Bihar Voter List Case : सुप्रीम कोर्ट ने वोटर लिस्ट अपडेट पर लगाई रोक?

बिहार वोटर लिस्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, सत्यापन से किया इनकार

Anchal Sharma
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Bihar Voter List Case supreme court

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने है। लेकिन उससे पहले  Bihar Voter List Case को लेकर सियासी संग्राम मचा हुआ है। विपक्षी दल चुनाव आयोग और केंद्र सरकार की मिलीभगत बता रहे हैं। बीते गुरुवार को बिहार में वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई।

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विपक्षी दलों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग के वेरिफिकेशन प्रक्रिया पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है।

कोर्ट ने आगे कहा कि आयोग के पास हलफनामा दाखिल करने का उचित समय बाकी हैं। अभी उसे प्रक्रिया पूरी करने दें। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धूलिया ने कहा कि याचिका की सभी दलीलें 28 जुलाई से पहले पूरी करनी होगी। इसके बाद 28 जुलाई को ही अगली सुनवाई होगी।

Bihar Voter List Case कोर्ट ने कहा चुनाव आयोग की ईमानदारी पर संदेह नहीं

बिहार वोटर लिस्ट ( Bihar Voter List Case )के सत्यापन पर रोक को लेकर कांग्रेस , आरजेडी, और इंडिया गठबंधन के 9 पार्टियों ने याचिका दायर की थी। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की अवकाश कालीन पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद प्रथम नजरिया है कि एसआईआर के लिए जारी दस्तावेजों की सूची संपूर्ण नहीं है,

इसलिए न्याय हित में यह उचित होगा कि निर्वाचन आयोग आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को भी स्वीकार्य दस्तावेज के रूप में विचार करे।

जस्टिस धूलिया ने कहा कि हमने देखा है कि आपने (चुनाव आयोग) कहा है कि एसआईआर के लिए आपकी दस्तावेजों की सूची संपूर्ण नहीं है, ऐसे में यदि आपके पास आधार को खारिज करने का उचित कारण है, तो आप ऐसा करें, लेकिन आपको इसका कारण बताना होगा।

इसके अलावा शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग से चुनावी राज्य बिहार में एसआईआर अभियान के समय पर सवाल उठाया और कहा कि यह लोकतंत्र और मतदान के अधिकार की जड़ पर हमला है। पीठ ने कहा कि आपको पहले ही यह कदम उठाना चाहिए था।Bihar Voter List Case

 चुनाव आयोग को सभी याचिकाओं पर देना होगा जवा

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एसआईआर के खिलाफ दाखिल 10 विपक्षी दलों के नेताओं सहित किसी भी याचिकाकर्ता ने इस प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाने की मांग नहीं की है किसी भी स्थिति में मतदाता सूची (Bihar Voter List Case ) का मसौदा 1 अगस्त 2025 को ही प्रकाशित होना है, ऐसे में हम निर्वाचन आयोग को सभी याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दे रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से कहा कि हमें आपकी ईमानदारी पर संदेह नहीं है, लेकिन कुछ धारणाएं हैं। जस्टिस धूलिया ने कहा कि हम प्रक्रिया पर रोक लगाने के बारे में नहीं सोच रहे क्योंकि यह एक संवैधानिक दायित्व है।

जस्टिस धूलिया ने यह टिप्पणी तब की जब, आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि 60 प्रतिशत मतदाताओं ने Bihar Voter List Case में  अपनी पहचान सत्यापित कर दी हैं और उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि किसी को भी अपनी बात रखने का अवसर दिए बिना मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने बिहार में मुख्य विपक्षी राजद, कांग्रेस सहित 10 दलों के नेताओं और गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स की ओर से बिहार में ( Bihar Voter List Case )मतदाता सूची का एसआईआर के लिए निर्वाचन आयोग के 24 जून के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जियों पर यह आदेश जारी किया है।

अश्वनी उपाध्याय ने भी डाली याचिका

Bihar Voter List Case में चुनाव आयोग की तरफ से उनके वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी आयोग के समर्थन पर एक याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि कोर्ट आयोग को ऐसा निर्देश दे कि सिर्फ वोट डालने वाले लोग भारतीय हो।

और उन्ही का नाम लिस्ट में हो। अश्वनी ने यह भी कहा है कि प्रदेश में अवैध घुसपैठ की वजह से देश के 200 जिलों और 1500 तहसीलों की जनसंख्या का ढांचा पूरी तरह से बदला हुआ है। भारत के कुछ पड़ोसी देश जैसे पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए बिहार वोटर लिस्ट में सत्यापन जरुरी है।

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