवार की भूमि स्वामी चंद्रावती पति शिव बहादुर सिंह ने यह आरोप लगाया है कि ग्राम डिघवार पटवारी हल्का डीघवार राजस्व निरीक्षक मंडल मौहरिया में 3.900हेक्टेयर भूमि दर्ज है,जिसका फर्द,पुल्ली,बटवारा भूमि स्वामी के अनुपस्थिति में बगैर सहमति के कूट रचित तरह से किया गया है।

क्या है पूरा मामला

बताते चलें कि भूमि स्वामी द्वारा यह आरोप लगाया गया कि राजस्व निरीक्षक एवं हल्का पटवारी द्वारा बिना भूमि स्वामी को सूचना दिए चुपचाप मनमाने तरीके से फर्द,फुल्ली,बंटवारा गलत तरीके से बनाया गया।सूचना पत्र,स्थल पंचनामा भी गलत तरीके से बना प्रस्तुत कर भूमि स्वामी के जमीन का बंटवारा किया गया है,जो विधि संगत नहीं है।भूमि स्वामी चंद्रावती की माने तो उक्त भूमि शिव बहादुर सिंह के नाम से थी जो चंद्रावती के पति थे,उनकी मृत्यु के बाद जमीन चंद्रावती के नाम हुई जो स्वतंत्र भूस्वामी थी, जिनकी चार संतान मारकंडेय सिंह,रामनारायण सिंह,पुत्री गायत्री सिंह,पुत्री मिथिलेश कुमारी सिंह है, वही रामनारायण सिंह,गायत्री सिंह,मिथिलेश सिंह द्वारा आवेदक बनकर चंद्रावती एवं उनके ज्येष्ठ पुत्र मारकंडेय सिंह को अनावेदक बनाते हुए खसरा क्रमांक 242/2 /0.030 , 243/1/ 0.240,352/608/0.270/353/2/0.600,365/585/2/0.280,374/0.160,481/557/0.060 हेक्टेयर भूमि कुल आठ किता में बिना सहमति के विभाजन कराया गया है।जिसमें यह हवाला दिया गया है कि भूमि का शासकीय बटवारा ना होने से कृषि विकास कार्य में व्यवधान होता है इसके संबंध में भूमि स्वामी को कोई जानकारी नहीं है।वहीं प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर नायब तहसीलदार वृत्त मौहरिया द्वारा अनावेदक चंद्रावती पति शिव बहादुर एवं मारकंडे पिता शिव बहादुर सिंह को सूचना दी गई।सूचना पाने के बाद उक्त दोनों अनावेदक हक्का बक्का रह गएसइसके बावजूद भी जानकारी होने पर अधिवक्ता के माध्यम से अनावेदक गण द्वारा आपत्ति पत्र पेश किया गया है जहां राजस्व प्रकरण क्रमांक./ 112/अ-27/2021-22 संस्थित कर दिनांक 8 फरवरी 2023 को निरस्त किया जा चुका है,जिसकी निगरानी प्रस्तुत नहीं की गई है।

भूमि स्वामी ने दी जानकारी

भूमि स्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि आराजी नंबर 243/1 में एक मकान बना हुआ है एवं आराजी नंबर 352 में दो मकान बने हैं,जो कि शिकायतकर्ता के पति के जीवन काल में बनाया गया था उसमें भी में चंद्रावती को कोई हिस्सा न देते हुए प्लाट अन्य जगह पर बैठा दिया गया जो कि मेरे साथ घोर अन्याय है,ऐसे में तहसीलदार,राजस्व निरीक्षक पटवारी द्वारा अगला उक्त के भूमि विभाजन में घोर अन्याय किया गया है।

क्या है वास्तविकता

आवेदक गणों के अनुसार भूमि का बंटवारा किया जा चुका है।परंतु भूमिस्वामी ने गलत मानते हुए यह बताया कि फर्द,पुल्ली,बटवारा के समय जय प्रताप सिंह पिता मारकंडेय सिंह की उपस्थिति दर्शाई गई है,परंतु हस्ताक्षर सहमति नहीं दर्शाया गया है जबकि जय प्रताप के नाम जमीन नहीं है,जय प्रताप सिंह भूमिस्वामी नहीं है,तो उक्त सूचना व स्थल पंचनामा में किया गया जिक्र निराधार है,वहीं भूमि स्वामी को किसी भी तरह की सूचना नहीं दी गई और जो सूचना न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है उसमें चंद्रावती का हस्ताक्षर बना हुआ है वह भी सरासर गलत है क्योंकि भूमि स्वामी निरक्षर हैं और हमेशा से अंगूठा लगा रही हैं।स्थल पंचनामा में जय प्रताप सिंह का जिक्र किया गया है जो पूरी तरह से गलत है क्योंकि उक्त भूमि से जय प्रताप सिंह का कोई लेना देना नहीं है,जय प्रताप सिंह चंद्रावती के ज्येष्ठ प्रपौत्र होने के कारण अपनी दादी के आज्ञा का पालन करते रहते हैं, जिनके संबंध में गलत तरीके से न्यायालय में जानकारी प्रस्तुत की गई है और गलत तरीके से जानकारी पेश किए जाने पर न्यायालय द्वारा उभय पक्षों के मध्य कब्जे व शर्तों के आधार पर बंटवारा प्रस्तुत किया गया है।

जिम्मेदार कौन

अब बड़ा सवाल यह उठता है की भूमि स्वामी की जमीन बगैर सहमति और बगैर उपस्थिति के विभाजित हो जाए और भूमि स्वामी को पता न चले कहीं न कहीं दाल में काला की जगह पूरी दाल ही काली समझ में आ रही है।गौरतलब हो कि न्याय और विश्वास का केंद्र माना जाने वाला न्यायालय में भी यदि इसी तरह से पैसे के दम पर खेल होता रहेगा तो आखिर में बेबस मजबूर और लाचार जनता को न्याय कहां से मिलेगा।देखना दिलचस्प यह होगा कि मामले को पूर्ण संज्ञान में लिया जाता है या यूं ही आँख मिचौली का खेल खेला जाता रहेगा।फिलहाल भूमि स्वामी चंद्रावती द्वारा बटवारा के संबंध में सीएम हेल्पलाइन शिकायत दर्ज कराई गई है,जिसको बंद कराने के लिए राजस्व हल्का पटवारी डीघवार संजय मुड़िया द्वारा आवेदक को फोन पर धमकी भी दी गई है।भूमि स्वामी के अनुसार उक्त फर्द,फुल्ली,फाट बटवारा को निरस्त करते हुए भूमि स्वामी की उपस्थिति में पुनः बटवारा,नक्शा तरमीम किए जाने की मांग की गई है।

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