नाबालिगों द्वारा ई-रिक्शा चलाने का बढ़ता चलन
मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली क्षेत्र में नाबालिगों द्वारा ई-रिक्शा चलाना अब आम दृश्य बन गया है। सड़कों पर सुबह से देर रात तक कम उम्र के लड़के ई-रिक्शा लेकर यात्रियों को ढोते दिखाई देते हैं। इनमें से अधिकांश की उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच होती है, जो न तो यातायात नियमों की पूरी जानकारी रखते हैं और न ही उनके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस होता है।

नाबालिगों द्वारा ई-रिक्शा चलाने का बढ़ता चलन
यातायात नियमों की अनदेखी से बढ़ रहे हादसे
विशेषज्ञों का कहना है कि बिना प्रशिक्षण और नियमों की जानकारी के वाहन चलाना, सड़क हादसों की बड़ी वजह है। नाबालिग चालक अक्सर
- तेज रफ्तार
- गलत दिशा में वाहन चलाना
- ओवरलोड यात्रियों को बैठाना जैसी गलतियां करते हैं। परिणामस्वरूप, पाली क्षेत्र में आए दिन छोटी-बड़ी सड़क दुर्घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें न केवल यात्री बल्कि पैदल चलने वाले लोग भी घायल हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों की चिंता और नाराजगी
बिरसिंहपुर पाली के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पुलिस और यातायात विभाग की लापरवाही के चलते यह समस्या विकराल रूप ले रही है। लोगों का आरोप है कि जिम्मेदार विभाग सिर्फ कागजों में कार्रवाई दिखाता है, जबकि सड़कों पर स्थिति जस की तस बनी रहती है।
एक दुकानदार ने बताया –
“हम रोज देखते हैं कि 15-16 साल के बच्चे ई-रिक्शा चला रहे हैं। उन्हें ट्रैफिक सिग्नल की समझ नहीं है। कई बार तो वे बिना देखे सड़क पार कर जाते हैं, जिससे हादसे होते हैं।”
वाहन मालिकों की लापरवाही भी जिम्मेदार
ई-रिक्शा मालिक भी इस समस्या के बड़े कारणों में से एक हैं। मुनाफे के लालच में वे अपने वाहन नाबालिगों को सौंप देते हैं, ताकि मजदूरी कम देकर अधिक लाभ कमा सकें। यह लापरवाही न केवल सड़क सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी अपराध है।
कानून क्या कहता है?
मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार:
18 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति मोटर चालित वाहन नहीं चला सकता।
नियम तोड़ने पर वाहन मालिक और चालक दोनों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
नाबालिग द्वारा वाहन चलाने पर वाहन जब्त भी किया जा सकता है।
इसके बावजूद बिरसिंहपुर पाली में यह नियम खुलेआम तोड़ा जा रहा है।
प्रशासन की चुप्पी और लापरवाही
नागरिकों का कहना है कि पुलिस कभी-कभार अभियान चलाकर चालान काटती है, लेकिन वह भी सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए। स्थायी समाधान के लिए
नियमित वाहन चेकिंग
सख्त दंड
नाबालिग चालकों पर पूर्ण प्रतिबंध
जैसी कार्रवाई आवश्यक है, जो अब तक नहीं हुई है।
हादसों के डर में जी रहे लोग
हाल ही में, पाली नगर के बस स्टैंड के पास एक नाबालिग ई-रिक्शा चालक ने अचानक ब्रेक लगाने से संतुलन खो दिया और सड़क किनारे खड़े तीन लोगों को टक्कर मार दी। इस घटना में एक बुजुर्ग गंभीर रूप से घायल हो गया। ऐसे हादसे अब आम हो गए हैं, जिससे नागरिकों में भय का माहौल है।
समाधान की दिशा में कदम
समस्या के समाधान के लिए स्थानीय लोगों ने प्रशासन को कई सुझाव दिए हैं:
कठोर कानूनी कार्रवाई – नाबालिग चालकों के खिलाफ FIR दर्ज कर वाहन जब्त किए जाएं।
वाहन मालिकों पर सख्ती – लाइसेंसधारी चालक ही नियुक्त हों, अन्यथा मालिक पर जुर्माना लगे।
जनजागरूकता अभियान – स्कूलों और समाज में यातायात नियमों पर कार्यशालाएं आयोजित हों।
नियमित चेकिंग अभियान – पुलिस और यातायात विभाग द्वारा हर सप्ताह जांच हो।
विशेषज्ञों की राय
ट्रैफिक विशेषज्ञों के अनुसार, नाबालिग चालकों को रोकने के लिए केवल जुर्माना काफी नहीं है।
अभिभावकों को जिम्मेदार बनाना
लाइसेंस नियमों का कड़ाई से पालन
वाहन मालिकों की जवाबदेही तय करना
ये तीन कदम लंबे समय तक असरदार साबित हो सकते हैं।
प्रशासन से नागरिकों की अपील
पाली क्षेत्र के नागरिकों ने जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और यातायात पुलिस से इस समस्या पर तुरंत ध्यान देने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि अब भी सख्ती नहीं की गई, तो आने वाले समय में यह समस्या और विकराल रूप ले लेगी।